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Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह वह अवधि है जब हम अपने पूर्वजों यानी पितरों को श्रद्धापूर्वक याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि, पितृ पक्ष के 16 दिनों में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण और श्राद्ध की अपेक्षा रखते हैं। इन कर्मों को विधि-विधान से करने पर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
आइए इस लेख में जानें 2025 में पितृ पक्ष की शुरुआत कब होगी, श्राद्ध कर्म कैसे किए जाते हैं और इसके क्या नियम हैं।
कब से शुरू होगा पितृ पक्ष 2025वैदिक पंचांग के मुताबिक, पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है। साल 2025 में, पितृ पक्ष की शुरुआत रविवार, 07 सितंबर 2025 से होगी। इस दिन भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि देर रात 01 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी जो उसी दिन रात 11 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसलिए, 07 सितंबर को ही पूर्णिमा श्राद्ध के साथ पितृ पक्ष की विधिवत शुरुआत मानी जाएगी। इस 16 दिवसीय पवित्र अवधि का समापन रविवार, 21 सितंबर 2025 को सर्व पितृ अमावस्या के दिन होगा। |
पितृ पक्ष का महत्व
पितृ पक्ष का मुख्य उद्देश्य पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करना और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करना है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, जो लोग अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण नहीं करते उन्हें पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है।
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करना अनिवार्य माना जाता है। इस दौरान किए गए दान-पुण्य से पितरों को मोक्ष मिलता है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है।
इस अवधि में किए गए कर्मों से न केवल पितृ प्रसन्न होते हैं, बल्कि व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाली कई बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है।
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श्राद्ध और तर्पण के नियम
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है। इन नियमों का पालन करने से ही श्राद्ध कर्म पूर्ण और फलदायी माना जाता है।
- सही तिथि का चयन: श्राद्ध कर्म हमेशा पितरों की मृत्यु तिथि पर ही किया जाना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु तिथि याद न हो, तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध किया जा सकता है। यह दिन उन सभी पितरों के लिए होता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है।
- ब्राह्मणों को भोजन: श्राद्ध कर्म के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना और उन्हें दान-दक्षिणा देना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है।
- तर्पण विधि: पितृ पक्ष के 16 दिनों तक प्रतिदिन जल, तिल और कुशा से पितरों का तर्पण किया जाता है। तर्पण करते समय पितरों का नाम लेकर जल अर्पित किया जाता है, जिससे उन्हें तृप्ति मिलती है।
- सात्विक भोजन: पितृ पक्ष के दौरान घर में केवल सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए। इस अवधि में मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज जैसे तामसिक भोजन का सेवन करना सख्त वर्जित होता है।
- दान का महत्व: पितृ पक्ष में जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
- पवित्र स्थान: श्राद्ध कर्म को किसी पवित्र स्थान, जैसे गंगा घाट या अन्य तीर्थ स्थलों पर करना अधिक फलदायी माना जाता है।
- मांगलिक कार्यों से बचें: पितृ पक्ष के दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों, जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या नया व्यापार शुरू करने से बचना चाहिए। इस अवधि को शोक और श्रद्धा का समय माना जाता है।
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श्राद्ध की प्रमुख तिथियां 2025
वैदिक पंचांग के मुताबिक, पितृ पक्ष में हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है। यहां पितृ पक्ष 2025 की कुछ प्रमुख तिथियां दी गई हैं:
- पूर्णिमा श्राद्ध: 07 सितंबर 2025, रविवार
- प्रतिपदा श्राद्ध: 08 सितंबर 2025, सोमवार
- द्वितीया श्राद्ध: 09 सितंबर 2025, मंगलवार
- तृतीया श्राद्ध: 10 सितंबर 2025, बुधवार
- चतुर्थी श्राद्ध: 10 सितंबर 2025, बुधवार
- पञ्चमी श्राद्ध: 11 सितंबर 2025, बृहस्पतिवार
- षष्ठी श्राद्ध: 12 सितंबर 2025, शुक्रवार
- सप्तमी श्राद्ध: 13 सितंबर 2025, शनिवार
- अष्टमी श्राद्ध: 14 सितंबर 2025, रविवार
- नवमी श्राद्ध: 15 सितंबर 2025, सोमवार
- दशमी श्राद्ध: 16 सितंबर 2025, मंगलवार
- एकादशी श्राद्ध: 17 सितंबर 2025, बुधवार
- द्वादशी श्राद्ध: 18 सितंबर 2025, बृहस्पतिवार
- त्रयोदशी श्राद्ध: 19 सितंबर 2025, शुक्रवार
- चतुर्दशी श्राद्ध: 20 सितंबर 2025, शनिवार
- सर्वपितृ अमावस्या: 21 सितंबर 2025, रविवार
किन बातों का रखें ध्यान
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, पितृ पक्ष के दिनों में कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि पितरों की आत्मा को कोई कष्ट न हो:
- शुद्धता और सात्विकता: इस पूरे पक्ष में शरीर और मन दोनों की शुद्धता बनाए रखना जरूरी है। घर में सात्विक माहौल रखें और लड़ाई-झगड़े से बचें।
- मांगलिक कार्यों से दूरी: विवाह, सगाई, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों से इस अवधि में बचना चाहिए।
- ब्रह्मचर्य का पालन: पितृ पक्ष के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- बाल और नाखून: इस अवधि में बाल कटवाना, शेविंग करना या नाखून काटना शुभ नहीं माना जाता।
- नए वस्त्र: नए कपड़े खरीदने या पहनने से भी बचना चाहिए, क्योंकि यह खुशी का प्रतीक माना जाता है।
- गरीबों को दान: गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा देना सबसे उत्तम कर्म माना जाता है।
- कुत्ता, गाय और कौए को भोजन: श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों के साथ-साथ कुत्ता, गाय, और कौए को भी भोजन कराना चाहिए। इन्हें पितरों का रूप माना जाता है।
पितृ पक्ष (pitru paksh पितृ पक्ष) हमें हमारे पूर्वजों के त्याग और योगदान (पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति) की याद दिलाता है। यह समय हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है और परिवार के महत्व को समझाता है।
इन 16 दिनों को श्रद्धा और भक्ति के साथ बिताकर हम अपने पितरों को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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