Shankaracharya Avimukteshwarananda Saraswati Statement : बच्चे कितने होने चाहिए। धर्म क्या कहता है? धर्म के अनुसार कितने बच्चे होने चाहिए ? अक्सर लोगों के मन में ऐसे प्रश्न उठते हैं।
इन प्रश्नों के उत्तर में कई विवादित बयान भी सामने आए है। किसी ने 5 बच्चों तो किसी ने चार बच्चे होना आदर्श बताया है। इसी कड़ी में ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने धर्म के अनुसार कितने बच्चे हो इसका जवाब दिया है।
बच्चे पैदा करने को लेकर कही ये बात
शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, धर्म और शास्त्रों के अनुसार एक सनातनी दंपत्ति को ‘हमारे यहां ‘बहु पुत्रवति भव’ का आशीर्वाद हमेशा से दिया जाता है। ‘बहु’ का मतलब होता है बहुवचन। हिंदी में दो वचन होते है, एक वचन और बहुवचन। बहुवचन वो जो एक से ज्यादा हो।
संस्कृत में तीन वचन होते है एक वचन, द्विवचन और बहुचन। दो वस्तुओं के लिए द्विवचन का होता है, और बहुवचन दो से अधिक के लिए उपयोग किया जाता है। इसका अर्थ है कि तीन तो होने ही चाहिए। बहु पुत्रवति में ‘बहु’ शब्द इसी बात को दर्शाता है।
पुत्र -पुत्री दोनों स्वागत के योग्य
शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आगे कहा कि ‘हमारे यहां पहले नियोजन (प्लानिंग) नहीं किया जाता था। ये माना जाता था कि सहज में जब गर्भ धारण हो जाए तो संतान को जन्म लेने का अधिकार देना चाहिए।
अब ऐसी परिस्थिति हो रही है कि गर्भधारण तो हो रहा है, लेकिन उसकी भ्रूण हत्या की जा रही है। शास्त्रों में भ्रूण हत्या को मनुष्य की हत्या के समान ही माना गया है।
सबसे पहले तो दंपत्ति को भ्रूण हत्या नहीं करनी चाहिए। अगर धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो जितने भी पुत्र या पुत्रियां हों, वह सब भगवान की देन है और सभी (पुत्र या पुत्री ) स्वागत के योग्य होते हैं।’
- भ्रूण हत्या
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