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13 मई 2025 को जबलपुर के गोहलपुर थाना क्षेत्र के त्रिमूर्ति नगर में एक मकान के पीछे से उठती तेज बदबू ने स्थानीय लोगों को चौंका दिया। विजय कुमार अग्रवाल नामक व्यक्ति ने तुरंत पुलिस को सूचना दी कि उनके किरायेदार शैलेन्द्र कुमार ने पुलिस को बताया-साहब, पीछे किसी की लाश पड़ी है। हालत इतनी खराब है कि बदबू से सांस लेना मुश्किल हो गया है। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी प्रतीक्षा मार्को अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचीं।
नगर निगम की मदद से जब नाले से शव को बाहर निकाला गया, तो पुलिस टीम भी स्तब्ध रह गई क्योंकि शव का सिर गायब था, दोनों पैर अलग-अलग कटे पड़े थे, हाथ शरीर से अलग कर दिए गए थे, और पेट चीरा हुआ था। ये किसी आम हत्या की कहानी नहीं थी, ये एक सुनियोजित नरसंहार था।
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महाकाल का बैंड और मंजू-परम की गुदाई से शिनाख्त
जिस लाश का कोई सिर नहीं था, कोई कपड़ा नहीं था, NEEउसकी पहचान पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी थी। लेकिन हाथ की कलाई पर बंधा प्लास्टिक का ‘महाकाल और त्रिशूल’ वाला बैंड और गुदना से लिखा "मंजू-परम" पुलिस के लिए पहला बड़ा सुराग बन गया।
एफएसएल टीम को बुलाकर पूरे घटनास्थल की बारीकी से जांच की गई। पंचनामा कार्रवाई के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया गया, लेकिन पुलिस की नजरें अब इस बात पर टिकी थीं कि आखिर यह मरा हुआ व्यक्ति कौन है?
लोहे की रॉड ने खोल दी पहचान की गुत्थी
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने एक अहम खुलासा किया कि मृतक के बाएं पैर में पुरानी हड्डी की सर्जरी के कारण लोहे की रॉड लगी थी। यही एक शारीरिक पहचान थी, जिसे लेकर पुलिस ने कन्ट्रोल रूम के ज़रिए पूरे जिले के थानों को सूचना भेजी। एक-एक गुमशुदगी की जांच शुरू हुई, और तभी सामने आया कि गोराबाजार क्षेत्र के कजरवारा निवासी परम सिंह गौड़ पिछले कुछ दिनों से लापता हैं।
पुलिस जब परम सिंह की बहन यशोदा बाई और बहनोई रतन सिंह को शव की पहचान के लिए लाई, तो एक ही नजर में बहन फफक पड़ी-“यह मेरे भैया हैं... परम सिंह...”। शव की पुष्टि होते ही यह अंधा हत्याकांड अब एक जानी-पहचानी दुश्मनी की तरफ मुड़ गया।
पागलपन की हद तक बदले की आग
पुलिस जांच ने अब इस रहस्यमय हत्या को पूरी तरह खौफनाक शक्ल दे दी। मृतक परम सिंह गौड़ का राकेश कटारिया नामक व्यक्ति से जमीन में गाड़ी खड़ी करने को लेकर पुराना झगड़ा चल रहा था। लेकिन यह मात्र ज़मीन का झगड़ा नहीं था।
तीन महीने पहले राकेश की पत्नी की संदिग्ध परिस्थितियों में छत से गिरकर मौत हुई थी। राकेश को मन में यह शक बैठ चुका था कि उसके घर की बर्बादी की जड़ परम सिंह ही है। वह यह मान बैठा था कि परम ने ही उसकी पत्नी को मौत की नींद सुलाया है। शक ने उसके दिमाग को खोखला किया और अंत में इंसान को दरिंदा बना डाला। राकेश ने तय कर लिया कि परम को ज़िंदा नहीं छोड़ेगा। लेकिन उसने यह सब अकेले नहीं किया बल्कि उसने अपने बेटे सोहेल और दामाद राजवीर को भी इस खून की साजिश में शामिल कर लिया।
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घर में बुलाकर की हत्या
हत्या की रात, राकेश ने चुपचाप परम को घर बुलाया। घर में पहले से बेट और धारदार करैया छुपा रखी थी। तीनों ने मिलकर पहले उसे पीटा, फिर बाथरूम में ले जाकर शरीर के एक-एक अंग को अलग-अलग काट डाला। सिर, हाथ, पैर, सबको अलग किया और फिर उन टुकड़ों को प्लास्टिक में भरकर अपने ही घर के पीछे दलदली प्लॉट में फेंक दिया। यह सिर्फ हत्या नहीं थी बल्कि ये दरिंदगी की पराकाष्ठा थी, जहां इंसान के शरीर को जानवर की तरह काटा गया और फेंक दिया गया, ताकि पहचान न हो सके।
पुलिस ने बरामद किए शव के टुकड़े
पुलिस ने जब राकेश के बेटे सोहेल और दामाद राजवीर को हिरासत में लिया और सख्ती से पूछताछ की, तो पूरे हत्याकांड की सच्चाई बाहर आ गई। आरोपियों की निशानदेही पर नाले और प्लॉट से मृतक का सिर, हाथ और घटना में प्रयुक्त धारदार करैया बरामद की गई।
राकेश भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने तीनों आरोपियों राकेश (50 वर्ष), उसका बेटा सोहेल (23 वर्ष) और दामाद राजवीर (30 वर्ष) को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 103(1), 238 बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया गया।
पुलिस ने 72 घंटे में किया खुलासा
इस खौफनाक हत्याकांड का खुलासा करने में थाना गोहलपुर की पुलिस टीम ने मिसाल कायम की है। थाना प्रभारी प्रतीक्षा मार्को के नेतृत्व में उप निरीक्षक किशोर बागरी, एएसआई राधेश्याम राय, इसरार खान, रोहणी शुक्ला और पूरे स्टाफ ने बारीक सुरागों के सहारे पूरे केस को सुलझा लिया। शरीर के कटे हुए अंगों की बरामदगी, हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार और तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी ने इस मामले को एक बड़ी सफलता में बदल दिया।
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