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MP News : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हिंदू छात्राओं से दुष्कर्म, ब्लैकमेल मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गंभीर सवाल उठाए हैं। आयोग की टीम सदस्य प्रियंक कानूनगो के नेतृत्व में जांच के लिए भोपाल पहुंची और पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जताई। कानूनगो ने मुख्य आरोपी फरहान खान की बहन जोया खान की भूमिका को उजागर करते हुए सभी आरोपियों के घर की महिलाओं से पूछताछ की मांग की। क्लब 90 के छह कमरों को ध्वस्त किए जाने से पहले फॉरेंसिक साक्ष्य क्यों नहीं जुटाए गए, इस पर भी आयोग ने सवाल किया।
टीम को मनी लॉन्ड्रिंग और संगठित फंडिंग की आशंका है। आयोग ने कहा कि पीड़ित छात्राओं को नशा देकर रेप किया गया और वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया गया। पीड़िताओं ने अपनी जान को खतरा बताया और पुनर्वास की कमी की शिकायत की। यह मामला अब मानवाधिकार उल्लंघन और सांप्रदायिक शोषण दोनों की तरफ इशारा करता है।
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जोया खान पर NHRC की सख्ती
आयोग के अनुसार, मुख्य आरोपी फरहान खान की बहन जोया खान ने अपने ही घर में पीड़ित छात्राओं से दुष्कर्म करवाया। इस आरोप के सामने आने के बाद यह जरूरी हो गया है कि आरोपी परिवार की सभी महिलाओं की भूमिका की गंभीरता से जांच की जाए। आयोग ने इस पहलू को नजरअंदाज किए जाने पर पुलिस को कठघरे में खड़ा किया है।
क्लब 90 की फॉरेंसिक जांच क्यों नहीं की गई?
आयोग की टीम ने क्लब 90 पर हुई कार्रवाई को लेकर भी पुलिस पर सवाल दागे। प्रियंक कानूनगो ने कहा कि क्लब 90 के जिन छह कमरों को ध्वस्त किया गया, उनसे पहले फॉरेंसिक सबूत क्यों नहीं लिए गए? क्या यह जानबूझकर किसी को बचाने का प्रयास था? यह क्लब कथित रूप से उन गतिविधियों का अड्डा था जहां हिंदू लड़कियों को बहला-फुसलाकर ले जाया जाता था।
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फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच की मांग
NHRC ने इस पूरे नेटवर्क के पीछे संगठित फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका जताई है। आयोग ने विशेष रूप से 'शारिक मछली' नामक व्यक्ति की भूमिका की जांच पर जोर दिया। साथ ही, अपराध में प्रयुक्त वाहनों और संपत्तियों को जब्त करने की आवश्यकता भी जताई। यह मामला अब केवल यौन अपराध नहीं, बल्कि आर्थिक और कानूनी जटिलताओं से भी जुड़ता जा रहा है।
पीड़ित छात्राओं का पुनर्वास
आयोग के पास अप्रैल के अंतिम सप्ताह में शिकायतें पहुंचीं थीं कि छात्राओं को नशा देकर उनसे दुष्कर्म किया गया। जिन लड़कियों ने आयोग से संपर्क किया, उनका कहना है कि उन्हें अभी भी जान का खतरा है और उनका समुचित पुनर्वास नहीं हो पाया है। दो पीड़िताएं अनाथ हैं, जिससे उनकी स्थिति और भी संवेदनशील बन जाती है। यह मामला मानवाधिकार उल्लंघन है।
कांग्रेस और समाज का बढ़ता दबाव
मामले को लेकर समाज और राजनीतिक दलों का भी दबाव बढ़ रहा है। सरकार की चुप्पी और पुलिस की धीमी कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग पहले ही इस मामले की जांच कर चुका है और अब NHRC की एंट्री ने इसे राष्ट्रीय स्तर का संवेदनशील प्रकरण बना दिया है। सवाल अब केवल इंसाफ का नहीं, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही का भी है।