पंजाबी शादी में क्या है चूड़ा पहनने की रस्म, जानिए क्यों जरूरी है यह परंपरा

पंजाबी शादियों में चूड़ा पहनने की रस्म दुल्हन के जीवन में समृद्धि, खुशहाली और पति के साथ अच्छे रिश्ते की प्रतीक मानी जाती है। यह परंपरा दुल्हन के जीवन के नए अध्याय की शुरुआत और परिवार की खुशहाली को दर्शाती है।

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Kaushiki
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Chooda ritual in Punjabi wedding

Photograph: (the sootr)

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पंजाबी शादी की रस्मों में दुल्हन का चूड़ा पहनना एक विशेष और अहम हिस्सा होता है। यह एक सांस्कृतिक परंपरा है, जो सिर्फ पंजाबियों में नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी देखी जाती है।

चूड़ा, जिसे दुल्हन के मामा द्वारा लाकर पहनाया जाता है, इसमें 21 चूड़ियां होती हैं, जो आमतौर पर लाल और सफेद रंग की होती हैं। यह चूड़ा शादी के मंडप में दुल्हन को उसके मामा पहनाते हैं, और इसे दूध में डुबोकर एक पवित्र रूप में पहनाया जाता है।

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चूड़ा पहनाने की रस्म

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पंजाबी शादियों में चूड़ा पहनाने की रस्म बेहद जरूरी मानी जाती है। इस रस्म में दुल्हन का मामा चूड़ा खरीदकर लाता है और यह चूड़ा उसके हाथों में विवाह के बाद 40 दिन या एक साल तक रहता है। 

चूड़ा पहनने की प्रक्रिया में चूड़ा पहनने के साथ-साथ अन्य रस्मों का पालन किया जाता है, जैसे कि चूड़ा देखने से दुल्हन की मां उसे अपनी आंखों से बंद कर देती हैं ताकि उसे अपने चूड़े (सुहाग) पर नजर न लगे।

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चूड़ा पहनने का धार्मिक महत्व

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पंजाबी रिवाजों के मुताबिक, चूड़ा पहनने का मुख्य उद्देश्य दुल्हन के जीवन में समृद्धि, खुशहाली और प्रजनन की उम्मीद का प्रतीक बनाना है।

पंजाबी समाज में यह मान्यता है कि चूड़ा पहनने से दुल्हन का विवाह जीवनभर सुरक्षित और खुशहाल रहता है। यह पति के भलाई और समृद्धि के लिए भी एक शुभ संकेत माना जाता है।

एक साल तक चूड़ा पहनने की मान्यता

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पंजाबी रिवाजों के मुताबिक, शादी के एक साल तक चूड़ा दुल्हन के हाथों में रहना चाहिए। हालांकि, आजकल यह परंपरा 40 दिनों तक सीमित हो गई है।

इसके बावजूद, एक साल तक चूड़ा पहनने की परंपरा का पालन करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता है। इसे प्रजनन, समृद्धि और जीवन की खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।

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चूड़ा उतारने की रस्म

पंजाबी रिवाजों के मुताबिक, चूड़ा उतारने की रस्म भी शादी के बाद जरूरी मानी जाती है। पारंपरिक रूप से, इस रस्म के दौरान दुल्हन को नदी या तालाब के पास ले जाया जाता है, और वहां उसे चूड़ा उतारकर बहा दिया जाता है।

इस रस्म के साथ-साथ दुल्हन का मुंह मीठा कराया जाता है और उसे नए चूड़े (सोने या कांच के) पहनाए जाते हैं। इस रस्म में रिश्तेदार और परिवार के लोग शामिल होते हैं और यह एक बहुत ही शुभ और उत्सवपूर्ण घटना होती है।

तो पंजाबी शादियों में चूड़ा पहनना न केवल एक शादी की रस्म है, बल्कि यह दुल्हन के जीवन में आशीर्वाद, समृद्धि और पति के साथ के अच्छे रिश्ते की उम्मीद का प्रतीक है। चूड़ा पहनने की यह परंपरा दुल्हन के जीवन के नए अध्याय की शुरुआत और परिवार की खुशहाली को दर्शाती है।

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