सावन में मेहंदी क्यों है महिलाओं के लिए सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक, जानें इसका धार्मिक महत्व

सावन में मेहंदी लगाने की परंपरा सिर्फ खूबसूरती नहीं, बल्कि धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी रखती है। यह प्रकृति से जुड़ाव, सुहाग का प्रतीक और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, जो आपके घर में सुख-समृद्धि लाता है।

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Kaushiki
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SAWAN MEIN MENDHI
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सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस पवित्र माह में चारों ओर हरियाली छाई रहती है, जो प्रकृति के सौंदर्य और जीवन की नई ऊर्जा का प्रतीक है। सावन में भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ मेहंदी लगाने का भी विशेष महत्व है।

यह परंपरा सिर्फ सौंदर्य से जुड़ी नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं। आइए जानते हैं सावन में महिलाओं को मेहंदी क्यों लगानी चाहिए और इसके क्या-क्या अद्भुत फायदे होते हैं...

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सावन में क्यों महिलाएं लगाती हैं मेहंदी

शास्त्रों में सावन के महीने को हरित्मय बताया गया है, यानी चारों तरफ हरियाली छाई रहती है। ऐसे में प्रकृति के साथ एकरूपता स्थापित करने के लिए भी महिलाएं सावन में मेहंदी लगाती हैं।

यह एक ऐसा रिवाज है जो सदियों से चला आ रहा है और भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग बन चुका है। सावन में महिलाओं द्वारा मेहंदी लगाने के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं, जिनमें धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक समझ दोनों शामिल हैं:

  • प्रकृति से जुड़ाव: शास्त्रों में महिलाओं को प्रकृति का रूप माना गया है। सावन में जब पूरी प्रकृति हरे रंग में रंग जाती है, तो महिलाएं भी मेहंदी लगाकर इस हरियाली और प्रकृति की नई ऊर्जा के साथ पहचान स्थापित करती हैं। यह उन्हें प्रकृति के करीब महसूस कराता है।
  • शीतल तासीर और स्वास्थ्य लाभ: मेहंदी की तासीर शीतल होती है। सावन के महीने में अत्यधिक बारिश और नमी के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं, जैसे फंगल इन्फेक्शन या एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में मेहंदी की शीतलता त्वचा को इन समस्याओं से बचाने में मदद करती है और शरीर को ठंडा रखती है। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मेहंदी के उपयोग का एक महत्वपूर्ण कारण है।
  • मन को संयमित रखना: पुराणों में बताया गया है कि सावन के महीने में पुरुष और स्त्री दोनों को ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करना चाहिए। मेहंदी लगाने के पीछे एक वजह यह भी है कि इसकी शीतल प्रकृति मन को संयमित रखने में सहायक होती है। यह मानसिक शांति प्रदान करती है और विचारों को शांत रखती है।
  • यही वजह है कि सावन के महीने में अक्सर नवविवाहित कन्याएं पति से दूर अपने मायके में रहने जाती हैं और वहां भक्तिभाव से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।

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मेहंदी और माता पार्वती का संबंध

पौराणिक मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन के महीने में कठोर तप किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

तभी से सावन महिलाओं के लिए सुहाग और अखंड सौभाग्य की कामना से जुड़ा माना जाता है। इस महीने में मेहंदी लगाना माता पार्वती को प्रसन्न करता है और उनके आशीर्वाद से पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है। यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीक है जो भक्ति, प्रेम और कल्याण को जोड़ता है।

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सावन में मेहंदी लगाने के लाभ

सावन में महिलाएं क्यों लगाती हैं मेहंदी? जानिए इसका धार्मिक और स्वास्थ्य  संबंधी महत्व

  • सुहाग का प्रतीक: मेहंदी वैवाहिक सुख और पति की लंबी आयु का प्रतीक है।
  • पार्वती जी का आशीर्वाद: माता पार्वती को प्रसन्न करती है, जो अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।
  • रिश्तों में प्रेम: मेहंदी का गहरा रंग पति-पत्नी के प्रेम और तालमेल को दर्शाता है।
  • वैज्ञानिक लाभ: मेहंदी की शीतलता त्वचा रोगों से बचाती है और शरीर को ठंडा रखती है।
  • मन का संयम: यह मन को शांत और संयमित रखने में सहायक होती है।
  • त्योहारों का महत्व: रक्षाबंधन पर भाई की लंबी उम्र और हरियाली तीज पर पति की दीर्घायु के लिए लगाई जाती है।

सावन में मेहंदी लगाना सिर्फ एक परंपरा या सौंदर्य का साधन नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, स्वास्थ्य, धार्मिक आस्था और वैवाहिक संबंधों की मजबूती का एक सुंदर प्रतीक है।

यह हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है और हमें अपने आस-पास की हरियाली और जीवन के उत्सव को मनाने का अवसर देता है। तो, इस सावन में अपनी हथेलियों पर मेहंदी रचाकर इस पवित्र महीने के सभी लाभ प्राप्त करें और अपने जीवन में खुशियां और समृद्धि लाएं।

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