BHOPAL. मध्यप्रदेश का संपदा 2.0 एप और पोर्टल अब सरकार और राजस्व विभाग का सिरदर्द बन गया है। पोर्टल की तकनीकी उलझनें खत्म् होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। कभी सर्वर, कभी OTP और कभी लिंक फेल होने की वजह से रजिस्ट्री के लिए स्लॉट बुक कराने वाले दिक्कतें झेल रहे हैं। अधिकारी भी मामला तकनीकी होने की सफाई देकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
कुछ मामलों में तो रजिस्ट्री अटकने से लोगों को दो-दो दिन चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इस उलझन की वजह से रजिस्ट्रार कार्यालयों में 31 मार्च तक के होने वाली रजिस्ट्रियों की संख्या और सरकार को मिलने वाली कमाई घट गई है। पोर्टल की तकनीकी समस्याओं की शिकायतें लगातार मुख्यालय और सरकार के पास पहुंच रही हैं लेकिन डेढ़ माह बाद भी इसको लेकर अधिकारी बेखबर बने हुए हैं।
टेक्नीकल सपोर्ट की कमी
राजस्व संबंधी मामलों, जमीन की खरीद-फरोख्त के दौरान रजिस्ट्री में होने वाली हेराफेरी को रोकने सरकार ने 1 अप्रेल से संपदा 2.0 शुरू किया है। कुछ माह के ट्रायल के बाद अब प्रदेश में इसी पोर्टल के जरिए ही जमीन की रजिस्ट्री का काम हो रहा है। सरकार के पोर्टल की व्यवस्था नई है लेकिन अभी भी रजिस्ट्रार कार्यालयों में तकनीकी एक्सपर्ट की कमी है।
पुराने अधिकारी-कर्मचारी ही इस काम को संभाल रहे हैं। उन्हें केवल पोर्टल पर रजिस्ट्री करने का ही प्रशिक्षण मिला है। ऐसे में अचानक आने वाली छोटी सी तकनीकी समस्या भी कामकाज में अड़गा बन जाती है।
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जमीनी दिक्कतों की भरमार
मध्यप्रदेश के रजिस्ट्रार, डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालयों में जमीनी की रजिस्ट्री के लिए संपदा 2.0 पोर्टल काम कर रहा है। सरकार के निर्देश पर इसे पाबंदी के साथ शुरू कर दिया है। वहीं राजधानी और बड़े शहरों से दूर अंचलों में चल रहे डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालयों की समस्याओं को दूर नहीं किया गया है।
ऐसे में नेटवर्क की कमजोरी, लिंक फेल, सर्वर डाउन जैसी दिक्कतें बनी हुई हैं। इसके अलावा पोर्टल संपदा 2.0 पर रजिस्ट्री के लिए संबंधित पक्ष के सदस्यों को जो ओटीपी भेजे जा रहे हैं वे भी समय पर डिलीवर नहीं हो रहे। ऐसे में ओटीपी की निर्धारित समय में पुष्टि न होने के कारण भी रजिस्ट्रियां अटक रही हैं।
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घट गई रजिस्ट्री और कमाई
नए पोर्टल को शुरू करने में सरकार की मंशा गड़बड़ी रोकने और खरीद-फरोख्त करने वालों को पहले की समस्याओं से निजात दिलाने की थी। संपदा पोर्टल के नए वर्जन से गड़बड़झालों पर तो कसावट हुई है लेकिन तकनीकी व्यवधानों ने दिक्कतें बढ़ा दी हैं।
इन उलझनों के कारण पंजीयक कार्यालयों में होने वाली रजिस्ट्री की संख्या में 20 फीसदी से भी ज्यादा कमी आई है। इसके कारण स्टॉम्प ड्यूटी और पंजीयन फीस के रूप में होने वाली सरकारी कमाई भी घटी है। वहीं नए पोर्टल पर पॉवर ऑफ अटार्नी के मामलों में स्टाम्प ड्यूटी में रियायत का प्रावधान किया गया है लेकिन विक्रेताओं को पंजीयन फीस का भार उठाना पड़ रहा है।