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सावन का महीना शिव भक्तों के लिए अत्यंत खास होता है। इस माह में विशेष रूप से सावन शिवरात्रि पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन करने की परंपरा है। यह पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके कई लाभ भी हैं।
पार्थिव शिवलिंग पूजा को शिव महापुराण में विशेष रूप से पूजा का एक प्रभावशाली तरीका बताया गया है। इस पूजा से व्यक्ति को अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है और मानसिक, शारीरिक कष्टों से भी राहत मिलती है।
कहा जाता है कि इस पूजा को करने वाला व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त होता है और उसकी जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। यह पूजा कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने शुरू की थी , जो आज भी व्यापक रूप से की जाती है।
साथ ही, इस पूजा से कालसर्प दोष, सर्प दंश और अन्य भय से भी मुक्ति मिलती है। इस पूजा को करने वाला व्यक्ति कई वर्षों तक सुखी और समृद्ध रहता है।
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पार्थिव बनाने की विधि
पार्थिव बनाने की विधि को बेहद सरल और प्रभावशाली माना जाता है। इसे बनाने के लिए विशेष सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिससे इसे शुद्ध और विधिवत रूप से पूजा के योग्य बनाया जा सके।
सामग्री:
- नदी या तालाब की मिट्टी
- दूध
- गाय का गोबर
- चंदन
- पुष्प
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विधि
पार्थिव एक प्रकार का शिवलिंग होता है, जिसे विशेष रूप से नदी या तालाब की मिट्टी, गाय का गोबर, दूध, चंदन और पुष्प से बनाया जाता है।
इसे सावन के महीने में विशेष रूप से पूजा जाता है, खासकर शिवरात्रि पर। पार्थिव की पूजा से व्यक्ति को अकाल मृत्यु से मुक्ति, मानसिक-शारीरिक कष्टों से राहत और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। यह पूजा भगवान शिव की कृपा को आकर्षित करती है।
- मिट्टी का शोधन: सबसे पहले नदी या तालाब की मिट्टी लेकर उसे शुद्ध करें। इसमें दूध, गाय का गोबर, चंदन और पुष्प मिलाकर इसे शुद्ध करें।
- शिवलिंग निर्माण: ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए, मिट्टी से शिवलिंग बनाएं। ध्यान रहे कि शिवलिंग की ऊंचाई 12 अंगुल से अधिक न हो।
- आध्यात्मिकता बनाए रखें: इस शिवलिंग का निर्माण करते समय, पूरे ध्यान और श्रद्धा से काम करें, ताकि पूजा का फल अधिक मिलेगा।
पार्थिव शिवलिंग पूजा विधि
पंडित रवि दीक्षित के मुताबिक, शिवलिंग की पूजा विधि का पालन करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं। प्रदोष काल (शाम के समय) पार्थिव पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
- शिवलिंग का आह्वान: सबसे पहले पार्थिव का आह्वान करें और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
- जल और पंचामृत अर्पित करें: शिवलिंग पर जल और पंचामृत अर्पित करें। इसके बाद पुष्प, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- आरती: पूजा के बाद शिवलिंग की आरती करें। इसके बाद भगवान शिव से आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
- विसर्जन: पूजा के बाद, पार्थिव को जल में विसर्जित कर दें। विसर्जन से पुण्य की प्राप्ति होती है।
पार्थिव शिवलिंग पूजन के लाभ
- धन-धान्य की प्राप्ति: पार्थिव शिवलिंग की पूजा से घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती।
- शारीरिक-मानसिक रोगों से मुक्ति: यह पूजा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करती है, साथ ही बुरी नज़र और मानसिक तनाव से भी मुक्ति दिलाती है।
- कष्टों का निवारण: पार्थिव पूजन से व्यक्ति के जीवन के कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- स्वर्ग की प्राप्ति: शिव महापुराण में कहा गया है कि पार्थिव पूजा करने वाला व्यक्ति लाखों वर्षों तक स्वर्ग में निवास करता है।
सावन के हर सोमवार पार्थिव शिवलिंग का पूजन करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में किसी भी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
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