/sootr/media/media_files/2025/08/02/raksha-bandhan-2025-2025-08-02-16-00-25.jpg)
Raksha Bandhan 2025
/sootr/media/media_files/2025/08/02/rakhii-2025-08-02-15-41-33.jpeg)
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन, भाई-बहन के पवित्र प्रेम और अटूट रिश्ते का एक ऐसा पर्व है, जिसकी जड़ें सदियों पुरानी परंपराओं और गहरी पौराणिक कथाओं में बसी हैं। यह सिर्फ एक धागा बांधने का रिवाज नहीं, बल्कि स्नेह, विश्वास और एक-दूसरे की सुरक्षा की कामना का प्रतीक है। आइए जानते हैं, कैसे शुरू हुआ यह पावन त्योहार और कौन सी कहानियां इसे इतना खास बनाती हैं।
/sootr/media/media_files/2025/08/02/rakkhi-2025-08-02-15-40-34.jpeg)
रक्षाबंधन का असली अर्थ
यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम और अटूट विश्वास का प्रतीक है। बहनें भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी सुरक्षा, लंबी आयु और सफलता की कामना करती हैं। यह सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि स्नेह और सुरक्षा का एक मजबूत बंधन है।
/sootr/media/media_files/2025/08/02/krishna-2025-08-02-15-42-01.jpeg)
श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी
महाभारत में एक बार शिशुपाल का वध करते समय भगवान श्रीकृष्ण की उंगली कट गई थी। खून बहता देख द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांध दी। यह निःस्वार्थ काम प्रेम और सेवा का सर्वोच्च उदाहरण था।
/sootr/media/media_files/2025/08/02/raakhii-2025-08-02-15-45-05.jpeg)
रक्षासूत्र की शुरुआत
द्रौपदी के इस उपकार के बदले में, भगवान श्रीकृष्ण ने हमेशा उनकी रक्षा का वचन दिया था। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी घटना के बाद से रक्षासूत्र या राखी बांधने की परंपरा की शुरुआत हुई, जहां भाई अपनी बहन की सुरक्षा का संकल्प लेते हैं।
/sootr/media/media_files/2025/08/02/bali-2025-08-02-15-45-35.jpeg)
मां लक्ष्मी और राजा बलि की कथा
दूसरी प्रमुख कथा भगवान विष्णु के भक्त राजा बलि से जुड़ी है, जो बहुत दानी थे। भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और उन्हें पाताल में निवास करने के लिए कहा। इससे राजा बलि को अपना सब कुछ गंवाना पड़ा।
/sootr/media/media_files/2025/08/02/rahkiia-2025-08-02-15-48-27.jpeg)
राखी की शक्ति
भगवान विष्णु के पाताल में रहने से चिंतित मां लक्ष्मी ने एक गरीब महिला का वेष धारण कर राजा बलि को राखी बांधी। राखी के बदले में राजा ने उनकी इच्छा पूछी, जिस पर मां लक्ष्मी अपने असली रूप में आईं और भगवान विष्णु को वापस मांगा। राखी का मान रखते हुए राजा बलि ने भगवान विष्णु को वापस जाने दिया।
/sootr/media/media_files/2025/08/02/raaakhii-2025-08-02-15-49-25.jpeg)
खून के रिश्ते से बढ़कर
ये कथाएं बताती हैं कि रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का पर्व केवल सगे भाई-बहन तक सीमित नहीं है। यह प्रेम, विश्वास, त्याग और एक-दूसरे की रक्षा के वचन का प्रतीक है, जो किसी भी रिश्ते में निस्वार्थ भाव से निभाया जा सकता है।
/sootr/media/media_files/2025/08/02/rakhii-2025-08-02-15-53-11.jpeg)
आज भी कायम है परंपरा
सदियों पुरानी ये पौराणिक कथाएं आज भी रक्षाबंधन (रक्षाबंधन 2025) के त्योहार की नींव हैं। जब बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं, तो वे इन्हीं प्राचीन प्रतिज्ञाओं और प्रेम की भावना को जीवंत करती हैं, जिससे यह परंपरा हमेशा पवित्र और महत्वपूर्ण बनी रहेगी।