शनिश्चरी अमावस्या पर ऐसे करें हनुमान जी की पूजा, शनि की साढ़े साती और ढैया का प्रभाव होगा कम

यह शनिवारी अमावस्या का दिन बेहद खास है, जहां शनि देव के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा करने से शनि दोष और अन्य कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ और काली वस्तुओं का दान विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

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Kaushiki
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Shani Amavasya 2025
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Shanishchari Amavasya 2025: इस बार 23 अगस्त 2025 को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की शनिवारी अमावस्या का दिन बेहद खास है। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनिश्वरी अमावस्या कहा जा रहा है, जिसका धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है। 

इस दिन किए गए पूजा-पाठ और दान-पुण्य से शनिदेव (शनिश्चरी अमावस्या) की कृपा प्राप्त होती है और पितरों को भी शांति मिलती है। इस दिन शनि देव के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।

हनुमान जी की पूजा करने से शनि देव भी प्रसन्न होते हैं और उनके भक्तों को शनि दोषों से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, हनुमान जी ने अपनी शक्ति से शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराया था।

इससे प्रसन्न होकर शनिदेव ने हनुमान जी को वरदान दिया था कि वे कभी भी उनके भक्तों को परेशान नहीं करेंगे। यही कारण है कि शनि की साढ़े साती या ढैया से पीड़ित लोगों के लिए हनुमान जी की पूजा सबसे कारगर उपाय मानी जाती है। 

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पिठोरा या कुशग्रहणी अमावस्या

इस अमावस्या का एक और नाम पिठोरा या कुशग्रहणी अमावस्या भी है। इस दिन धार्मिक कार्यों के लिए कुश या पवित्रा का संग्रह किया जाता है। वैदिक पद्धति के मुताबिक, इस दिन कुश को इकट्ठा करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, 23 अगस्त को एक विशेष योग बन रहा है। इस दिन सूर्य, चंद्र और केतु की युति सिंह राशि में होगी। यह स्थिति पितृ दोष से मुक्ति के लिए बहुत शुभ मानी जाती है।  जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उन्हें इस दिन पितृ पूजन, तर्पण और पिंडदान करने से विशेष लाभ मिल सकता है।

 हनुमान-शनिदेव की कृपा

ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, शनिश्वरी अमावस्या का दिन शनिदेव की पूजा, पितृ तर्पण और दान-पुण्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। इस दिन ऐसे करें हनुमान जी की पूजा,

  • शनि दोष से मुक्ति: हनुमान जी की पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैया के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है।
  • ग्रहों की शांति: हनुमान जी की पूजा से शनि सहित सभी ग्रहों की शांति होती है और जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि: बजरंगबली की पूजा करने से साहस, बल और बुद्धि का विकास होता है, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है और हर कार्य में सफलता मिलती है।
  • शत्रुओं पर विजय: हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है, उनकी पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
  • आर्थिक लाभ: हनुमान जी की कृपा से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: हनुमान जी की पूजा से रोग और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • मानसिक शांति: हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करने से मन शांत होता है और मानसिक तनाव दूर होता है।
  • पितरों की कृपा: शनि अमावस्या के दिन हनुमान जी की पूजा के साथ-साथ पितरों का तर्पण करने से उनका आशीर्वाद मिलता है।

हनुमान जी की पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • हनुमान जी की प्रतिमा के सामने दीया जलाएं और सिंदूर चढ़ाएं।
  • हनुमान जी को चमेली का तेल और गुड़-चने का भोग लगाएं।
  • हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करें।
  • शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि चालीसा का पाठ करना भी बहुत शुभ माना जाता है।
  • पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान करें।

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शनिदेव की कृपा पाने उपाए

ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, शनिश्वरी अमावस्या (अमावस्या तिथि)पर शनिदेव की कृपा पाने और उनके अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए कुछ खास उपाय किए जा सकते हैं।

  • पीपल के पेड़ की पूजा: शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • काली वस्तुओं का दान: काले तिल, उड़द दाल, काला कपड़ा या लोहे की कोई वस्तु गरीबों को दान करें।
  • शनि मंत्र का जाप: "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
  • दीप दान: शाम को घर के मुख्य द्वार पर और पीपल के पेड़ के नीचे दीप दान करें।

शनि अमावस्या पर ये उपाय करने से आपके जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर होंगी और आपको हनुमान जी के साथ-साथ शनि देव का भी आशीर्वाद मिलेगा।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। Amavasya Tithi

FAQ

शनिश्वरी अमावस्या का क्या महत्व है और इस दिन क्या करना चाहिए?
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, शनिश्वरी अमावस्या का दिन शनिदेव की पूजा, पितृ तर्पण और दान-पुण्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों को याद किया जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है। इसके अलावा, शनिदेव के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए लोग शनि मंदिर जाकर तेल का अभिषेक करते हैं और शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान का कई गुना अधिक फल मिलता है।
23 अगस्त को बन रही सूर्य-चंद्र-केतु की युति का क्या प्रभाव होगा?
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, 23 अगस्त को सूर्य, चंद्र और केतु की युति सिंह राशि में होगी। यह एक दुर्लभ संयोग है। यह युति विशेष रूप से पितरों से संबंधित मानी जाती है। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें इस दिन तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन कराने से लाभ मिल सकता है। यह योग पितरों की अनुकूलता प्राप्त करने और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
शनि की साढ़ेसाती और ढैया से प्रभावित राशियों को क्या उपाय करने चाहिए?
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैया का प्रभाव है, उन्हें शनिश्वरी अमावस्या पर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इन जातकों को शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, शनि मंदिर में तिल का तेल अर्पित करना चाहिए और काली वस्तुओं जैसे काला कपड़ा, उड़द दाल, या लोहे का दान करना चाहिए। इससे शनि का अशुभ प्रभाव कम होता है और जीवन में आने वाली मुश्किलें दूर होती हैं।

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