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हिंदू धर्म में प्रत्येक पूर्णिमा तिथि का अपना एक विशेष महत्व होता है, लेकिन सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को अत्यंत खास और पवित्र माना गया है। भगवान शिव को समर्पित होने के कारण, इस पूर्णिमा पर शिव भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है। यह वह पावन दिन भी है जब भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक, रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं और भाई जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं। हालांकि, इस बार सावन पूर्णिमा 2025 में एक दिलचस्प बदलाव देखने को मिलेगा।
द्रिक पंचांग के मुताबिक, इस साल सावन पूर्णिमा का व्रत और स्नान-दान अलग-अलग दिनों में किए जाएंगे, जिससे श्रद्धालुओं के मन में थोड़ी असमंजस की स्थिति बन सकती है। यह जरूरी है कि व्रत और स्नान-दान के लिए सही दिन और शुभ मुहूर्त का ज्ञान हो, ताकि इस पवित्र पर्व का पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सके।
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कब है सावन पूर्णिमा व्रतपंडित संतोष शर्मा के मुताबिक, सावन पूर्णिमा का व्रत 08 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। इसका कारण यह है कि पूर्णिमा व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देने और पूजा करने का विशेष महत्व होता है। 08 अगस्त को सावन पूर्णिमा का चंद्रोदय शाम 06 बजकर 42 मिनट पर होगा, जिससे इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना और पूजा-अर्चना करना उत्तम रहेगा। 09 अगस्त को पूर्णिमा तिथि दोपहर तक ही रहेगी, जिसके कारण उस दिन चंद्रोदय पूर्णिमा तिथि में नहीं होगा। इसलिए, जो लोग सावन पूर्णिमा का व्रत रखना चाहते हैं, उनके लिए 08 अगस्त का दिन सबसे उपयुक्त है। |
पूर्णिमा का स्नान-दान
व्रत से अलग, सावन पूर्णिमा का स्नान-दान का काम 09 अगस्त 2025 को किया जाएगा। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान अक्षय पुण्य प्रदान करता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ऐसे में 09 अगस्त 2025 को स्नान-दान के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे, जिनका लाभ उठाया जा सकता है:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 22 मिनट से सुबह 05 बजकर 04 मिनट तक। यह मुहूर्त प्रातः काल में पवित्र स्नान के लिए सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि इस समय वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 12:53 बजे तक। यह मुहूर्त दिन के मध्य में किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने या दान-पुण्य करने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:40 बजे से दोपहर 03:33 बजे तक। यह मुहूर्त विशेष रूप से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने या किसी महत्वपूर्ण कार्य में सफलता के लिए शुभ माना जाता है।
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:06 बजे से शाम 07:27 बजे तक। यह सूर्यास्त के समय का मुहूर्त है, जब गायें चर कर वापस लौटती हैं। इस समय दान-पुण्य करने से विशेष फल मिलता है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 05:47 बजे से दोपहर 02:23 बजे तक। यह योग सभी प्रकार के शुभ कार्यों को सिद्ध करने वाला माना जाता है, और इस अवधि में किया गया स्नान-दान अत्यंत फलदायी होता है।
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स्नान और दान का महत्व
सावन पूर्णिमा का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टियों से बहुत खास है। इस दिन पवित्र नदियों, सरोवरों या कुंडों में स्नान करने का अत्यधिक महत्व है।
मान्यता है कि सावन पूर्णिमा पर पवित्र जल में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक है।
पुण्य की प्राप्ति:
इस दिन अपनी सामर्थ्य मुताबिक अन्न, वस्त्र, धन या अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। दान करने से न केवल दान प्राप्त करने वाले का भला होता है, बल्कि दान करने वाले को भी आंतरिक शांति और संतोष मिलता है।
सुख-समृद्धि:
मान्यता है कि सावन पूर्णिमा (श्रावण महीना) पर किए गए धार्मिक कार्य और दान से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि आती है, आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और घर में खुशहाली बनी रहती है। यह दिन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी शुभ माना जाता है।
पितरों का आशीर्वाद:
कई परंपराओं में, पूर्णिमा तिथि पितरों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए भी महत्वपूर्ण होती है। इस दिन दान-पुण्य करने से पितरों को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
रक्षाबंधन और सावन पूर्णिमा का संबंध
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन पूर्णिमा (सावन महीना) के दिन ही मनाया जाता है। यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का उत्सव है, जहां बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी आयु और सुरक्षा की कामना करती हैं और भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
हालांकि, इस बार व्रत और स्नान-दान की तारीखों में अंतर होने से रक्षाबंधन की तिथि को लेकर थोड़ा असमंजस हो सकता है। पूर्णिमा तिथि 08 अगस्त को दोपहर में शुरू होकर 09 अगस्त को दोपहर में समाप्त हो रही है और रक्षाबंधन हमेशा पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार भी 08 अगस्त 2025 को ही मनाया जाएगा।
इस दिन भद्रा काल का ध्यान रखना भी जरूरी होता है, क्योंकि भद्रा में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता। हालांकि, दी गई जानकारी में भद्रा काल का उल्लेख नहीं है, इसलिए राखी बांधने से पहले स्थानीय पंचांग का परामर्श लेना उचित रहेगा।
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