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Latest Religious News:तेलंगाना में स्थित श्री बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर शिव भक्तों के लिए किसी दिव्य वरदान से कम नहीं है। धाम इसलिए खास है क्योंकि यहां एक ही जगह पर आपको 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का पुण्य मिल जाता है।
पौराणिक कथाओं में इस प्राचीन मंदिर की स्थापना स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने की थी। उन्होंने शिवलिंग के अभिषेक के लिए यहां अपने अस्त्र से एक झरना प्रकट किया था।
यह अद्भुत मंदिर भगवान शिव और राम के मिलन का प्रतीक है। यहां दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। यह आस्था का एक ऐसा केंद्र है, जहां की कठिन यात्रा भी भक्तों को खींच लाती है।
स्वयं भगवान राम ने की थी इसकी स्थापना
इस मंदिर को इतना खास बनाने के पीछे एक बहुत ही महत्वपूर्ण पौराणिक कथा है। माना जाता है कि इस प्राचीन मंदिर की स्थापना स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने की थी।
रावण का वध करने के बाद, जब भगवान राम अयोध्या लौट रहे थे, तब उन्हें सैकत लिंगम (जो भगवान शिव का स्वरूप है) की पूजा करनी थी।
यहां अभिषेक करने के लिए उन्हें पानी नहीं मिल रहा था। तब भगवान राम ने अपने अस्त्र से एक झरना प्रकट किया। आज भी उसी पवित्र जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। "बुग्गा" शब्द का अर्थ झरना या जलधारा होता है। इसीलिए, इस मंदिर को श्री बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
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12 ज्योतिर्लिंगों की अद्भुत कतार
जैसे ही आप मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से अंदर जाते हैं, तो सामने एक अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। यहां पर एक कतार में बारह ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं।
सबसे खास बात यह है कि इन सभी ज्योतिर्लिंगों पर लगातार जल बहता रहता है। भक्तों का ऐसा विश्वास है कि इन सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने से उन्हें देशभर के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का पुण्य मिलता है।
मंदिर के गर्भगृह में मुख्य शिवलिंग विराजमान है। यहां भगवान शिव अपनी माता पार्वती के साथ भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। जिस झरने के जल से यहां शिवलिंग का अभिषेक होता है, उसे औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। मान्यता है कि इस पवित्र जल के प्रभाव से भक्तों को कई तरह के रोगों से छुटकारा भी मिल सकता है।
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दर्शन से पहले कालभैरव की पूजा जरूरी
इस मंदिर के दर्शन की एक खास परंपरा है। कहते हैं कि यहां दर्शन से पहले, भक्तों को इसन्नापल्ली क्षेत्र में स्थित कालभैरव स्वामी मंदिर के दर्शन जरूर करने चाहिए। ऐसा करने पर ही मुख्य भगवान बुग्गा रामलिंगेश्वर के दर्शन संपूर्ण माने जाते हैं। यह परंपरा भक्तों की आस्था को और मजबूत करती है।
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मंदिर में अन्य देवी-देवताओं का वास
यह मंदिर (भगवान शिव का पूजन) परिसर बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर परिसर में भक्तों को नवग्रहों के लिए अलग-अलग मंदिर देखने को मिलते हैं। इसके अलावा, यहां भगवान हनुमान, भगवान गणेश और संतान नाग मंदिर भी स्थापित हैं।
संतान नाग मंदिर के दर्शन के बारे में एक खास मान्यता है। कहा जाता है कि यहां पूजा करने से भक्तों को उत्तम गुणी संतान की प्राप्ति होती है। मंदिर परिसर में दर्शन के लिए धर्मशाला, गोशाला, आश्रम और वीरभद्र बगीचा भी मौजूद हैं।
मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर मंगला गौरी देवी का मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि (देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंग) जो भी भक्त मंगला गौरी देवी को श्रृंगार अर्पित करता है, उसे अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है। यह मंदिर वाकई में दिव्यता और आस्था का केंद्र है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट
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