सिंधी शादियों की शुरुआत ‘तिह’ रस्म से होती है। इस रस्म में दुल्हन के पंडित जी दूल्हे के घर जाकर उसके स्थान पर चावल, चीनी, खजूर और सूत लेकर जाते हैं।
इस दौरान सबसे पहले गणेश पूजा होती है। इसके बाद दूल्हे की गोद में कागज का टुकड़ा रखकर उसे आशीर्वाद दिया जाता है। यह रस्म दोनों परिवारों के बीच शुभ संकेत मानी जाती है और शादी के शुभारंभ की पुष्टि करती है।
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वनवास रस्म
‘वनवास’ रस्म में दूल्हा और दुल्हन के घर अलग-अलग स्थानों पर मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। सात शादीशुदा महिलाएं नहाने से पहले दूल्हा-दुल्हन के सिर पर तेल लगाती हैं।
इस रस्म में हल्दी लगाने से पहले बालों में तेल लगाना भी जरूरी होता है। यह रस्म सुहागन महिलाओं द्वारा की जाती है, जो दूल्हा-दुल्हन के विवाह की खुशहाली के लिए शुभ मानी जाती है।
जेन्या रस्म
जेन्या रस्म में पंडित जी दूल्हे को जनेऊ पहनाते हैं और मंत्रों का उच्चारण करते हुए उसकी जिम्मेदारियों का बोध कराते हैं। यह रस्म सिंधी शादियों की अनोखी परंपरा है क्योंकि, अन्य हिंदू विवाहों में जनेऊ पहनाने की रस्म पहले ही हो जाती है, लेकिन सिंधी विवाहों में इसे शादी से पहले खास तौर पर किया जाता है।
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देव बिठाना
यह रस्म दूल्हा-दुल्हन को बुरी नजर और काली ऊर्जा से बचाने के लिए की जाती है। इस दौरान घर में गणपति जी और अन्य देवताओं को आमंत्रित किया जाता है।
इसके बाद दूल्हा और दुल्हन शादी तक घर से बाहर नहीं जाते। यह धार्मिक रस्म शादी के माहौल को पवित्र और शुभ बनाती है।
खीरत सत
खीरत सत में पंडित जी देवी-देवताओं को दूध, इलायची आदि चढ़ाते हैं और इसका प्रसाद तैयार करते हैं। यह पारंपरिक प्रसाद शादी में देवताओं को समर्पित होता है और पूरे समारोह में शुभता का संचार करता है।
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दूल्हे को मापने की रस्म
शादी से पहले दूल्हे को मापने की रस्म भी निभाई जाती है। इसमें दूल्हे के शरीर को धागे की मदद से नापा जाता है। यह रस्म यह सुनिश्चित करती है कि दूल्हा शादी के लिए पूरी तरह तैयार है और यह भी भविष्य के लिए शुभ माना जाता है।
सिंधी शादी की अन्य प्रमुख रस्में
सिंधी विवाह में चुन्नी चढ़ाना, घड़ोली की रस्म, लघु वधू-वर मिलाप, और मेहंदी जैसे कई अन्य रस्में भी होती हैं, जो विवाह समारोह को रंगीन और यादगार बनाती हैं। ये रस्में परिवार और समाज के बीच प्रेम और एकता को मजबूत करती हैं।
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Shaadi | गुरू ग्रंथ सिख सिंधी समाज