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सावन का पवित्र महीना भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति के लिए समर्पित होता है। इस माह में पड़ने वाले हर एक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं।
जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छे जीवनसाथी की कामना के साथ इसे करती हैं। इस साल सावन माह में कुल 4 मंगला गौरी व्रत पड़ रहे हैं, जिनमें से पहला 15 जुलाई को था।
अब भक्तों को दूसरे मंगला गौरी व्रत का बेसब्री से इंतजार है जो 22 जुलाई को है। यह दूसरा मंगला गौरी व्रत बेहद खास होने वाला है, क्योंकि इस दिन 5 शुभ संयोग बन रहे हैं, जो इस व्रत के फल को कई गुना बढ़ा देंगे।
आइए जानते हैं सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत कब है, इसके शुभ मुहूर्त और इन 5 अद्भुत संयोगों के बारे में विस्तार से।
व्रत की तारीख और मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत 22 जुलाई 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह दिन श्रावण कृष्ण द्वादशी तिथि को पड़ रहा है।
तिथि का समय:
- श्रावण कृष्ण द्वादशी तिथि: 22 जुलाई 2025 को सुबह 7 बजकर 05 मिनट तक रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ होगा।
- त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए यह दिन और भी विशेष हो जाता है।
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पूजा के शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक,
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:14 AM से 04:56 AM तक। यह समय स्नान और ध्यान के लिए उत्तम माना जाता है।
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 PM से 12:55 PM तक। इस मुहूर्त में कोई भी शुभ कार्य करना अत्यंत फलदायी होता है।
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:44 PM से 03:39 PM तक।
- सूर्योदय: सुबह 5 बजकर 37 मिनट पर।
- सूर्यास्त: शाम 7 बजकर 18 मिनट पर।
अन्य शुभ मुहूर्त:
- लाभ-उन्नति मुहूर्त: सुबह 10:45 AM से 12:27 PM तक
- अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: दोपहर 12:27 PM से 02:10 PM तक
- शुभ-उत्तम मुहूर्त: दोपहर 03:53 PM से 05:35 PM तक
- इन शुभ मुहूर्तों में माता गौरी और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से व्रत का अधिकतम फल प्राप्त होता है।
शुभ संयोग जो बढ़ाएंगे व्रत का महत्व
पंचांग के मुताबिक, 22 जुलाई 2025 को पड़ने वाला दूसरा मंगला गौरी व्रत इन 5 अद्भुत संयोगों के कारण और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है:
- मंगलवार व्रत: मंगला गौरी व्रत मंगलवार को ही रखा जाता है तो यह खुद में एक विशेष संयोग है। इस दिन भक्त राम भक्त हनुमान जी की भी पूजा करते हैं, जिससे बल, बुद्धि और साहस की प्राप्ति होती है।
- सावन प्रदोष व्रत: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, यह सावन माह का पहला प्रदोष व्रत भी है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से दुख, दोष और नकारात्मकता दूर होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- मंगला गौरी व्रत: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, अखंड सौभाग्य और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए यह व्रत विशेष रूप से किया जाता है। माता गौरी के साथ भगवान शिव की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- द्विपुष्कर योग: इस दिन द्विपुष्कर योग सुबह 05:37 AM से 07:05 AM तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, इस योग में किए गए किसी भी शुभ कार्य का दोगुना फल प्राप्त होता है। यह योग विशेष रूप से धन संबंधी कार्यों और निवेश के लिए शुभ माना जाता है।
- ध्रुव योग: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मंगला गौरी व्रत पर ध्रुव योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 3 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। यह योग स्थिरता और शुभता का प्रतीक माना जाता है। इस योग में किए गए कार्य स्थायी और मजबूत होते हैं। इसके बाद व्याघात योग बनेगा।
इन पांच शुभ संयोगों के कारण 22 जुलाई 2025 का मंगला गौरी व्रत अत्यंत फलदायी माना जा रहा है।
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मंगला गौरी व्रत की पूजन सामग्री
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मंगला गौरी व्रत का महत्व
सावन में सुहागन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं मंगला गौरी का व्रत पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ रखती हैं। इस व्रत को करने से जीवन में कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं:
- अखंड सौभाग्य: सुहागन महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं। माता गौरी की कृपा से उनके वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति: जिन कुंवारी कन्याओं के विवाह में कोई बाधा आ रही हो या वे अपनी पसंद के उत्तम जीवनसाथी की कामना करती हों, उनके लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। माता गौरी की कृपा से उन्हें मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है।
- दांपत्य जीवन में मधुरता: यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने में मदद करता है। वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं और संबंध मजबूत बनते हैं।
- नकारात्मकता का नाश: मंगला गौरी व्रत के प्रभाव से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
मंगला गौरी व्रत के दिन विधि-विधान से पूजा करने और सच्चे मन से प्रार्थना करने पर माता गौरी और भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यह व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाने का भी एक माध्यम है।
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