सावन में शिवलिंग पर इन चीजों को चढ़ाना क्यों है मना, जानें कैसे करें शिवजी की पूजा

सावन के महीने में गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक पुण्यदायक माना जाता है, लेकिन कुछ गलतियां पूजा का फल खराब कर सकती हैं। जानें वे कौन सी गलतियां हैं, जिन्हें आपको गंगाजल से अभिषेक करते समय नहीं करना चाहिए।

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Kaushiki
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सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए बेहद खास होता है। इस महीने में शिव भक्त विशेष रूप से शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करने का महत्व रखते हैं। गंगाजल से अभिषेक करने से न केवल पुण्य मिलता है, बल्कि भगवान शिव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, गंगा का अवतरण शिव जी की जटाओं से हुआ था, इसलिए गंगाजल को शिवलिंग पर अर्पित करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

हालांकि मान्याता के मुताबिक, कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें गंगाजल के साथ शिवलिंग पर अर्पित करना वर्जित है। इन चीजों को अर्पित करने से शिवजी नाराज हो सकते हैं और पूजा का फल उल्टा हो सकता है। तो चलिए जानते हैं, वे कौन सी गलतियां हैं, जिनसे हमें सावन में बचना चाहिए।

गंगाजल से शिवलिंग की पूजा का सही तरीका

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  • गंगाजल का शुद्ध रूप में उपयोग करें: गंगाजल का शुद्ध रूप से ही शिवलिंग पर अभिषेक करें, बिना किसी अन्य चीज के मिश्रण के।
  • रुद्राक्ष का इस्तेमाल करें: रुद्राक्ष को शिवलिंग पर अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है।
  • सही समय और दिन चुनें: सावन में विशेष रूप से सोमवार का दिन और प्रदोष व्रत का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।

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शिवलिंग पर न चढ़ाएं ये चीजें

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तुलसी के पत्ते

मान्याता के मुताबिक, तुलसी का पत्ता भगवान विष्णु को प्रिय है लेकिन इसे शिवलिंग पर अर्पित करना वर्जित माना गया है। शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाने से पूजा का फल नहीं मिलता और इससे शिवजी अप्रसन्न हो सकते हैं। इसलिए सावन में गंगाजल के साथ तुलसी के पत्ते अर्पित करने से बचें।

सिंदूर और कुमकुम में क्या अंतर है?

कुमकुम और सिंदूर

मान्याता के मुताबिक, कुमकुम और सिंदूर का उपयोग विशेष रूप से महिलाओं की सुहाग के प्रतीक के रूप में किया जाता है। लेकिन शिवलिंग का संबंध ब्रह्मचर्य और पुरुष तत्व से है, इसलिए सावन में गंगाजल के साथ इनका प्रयोग अशुभ माना जाता है। इसीलिए इन दोनों को शिवलिंग पर अर्पित करना गलत होता है।

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अक्षत (कच्चे चावल)

मान्याता के मुताबिक, अक्षत (कच्चे चावल) पूजा में इस्तेमाल होते हैं, लेकिन शिवलिंग पर कच्चे चावल चढ़ाना वर्जित है। इससे पूजा की पवित्रता भंग हो सकती है। गंगाजल से अभिषेक करते समय इस बात का ध्यान रखें कि शिवलिंग पर कच्चे चावल न चढ़ाएं।

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शंख से गंगाजल अर्पण करना

मान्याता के मुताबिक, शंख समुद्र के तत्व का प्रतीक होता है। शास्त्रों के मुताबिक, शिवलिंग पर शंख से गंगाजल अर्पित करना मना है। इसका कारण यह है कि समुद्र मंथन से उत्पन्न विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया था और शंख उसी समुद्र का प्रतीक है। इसलिए शंख से गंगाजल अर्पित करना अशुभ माना जाता है।

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कैसे करें शिवलिंग की पूजा

साफ-सफाई करें

  • शिवलिंग की पूजा से पहले उसे अच्छे से साफ करें, ताकि यह पवित्र रहे और पूजा का माहौल शुद्ध बने।

गंगाजल अर्पित करें

  • शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे पूजा का प्रभाव बढ़ता है।

बेलपत्र चढ़ाएं

  • शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करें, क्योंकि यह भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है और इसे पूजा में विशेष महत्व मिलता है।

धूप और दीपक लगाएं

  • धूप और दीपक जलाकर शिवलिंग की पूजा करें, जिससे वातावरण शुद्ध और ध्यान केंद्रित होता है।

दूध, दही, शहद और घी अर्पित करें

  • इन सामग्रियों से अभिषेक करें, क्योंकि ये शुद्धता और ताजगी का प्रतीक हैं।

रुद्राक्ष माला से जाप करें

  • "ॐ नमः शिवाय" का जाप रुद्राक्ष माला से करें, इससे पूजा का प्रभाव और भी मजबूत होता है।

प्रसाद अर्पित करें

  • भगवान शिव को बेलपत्र, फल और ताजे फूल अर्पित करें, ताकि पूजा पूरी श्रद्धा से संपन्न हो।

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