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तंग गलियों से होकर मंदिर तक पहुंचते श्रद्धालु, हर त्योहार पर भारी भीड़ और आए दिन की भगदड़ जैसी घटनाएं... ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई है। इसका मकसद है कि दर्शनार्थियों को बेहतर सुविधा मिले। व्यवस्था बेहतर हो। आने-जाने के रास्ते चौड़े हों, लेकिन इस सुधार योजना से वृंदावन का गोस्वामी समाज आक्रोशित है।
उनका कहना है कि यह सिर्फ कॉरिडोर नहीं, बल्कि वृंदावन की आत्मा पर हमला है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने अपना प्लान नहीं बदला तो वे ठाकुरजी को दूसरी जगह ले जाएंगे। कुल मिलाकर सरकार के प्लान से क्या संतों की वाणी वाली, भजनों में आने वाली सुंदर कुंज गलियां खत्म हो जाएंगी, क्या वृंदावन का असल वैभव और सुंदरता मिट जाएगी?
आईए, इस स्पेशल रिपोर्ट में हम आपको पूरा घटनाक्रम विस्तार से बताते हैं...
यह है योगी सरकार की दलील
योगी सरकार की दलील है कि वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में हर दिन 50 से 70 हजार श्रद्धालु आते हैं। त्योहारों और छुट्टी वाले दिनों में ये तादाद एक लाख से ऊपर पहुंच जाती है। मंदिर के चारों तरफ संकरी गलियां हैं, जो सदियों पुरानी हैं। ऐसे में भीड़ को संभालना मुश्किल होता है। कई बार दर्शन के दौरान लोग दम घुटने या भगदड़ में घायल हो चुके हैं, इसलिए ऐसा कॉरिडोर जरूरी है, जो आवाजाही को आसान बनाए। मंदिर तक पहुंचने का अनुभव सहज और सुरक्षित करे।
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अब बात गोस्वामी समाज की...
बांके बिहारी मंदिर की पूजा और सेवा वृंदावन के गोस्वामी समाज के हाथों में है। वे इस योजना का खुलकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मंदिर कोई सरकारी भवन नहीं, बल्कि ठाकुरजी का निवास है। हमारी निजी आस्था और पारिवारिक विरासत का हिस्सा है। यदि सरकार जबरन बदलाव करती है तो वे अपने ठाकुरजी (भगवान) को लेकर इस स्थान को छोड़ देंगे।
वे सवाल उठाते हैं कि जब तक हमारी राय नहीं ली गई, तब तक मंदिर परिसर में बदलाव का अधिकार सरकार को कैसे मिल गया? उनका कहना है कि मंदिर परिसर में बनने वाला कॉरिडोर सिर्फ ईंट-पत्थर का निर्माण नहीं है, बल्कि इससे वृंदावन की संस्कृति, पारंपरिक गलियों (कुंज गली) और स्थानीय कारोबार पर सीधा असर पड़ेगा।
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5 एकड़ में कॉरिडोर बनाने की प्लानिंग
कॉरिडोर के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पांच एकड़ जमीन चिह्नित की है। इसमें मंदिर तक पहुंचने के तीन नए रास्ते, पार्किंग स्पेस और श्रद्धालुओं की सुविधा के अन्य संसाधन विकसित करने की योजना है। इसके लिए लगभग 300 घर और 100 से ज्यादा दुकानें प्रभावित होंगी। हालांकि सरकार का कहना है कि सभी को उचित मुआवजा और दुकान के बदले दुकान दी जाएगी। स्थानीय लोगों को डर है कि इन वादों का जमीन पर कोई भरोसा नहीं। उन्हें यह भी आशंका है कि एक बार गलियों को उजाड़ा गया तो वृंदावन का पारंपरिक स्वरूप मिट जाएगा।
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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
कॉरिडोर का विरोध अब कोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया है। गोस्वामी समाज के देवेंद्रनाथ गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि यह पुनर्विकास योजना नहीं है, इसके जरिए मंदिर की आस्था, परंपरा और पर्यावरणीय सांस्कृतिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचेगा। बताया गया कि कॉरिडोर से मंदिर की पवित्रता, पूजा पद्धति और स्थानीय लोगों के रोजगार पर असर पड़ेगा।
ट्रस्ट का विरोध और तेज हुआ
इधर, वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अध्यादेश जारी ट्रस्ट बनाया गया है। इसका भी विरोध तेज होने लगा है। सेवायतों ने बांके बिहारी के विग्रह को दूसरे मंदिर में ले जाने की चेतावनी दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में सेवायत की ओर से केस लड़ने वाले एडवोकेट संजय गोस्वामी ने कहा कि अध्यादेश को चुनौती देंगे। यह सेवायतों और बांके बिहारी के भक्तों के मौलिक अधिकारों का हनन है। हमारे पास यही विकल्प है। हाईकोर्ट में बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर से जुड़ी जनहित याचिका के विरोध में भी सेवायत नया मंदिर बनाने का प्रस्ताव दे चुके हैं।
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गौरव गोस्वामी बोले- सुप्रीम कोर्ट से मांगेंगे जमीन
बांके बिहारी प्रबंध समिति के पूर्व अध्यक्ष गौरव गोस्वामी ने कहा कि यह निजी मंदिर है। ठाकुरजी को दूसरी जगह ले जाएंगे। नया मंदिर बनाएंगे। सुप्रीम कोर्ट से मांग करेंगे कि मंदिर के लिए ब्रज में 10-15 एकड़ जमीन दिलवाएं। इसकी कीमत चुकाएंगे। उचित जमीन नहीं मिली तो ब्रज मंडल के बाहर मंदिर बनाएंगे। पूरा प्लान सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे।