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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. सरकार लगातार सुशासन का दावा कर रही है। मध्य प्रदेश मंत्रालय से लेकर जिला प्रशासन को ई-ऑफिस से जोड़कर पारदर्शी व्यवस्था लागू करने के प्रयास जारी हैं। वहीं सरकार के दावों और प्रयासों को अफसरों की सुस्ती पलीता लगा रही है। प्रदेश में जनता की शिकायतों के समाधान की ऑनलाइन व्यवस्था यानी सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों का समाधान तय डेडलाइन में करने में विभाग दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।
यही वजह है कि प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा विभागों में 50 दिन से लेकर दो माह या उससे भी ज्यादा समय तक शिकायतें अटक रही हैं। लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए तहसील, अनुभाग और जिला कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। कलेक्टर की जनसुनवाई में भी ये मामले पहुंच रहे हैं। इसके बावजूद अफसर निराकरण की जगह शिकायतों को दबावपूर्वक बंद कराने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।
भोपाल प्रदेश की राजधानी है जहां मध्यप्रदेश सरकार और प्रशासन के मुखिया यानी सीएम और सीएस दोनों के अलावा विभागों के प्रमुख अफसर भी बैठते हैं। सभी विभागों के मुख्यालय भी यहां हैं इसके बावजूद सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों का निराकरण तय अवधि में नहीं हो पा रहा है।
हेल्पलाइन के डैशबोर्ड पर आने वाली शिकायतों और उनके समाधान के आंकड़ें भले सरकार की खुशफहमी बढ़ा रहे हों लेकिन न केवल भोपाल बल्कि प्रदेश के दूरस्थ जिलों में भटकते लोगों की संख्या गिनती से बाहर है। इस स्थिति को मंगलवार के दिन कलेक्टर कार्यालयों में होने वाली जनसुनवाई में उमड़ने वाली भीड़ को देखकर समझा जा सकता है।
शिकायत बंद कराने डाल रहे दबाव
प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन के नंबर 181 पर हरदिन 60 हजार से ज्यादा कॉल पहुंचते हैं। इनमें ज्यादातर शिकायतें सामान्य या तात्कालिक समस्याओं से जुड़ी होती हैं। 72 फीसदी शिकायतों का तो टाइम लिमिट में निराकरण भी हो जाता है। लेकिन हजारों ऐसी भी होती हैं जिनके समाधान का इंतजार लोग महीनों से कर रहे हैं।
ऐसी ही 28 फीसदी शिकायत जिनकी संख्या हजारों में होती है उनमें या तो फौरी कार्रवाई होती है या आवेदकों पर दबाव बनाकर उन्हें बंद करा दिया जाता है। इनमें से 15 फीसदी से ज्यादा शिकायतों में विभागों की कार्रवाई से लोग संतुष्ट ही नहीं होते। इसको पोर्टल पर भी दर्ज कराया जाता है लेकिन जिम्मेदार इस स्थिति पर ध्यान ही नहीं देते।
राजधानी में शिकायतों की भरमार
भोपाल जिले में बीते दो माह में 35 विभागों से जुड़े मामलों से संबंधित 9033 शिकायतें डेढ़ माह से अटकी है। सरकार के सख्त निर्देश के बाद भी शिकायतों को लंबित रखा जा रहा है। 50 दिन की टाइम लिमिट में हल न होने वाली शिकायतों पर अफसरों से जवाब तलब होने के बाद भी अब ये व्यवस्था रस्मअदायगी बनती जा रही है।
भोपाल कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह शिकायतों के निराकरण के लिए देर रात तक काम करने के निर्देश भी दे चुके हैं। इसके बावजूद रैंकिंग में भोपाल फिसड्डी रहा है। जिले में विभागों से संबंधित 18,562 शिकायतें निराकरण का इंतजार कर रही हैं। इनमें से 9033 ऐसी शिकायतें 50 दिन से ज्यादा समय से अटकी हुई हैं। केवल अप्रेल में ही भोपाल में 15,032 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज हुई हैं।
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बड़े विभाग समाधान में पीछे
अब बात प्रदेश के प्रमुख जिलों की करते हैं। भिण्ड जिले में विभिन्न विभागों से संबंधित 11,236, रीवा में 12,474, शिवपुरी में 11,057, मुरैना में 10,426, छतरपुर में 11,492, जबलपुर में 13,854, ग्वालियर में 15,071, इंदौर में 17,618, सागर जिले में 13,080, विदिशा में 11,270 शिकायतें अप्रेल माह में सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर दर्ज कराई गई हैं।
सबसे ज्यादा 57056 शिकायतें ऊर्जा विभाग की आई हैं लेकिन हल केवल 54% कर पाया है। 54028 शिकायतों के साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग दूसरे नंबर पर है जिसने 36.27% शिकायतों का ही निराकरण किया है। वहीं 52,580 शिकायतों के साथ नगरीय विकास विभाग तीसरे नंबर पर है जहां 37.29% शिकायतों का समाधान हुआ है।
राजस्व विभाग को 44,868 शिकायत मिली थी जिनमें से 33.59% ही हल हुई हैं। गृह विभाग ने 41,310 शिकायतों में से 44.29% को हल किया है। पीएचई 32411 शिकायतों में से केवल 39.52% की सुलझा सका है। खाद्य,नागरिक आपूर्ति ने 22,459 में से 44.69% शिकायत निराकृत की हैं। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग भी 21,,848 में से 25.35% हल कर सका है।
धाकड़ मंत्रियों के विभाग सुस्त
प्रदेश में गृह विभाग की कमान स्वयं सीएम डॉ.मोहन यादव संभाल रहे हैं, लेकिन उनका ही विभाग हेल्पलाइन पर शिकायतों का निराकरण करने में पिछड़ रहा है। दूसरे सबसे रसूखदार मंत्री कैलाश विजयवर्गीय हैं जिनके पास नगरीय विकास एवं आवास विभाग है। विजयवर्गीय जितने चुस्त हैं उनका विभाग सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों को निराकृत करने में उनका विभाग भी सुस्त है।
वरिष्ठ नेता प्रहलाद पटेल के पास प्रदेश का पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग है लेकिन उनका विभाग भी सीएम हेल्पलाइन पर समाधान के मामले में उदासीन है। डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल के पास स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग का दायित्व है वहीं डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा वित्त विभाग संभाल रहे हैं लेकिन इन दोनों के विभाग भी शिकायतकर्ताओं को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं।
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भटक रहे हजारों शिकायतकर्ता
सीएम हेल्पलाइन को सहारा मानने वाले हजारों लोग अपनी शिकायतों पर कार्रवाई न होने से परेशान हैं। ऐसे शिकायतकर्ता बार_बार सीएम हेल्पलाइन पर अपनी परेशानी दर्ज कराने के साथ ही कलेक्टर कार्यालय और विभागों के चक्कर काटते नजर आ जाते हैं। सागर जिले की बीना तहसील के ऐसे ही एक परेशान ग्रामीण ने तो सीएम हेल्पलाइन से विश्वास उठने का मैसेज भी कलेक्टर को भेजा है। ये ग्रामीण दफ्तरों के चक्कर काटने से आहत हैं।
दूसरा मामला राजधानी भोपाल का है। यह शिकायतकर्ता ग्वालियर जिले का रहने वाला है। उसका वाहन बीते चार साल से गायब है। युवक चार सालों से भोपाल के पुलिस थानों के चक्कर काट रहा है लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो रही। उसने दो महीने पहले ग्वालियर से सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद उसे पड़ाव थाने बुलाकर एक आरक्षक ने उसका मोबाइल लेकर खुद ही शिकायत बंद कर दी। युवक ने अपने चार पहिया वाहन को वापस पाने भोपाल आकर डीजीपी से भी गुहार लगाई है।
भोपाल में 50 दिन से ऊपर लंबित शिकायतें :
विभाग शिकायत 50 दिन से लंबित
नगर निगम 4736 1903
पुलिस विभाग 3560 1834
राजस्व विभाग 1750 1136
खाद्य आपूर्ति विभाग 174 50
लोक स्वास्थ्य 912 613
श्रम विभाग 325 135
पीएचई 308 144
लोकशिक्षण 289 203
लोक निर्माण विभाग 84 25
सामाजिक न्याय विभाग 213 88
अजा कल्याण 811 626
परिवहन विभाग 211 142
ऊर्जा विभाग 1130 10