कलाई पर बंधी राखी को उतारने का सही समय क्या है, जानें उतारने के बाद रक्षा सूत्र का क्या करें

राखी उतारने का कोई एक तय नियम नहीं है लेकिन मान्यताओं के मुताबिक इसे भाद्रपद पूर्णिमा, गणेश चतुर्थी या जन्माष्टमी जैसे शुभ दिनों पर ही उतारना चाहिए। राखी को उतारने के बाद सम्मानपूर्वक किसी सुरक्षित जगह पर रखें, विसर्जित करें या पेड़ पर बांध दें।

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Kaushiki
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रक्षाबंधन 2025: रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और प्यार को दर्शाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर एक पवित्र धागा बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख की कामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। इस धागे को राखी या रक्षा सूत्र कहा जाता है और यह सिर्फ एक साधारण धागा नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है। 

ऐसे में अक्सर यह सवाल मन में आता है कि, "कलाई पर बंधी इस राखी को कब उतारना चाहिए?" क्या इसका कोई विशेष नियम है या इसे कभी भी खोला जा सकता है?

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, राखी को तुरंत उतारने की परंपरा नहीं है। इसे एक रक्षा कवच के रूप में देखा जाता है जो भाई को बुरी शक्तियों और संकटों से बचाता है। इसलिए, इसका सकारात्मक प्रभाव बनाए रखने के लिए इसे कुछ शुभ दिनों तक धारण करना चाहिए। आइए जानें...

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कलाई से राखी कब और कैसे उतारें

हमारे शास्त्रों और धार्मिक परंपराओं में राखी उतारने के लिए कुछ खास और शुभ तिथियों का जिक्र मिलता है। ये तिथियां हिंदू पंचांग के मुताबिक तय होती हैं, और इनका पालन करने से भाई-बहन के रिश्ते पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है।

भाद्रपद पूर्णिमा

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके ठीक बाद भाद्रपद माह की शुरुआत होती है। कई परिवारों में यह माना जाता है कि राखी को भाद्रपद मास की पूर्णिमा तक धारण करना चाहिए।

इस पूर्णिमा को 'श्राद्ध पूर्णिमा' भी कहते हैं। इस तिथि तक राखी को धारण करने से उसका रक्षात्मक प्रभाव बना रहता है। यह तिथि यह भी दर्शाती है कि रक्षाबंधन का पर्व अब विधिवत समाप्त हो गया है। इस दिन राखी उतारकर उसे किसी सुरक्षित जगह पर रख देना शुभ माना जाता है।

गणेश चतुर्थी

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। कुछ परंपराओं में गणेश चतुर्थी के दिन राखी उतारने का रिवाज है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा के साथ राखी उतारने से वे सभी विघ्नों का हरण करते हैं और भाई-बहन के रिश्ते पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। इस दिन राखी उतारकर भगवान गणेश की प्रतिमा पर अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।

जन्माष्टमी

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का प्रतीक है। जन्माष्टमी का दिन भी बहुत पवित्र माना जाता है और इस दिन भी राखी उतारने की परंपरा है।

यह तिथि इस बात का संकेत देती है कि अब त्योहारों का सिलसिला आगे बढ़ चुका है। भगवान कृष्ण की कृपा पाने के लिए इस दिन राखी को उतारकर किसी पवित्र नदी में विसर्जित किया जा सकता है।

राखी उतारने के बाद क्या करें

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राखी सिर्फ एक धागा नहीं है इसलिए धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इसे उतारने के बाद फेंक देना उचित नहीं माना जाता है। इसकी पवित्रता को बनाए रखने के लिए कुछ खास नियम हैं, जिनका पालन करना चाहिए।

  • सुरक्षित रखें: ज्यादातर घरों में राखी को उतारने के बाद एक डिब्बे में संभालकर रखा जाता है। यह एक भावनात्मक प्रतीक है जो भाई-बहन के प्यार को सालभर याद दिलाता है। आप इसे पूजाघर में भी रख सकते हैं।
  • विसर्जन करें: अगर आप राखी को रखना नहीं चाहते, तो इसे किसी पवित्र नदी, तालाब या बहते जल में विसर्जित कर दें। ऐसा करना इसके पवित्र धागे को प्रकृति में वापस भेजता है।
  • पेड़ पर बांधें: कई जगहों पर राखी को उतारकर किसी पेड़ या पौधे की डाल पर बांध दिया जाता है। यह भी राखी के प्राकृतिक विसर्जन का एक तरीका है।

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अलग-अलग क्षेत्रों में अलग परंपराएं

मान्यताओं के मुताबिक, यह बात ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि राखी कब खोलना चाहिए का कोई एक कठोर नियम नहीं है। यह काफी हद तक क्षेत्र, परिवार और व्यक्तिगत मान्यताओं पर निर्भर करता है।

  • कुछ लोग राखी को कुछ दिनों के लिए पहनते हैं, जैसे 3 से 5 दिन तक, और फिर उसे उतार देते हैं।
  • कई परिवारों में राखी तब तक कलाई पर बंधी रहती है, जब तक वह अपने आप टूट न जाए या अगले साल का त्योहार न आ जाए।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में यह भी देखा जाता है कि राखी को एक महीने तक पहनना शुभ माना जाता है।

इन सभी मान्यताओं के पीछे का मूल सार यह है कि राखी के धागे का सम्मान किया जाना चाहिए। इसे सम्मानपूर्वक उतारना और संभालना ही भाई-बहन के रिश्ते का सम्मान है। इस धागे का सम्मान करें, क्योंकि यह आपके भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है।

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