हरियाली तीज की पौराणिक कथा: माता पार्वती ने कठोर तपस्या से की भगवान शिव की प्राप्ति

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हरियाली तीज की पौराणिक कथा: माता पार्वती ने कठोर तपस्या से की भगवान शिव की प्राप्ति

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालु विधि-विधान के साथ उनकी पूजा करते हैं। भक्त सावन में सोमवार के दिन भगवान शिव के लिए व्रत रखते हैं । सावन के महीने में हरियाली तीज व्रत की बहुत महिमा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। हरियाली तीज हमारे देश में सुहागिनों के प्रमुख त्योहारों में से एक है। हरियाली तीज व्रत इस बार यानी 2021 में 11 अगस्त बुधवार को पड़ रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करने व व्रत रखने से अखंड सौभाग्य का वर मिलता है। घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। सावन में पड़ने के कारण इस व्रत को श्रावणी तीज भी कहा जाता है।

हरियाली तीज क्यों मनाते हैं..

हरियाली तीज को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस कड़ी तपस्या से माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। माता गौरी ने पार्वती के रूप में हिमालय के घर पुनर्जन्म लिया था। माता पार्वती बचपन से ही शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया। एक दिन नारद जी पहुंचे और हिमालय से कहा कि पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं। यह सुन हिमालय बहुत प्रसन्न हुए। दूसरी ओर नारद मुनि विष्णुजी के पास पहुंचे और कहा कि हिमालय अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे कराना चाहते हैं। विष्णुजी ने भी विवाह के लिए कर दी।

माता पार्वती ने कठोर तप से पाया भगवान शिव

नारद इसके बाद माता पार्वती के पास पहुंचे और बताया कि उनके पिता ने उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया है। यह सुन पार्वती बहुत निराश हुईं और पिता से नजरें बचाकर सखियों के साथ एक एकांत स्थान पर चली गईं। सुनसान जंगल में पहुंचकर माता पार्वती ने फिर से तपस्या शुरू की। उन्होंने रेत से शिवलिंग बनाई और उपवास करते हुए पूजन शुरू किया। भगवान शिव इस तप से प्रसन्न हुए और मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। इस बीच माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय भी वहां पहुंचे। सारी बात सुनकर वे माता पार्वती की विवाह भगवान शिव से कराने को राजी हो गए। बाद में विधि-विधान के साथ उनका पार्वती के साथ विवाह हुआ। तभी से ही हरियाली तीज मनाने की परंपरा चली आ रही है और यह सुहागिनों का सबसे प्रिय त्योहार माना जाता है।

हरियाली तीज की पौराणिक कथा