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Photograph: (THESOOTR)
उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के पास भव्य कॉरिडोर (Corridor) बनाने का रास्ता सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ कर दिया है। गुरुवार को कोर्ट ने मंदिर के खजाने (Temple Treasury) से 500 करोड़ रुपए खर्च कर 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की अनुमति दी। इस जमीन को मंदिर के नाम पर ही पंजीकृत किया जाएगा।
इस फैसले के साथ ही यूपी सरकार को मंदिर के आसपास की जमीन खरीदने का अधिकार मिला है, जो पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने रोक रखा था। हाईकोर्ट ने मंदिर के खजाने के उपयोग पर प्रतिबंध लगाकर कहा था कि सरकार सरकारी फंड से ही जमीन खरीदे।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच के न्यायाधीश बेला त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा ने आदेश दिया कि मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में अब अधिवक्ता (Advocate) रिसीवर नहीं बन सकेंगे। रिसीवर ऐसा हो जो मंदिर प्रबंधन से जुड़ा हो, धार्मिक और वैष्णव संप्रदाय से संबंधित हो, और वेद-शास्त्रों का अच्छा ज्ञान रखता हो। साथ ही, सरकार को मंदिर की जमीन मंदिर के नाम पर ही खरीदनी होगी ताकि मंदिर का अधिकार सुरक्षित रहे।
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हाईकोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका क्यों की थी खारिज?
20 नवंबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें सरकार ने कहा था कि मंदिर के आसपास जमीन खरीदने के लिए मंदिर के खजाने का उपयोग किया जाए। हाईकोर्ट ने कहा था कि मंदिर के खजाने का उपयोग कॉरिडोर के लिए न किया जाए और सरकार को इसका खर्च खुद उठाना होगा।
सरकार का कहना था कि अगर सरकार जमीन खरीदती है तो उसका मालिकाना हक होगा, जिससे मंदिर प्रबंधन पर इसका नियंत्रण कम हो जाएगा। इसलिए मंदिर के नाम पर जमीन खरीदी जाए, ताकि कॉरिडोर मंदिर से जुड़ा रहे और मंदिर समिति उसका संचालन कर सके।
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500 करोड़ रुपए में बनेगा कॉरिडोर
बांके बिहारी मंदिर के खजाने में लगभग 450 करोड़ रुपए की राशि पहले से मौजूद है। कोर्ट के आदेश के बाद, इस राशि का उपयोग मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने में किया जाएगा। इसके लिए जिन लोगों के मकान और दुकानें आएंगी, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा।
यूपी सरकार का लक्ष्य है कि कॉरिडोर के जरिए श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्था बनाई जाए। रोजाना यहां 40-50 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, जबकि त्योहारों और वीकेंड पर संख्या बढ़कर लाखों में पहुंच जाती है।
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कॉरिडोर बनाने की जरूरत क्यों?
साल 2022 में जन्माष्टमी के अवसर पर बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती के दौरान भारी भीड़ के कारण दम घुटने से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। कई श्रद्धालु घायल भी हुए थे। इसके बाद प्रदेश सरकार ने एक दो सदस्यीय कमेटी बनाई, जो श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए कॉरिडोर निर्माण की सिफारिश लेकर आई।
यह कॉरिडोर भक्तों के लिए बेहतर होल्डिंग एरिया और भीड़ नियंत्रण की सुविधा देगा। इससे मंदिर के अंदर आने-जाने वाले मार्ग भी सुव्यवस्थित होंगे।
मंदिर के आसपास फुटपाथ की कमी
बांके बिहारी मंदिर के आसपास की गलियों में फुटपाथ नहीं हैं क्योंकि वहां दुकानों का सघन नेटवर्क है। भीड़ इतनी अधिक रहती है कि श्रद्धालुओं को सड़क पर चलना भी मुश्किल हो जाता है।
कोर्ट के आदेश के बाद उम्मीद है कि नए कॉरिडोर से भीड़ प्रबंधन में मदद मिलेगी और श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा बढ़ेगी।
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भीड़ को नियंत्रित करना उद्देश्य
यूपी सरकार ने कोर्ट में कहा कि उसका मकसद मंदिर के प्रबंधन में शामिल होना नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित करना है। कॉरिडोर बनाने से मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ को नियंत्रित किया जा सकेगा।
सरकार यह भी स्पष्ट करती है कि कॉरिडोर का मालिकाना हक मंदिर के पास ही रहेगा, जिससे मंदिर समिति उसका संचालन कर सके।
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर से जुड़ी मुख्य बातें...
विषय | जानकारी |
---|---|
कॉरिडोर के लिए खर्च | 500 करोड़ रुपए |
जमीन का क्षेत्रफल | 5 एकड़ |
मंदिर खजाने की राशि | लगभग 450 करोड़ रुपए |
सुप्रीम कोर्ट का आदेश | मंदिर के खजाने से जमीन खरीदने की अनुमति |
मकान-मालिकों को मुआवजा | दिया जाएगा |
मंदिर रिसीवर नियम | अधिवक्ता नहीं, धार्मिक विशेषज्ञ ही होंगे |
भीड़ प्रबंधन | 40-50 हजार श्रद्धालु रोजाना, त्योहारों में लाखों |
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