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Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन जिसे महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी को समर्पित है। यह दिन शक्ति, पवित्रता और तपस्या के प्रतीक महागौरी की आराधना का विशेष अवसर होता है।
पंचांग के मुताबिक इस बार महाष्टमी 30 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन मां महागौरी की पूजा से भक्तों के जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं और असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
मां महागौरी का स्वरूप
महागौरी नाम का अर्थ है 'अत्यंत श्वेत'। उनका स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और गौर वर्ण का है, जो चंद्रमा के समान उज्ज्वल और सुंदर है। उनका वर्ण गौर है और वह श्वेत वस्त्र तथा श्वेत आभूषण धारण करती हैं, जो पवित्रता और शांति का प्रतीक है।
उनका वाहन वृषभ है, इसलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। वह चतुर्भुजा हैं। उनके दाहिने हाथों में अभय मुद्रा (भय मुक्ति का आशीर्वाद) और त्रिशूल है, जबकि बाएं हाथों में डमरू और वरद मुद्रा है।
मां की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि उनके शरीर पर धूल-मिट्टी जम गई थी और उनका शरीर काला पड़ गया था।
जब भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए, तो उन्होंने देवी पार्वती को स्वीकार किया। तब शिव जी ने गंगा के पवित्र जल से उनके शरीर को धोया। गंगाजल के स्पर्श से उनका शरीर विद्युत के समान अत्यंत कांत और गौर हो उठा। इसी कारण उनका नाम महागौरी पड़ा।
महाष्टमी पूजा विधि
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है। इसे महाष्टमी के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र (विशेष रूप से गुलाबी या सफेद रंग) धारण करें।
पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें और मां महागौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
कलश की पूजा करें और फिर गणेश, वरुण, नवग्रह, और षोडश मातृकाओं (16 देवियों) का पूजन करें।
सबसे पहले हाथ जोड़कर मां महागौरी का ध्यान करें और उनसे सुख, सौभाग्य की प्रार्थना करें।
मां को जल से आचमन कराएं, रोली, चंदन, कुमकुम, अक्षत (चावल) और सिंदूर अर्पित करें।
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पुष्प और भोग
मां को पीले या सफेद फूल (विशेष रूप से मोगरे और रात की रानी के फूल) अर्पित करें। नारियल, पूड़ी, चना और हलवे का भोग लगाना शुभ माना जाता है। नारियल चढ़ाने के बाद उसे दान कर देना चाहिए।
मंत्र जाप: घी का दीपक जलाकर मां के मंत्रों का जाप करें।
आरती: अंत में मां महागौरी की आरती करें और परिवार में प्रसाद वितरण करें।
कन्या पूजन
महाष्टमी के दिन कन्या पूजन करना अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन 9 कुंवारी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।
कन्याओं के पैर धोएं और उन्हें वस्त्र या चुनरी भेंट करें।
उन्हें पूड़ी, चना, हलवा और मिठाई का भोग लगाएं।
उन्हें उपहार और दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।
मां गौरी के मंत्र और स्तुति
मां महागौरी की पूजा में उनके मंत्रों का जाप करने से मन की शुद्धता और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
ध्यान मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
अर्थ: जो सफेद वृषभ पर विराजमान हैं, जिन्होंने श्वेत वस्त्र धारण किए हैं और जो अत्यंत पवित्र हैं, तथा जो महादेव को आनंदित करने वाली हैं, ऐसी महागौरी हमें शुभता प्रदान करें।
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
अर्थ: जो देवी सभी प्राणियों में मां गौरी के रूप में विराजमान हैं, उनको बार-बार नमस्कार है।
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मां गौरी हमें क्या सिखाती हैं
मां महागौरी का चरित्र और उनकी कथा भक्तों को गहरा आध्यात्मिक संदेश देती है:
पवित्रता का महत्व:
उनका गौर वर्ण और श्वेत वस्त्र हमें यह सिखाते हैं कि तन की पवित्रता से कहीं अधिक महत्वपूर्ण मन की पवित्रता है। सच्चे मन से की गई साधना ही सफलता दिलाती है।
तपस्या और धैर्य:
शिव को प्राप्त करने के लिए उनका वर्षों तक किया गया कठोर तप हमें लक्ष्य प्राप्ति के लिए धैर्य, समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति की प्रेरणा देता है।
कर्मों का नाश:
यह माना जाता है कि उनकी पूजा से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि शुद्ध हृदय से की गई प्रार्थना में नकारात्मकता को मिटाने की शक्ति होती है।
सौभाग्य और समृद्धि:
वह सुख, शांति और सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी हैं। उनकी कृपा से भक्तों को समर्पित जीवनसाथी और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि का आठवां दिन भक्ति, शुद्धि और शक्ति का पर्व है, जो हमें आंतरिक पवित्रता और अखंड तप के महत्व को सिखाता है। मां महागौरी की कृपा से भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में संतुलन प्राप्त होता है।
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