प्रदोष व्रत से होगी धन और अमृत की वर्षा, गोधूली में कर लें यह उपाए

28 नवंबर दिन गुरुवार को गुरुवारिय प्रदोष व्रत पर शिव पूजा के लिए अद्भुत शुभ संयोग बन रहा है। यह प्रदोष मार्गशीर्ष अगहन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का दिन है। इस शुभ दिन व्रत करने वाले मनुष्यों को भगवान शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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Shyam Kishor Suryawanshi
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Pradosh Vrat will bring immense wealth and nectar, do this little work in the twilight
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28 नवंबर दिन गुरुवार को गुरुवारिय प्रदोष व्रत पर शिव पूजा के लिए अद्भुत शुभ संयोग बन रहा है। यह प्रदोष मार्गशीर्ष अगहन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का दिन है। इस दिन किये जाने वाले व्रत को गुरुवारी प्रदोष व्रत कहा जाता है, इस शुभ दिन व्रत करने वाले मनुष्यों को भगवान शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन सुबह से व्रत उपवास करने के बाद सूर्यास्त के समय इस छोटे से रामबाण उपाय को करने से व्यक्ति के जीवन में अपार धन वैभव की वर्षा होने लगती है।

ऐसे करें शिवजी की पूजा

प्रदोष के दिन दिनभर व्रत करने के साथ पूर्ण श्रद्धा भाव से सूर्यास्त के समय किसी भी शिव मंदिर में जाकर या अपने घर पर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करके भगवान शिवजी का गंगाजल मिश्रित शुद्ध जल से 108 बार “नमः शिवाय ऊँ” इस मंत्र का उच्चारण करते हुए शिवाभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को अपार धन की प्राप्ति होने के साथ अमृत्तव भी प्राप्त होता है। कहा जाता हैं कि प्रदोष का व्रत रखने वाले व्यक्ति को अनेक गायों के दान करने के बराबर पुण्यफल मिलता है।

प्रदोष व्रत की कथा

प्रदोष व्रत के बारे शास्त्रों में कथा आती हैं की एक दिन जब चारों दिशाओं में अधर्म का बोलबाला नजर आयेगा, अन्याय और अनाचार अपना चरम सीमा पर होगा, व्यक्ति में स्वार्थ भाव बढ़ने लगेगा, और व्यक्ति सत्कर्म के स्थान पर छुद्र कार्यों में आनंद लेगा, और इस कारण ऐसे लोग जो पाप के भागी बनेंगे, अगर वे प्रदोष का व्रत करने के साथ भगवान शिवजी की विशेष पूजा करेगा उसके इस जन्म ही नहीं बल्कि अन्य जन्म- जन्मान्तर के पाप कर्म भी नष्ट हो जाते हैं औऱ उत्तम लोक की प्राप्ति के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रात:काल उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिये। पूरे दिन मन ही मन “ऊँ नम: शिवाय” मंत्र का जप करना चाहिए। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से तीन घड़ी पहले शाम 4 बजकर 30 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच की जाती है। व्रती को चाहिये की शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करें एवं शिव मंदिर में जाकर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करने के बाद “मावे मिष्ठान्न का भोग लगाना चाहिए।

पूजा के बाद करें हवन

शिवजी का शुद्ध जल से अभिषेक करने के बाद इस मंत्र का 108 बार शिवजी के सामने बैठकर सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस बीज मंत्र से 108 बार गाय के घी से हवन करना चाहिए।

आहुति मंत्र - “ऊँ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा।

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