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मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो हर साल सावन माह के पहले मंगलवार को मनाया जाता है।
यह व्रत विशेष रूप से अविवाहित कन्याओं के लिए और उनके विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही यह संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी अत्यंत प्रभावी व्रत है।
इस व्रत में विशेष रूप से माता पार्वती के मंगला गौरी रूप की पूजा की जाती है। मंगला गौरी व्रत का पालन करके महिलाएं संतान सुख, सुयोग्य वर और जीवन में समृद्धि प्राप्त करती हैं।
मंगला गौरी व्रत का शुभ मुहूर्तगौरी व्रत का शुभ मुहूर्त जानना भी आवश्यक होता है, ताकि पूजा विधि सही समय पर पूरी हो सके।
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मंगला गौरी व्रत की कथा
मंगला गौरी व्रत की कथा बहुत ही प्रेरणादायक है। कथा के मुताबिक, एक समय की बात है कुरु देश के एक राजा जो बेहद बुद्धिमान और संपन्न थे, संतान सुख से वंचित थे। उन्होंने कई वर्षों तक देवी माता की भक्ति और तपस्या की, ताकि उन्हें पुत्र सुख मिल सके।
आखिरकार, देवी मां ने राजा से दर्शन दिए और उन्हें वरदान दिया कि वह पुत्र का सुख प्राप्त करेंगे, लेकिन उनका पुत्र 16 साल से ज्यादा जीवित नहीं रहेगा। राजा और रानी ने फिर भी देवी के वरदान को स्वीकार किया और उन्होंने पुत्र का नाम 'चिरायु' रखा।
राजा चिंतित थे कि उनके पुत्र की आयु इतनी कम होगी, इसीलिए उन्होंने पुत्र का विवाह एक ऐसी कन्या से करवा दिया, जो मंगला गौरी का व्रत करती थी। यह कन्या माता मंगला गौरी के व्रत से जीवन में सुख और सौभाग्य पाती थी।
विवाह के बाद, राजा के पुत्र की आयु बढ़ गई और वह चिरायु अर्थात लंबे जीवन वाला हो गया। तब से मंगला गौरी व्रत का महत्व बढ़ गया और यह व्रत संतान सुख और जीवन की लंबाई के लिए प्रसिद्ध हो गया।
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व्रत की पूजा विधि
व्रत की पूजा विधि में कुछ खास चरण होते हैं। इस व्रत को महिलाएं विशेष रूप से सावन माह में करती हैं। व्रत विधि इस प्रकार है:
- संकल्प लें: व्रत शुरू करने से पहले संकल्प लें कि आप इसे पूरी श्रद्धा और आस्था से करेंगे।
- स्नान और स्वच्छता: पूजा से पहले स्नान करके शरीर को शुद्ध करें।
- मां मंगला गौरी की पूजा: पूजा में पहले मां मंगला गौरी के लिए 16 श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं, जिसमें चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, फूल, फल और मिठाइयां शामिल हैं।
- भगवान शिव का पूजन: भगवान शिव का जलाभिषेक करें और पीला चंदन अर्पित करें।
- मां पार्वती को सिंदूर लगाएं: इसके बाद मां पार्वती को सिंदूर लगाएं और पुष्प चढ़ाएं।
- भोग अर्पित करें: उन्हें भोग अर्पित करें और फिर आरती का आयोजन करें।
व्रत का महत्व
गौरी व्रत का महत्व अत्यधिक है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो संतान सुख प्राप्त करना चाहती हैं। यह व्रत अविवाहित कन्याओं के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसे करने से उन्हें सुयोग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।
साथ ही, यह व्रत समृद्धि और जीवन की सभी समस्याओं का समाधान करता है। माना जाता है कि सावन महीने में मंगला गौरी का व्रत करने से जीवन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
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