मध्य प्रदेश की महाकाल ( mahakal temple ) की नगरी यानी उज्जैन में भक्तों को एक और मंदिर मिलने जा रहा है। यह मंदिर उज्जैन में उस वक्त मिला, जब साल 2021 में महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल परिसर के निर्माण कार्य के लिए खुदाई की गई थी। महाकाल परिसर में लगभग 3 साल पहले खुदाई में मिले मंदिर का रिकंस्ट्रक्शन किया जा रहा है। इसके पहले पुरातत्व विभाग यह जानकारी जुटाने में लगा हुआ है कि मंदिर परिसर में मिला एक और मंदिर भगवान शिव का है या किसी और देवता का है।
विशेषज्ञों ने कहा इस तरह खुलेगा मंदिर का राज
विशेषज्ञों के अनुसार प्राचीन मंदिर किस देवता का है, इसकी पहचान के लिए कुछ नियम हैं। जैसे मंदिर के शिखर व द्वार शाखा पर स्थित देवता के चिन्ह से पता चलता है कि मंदिर किस देवता का है। जैसे- यदि गरुड़ हैं, तो मंदिर विष्णु भगवान का होगा शिखर दल पर गणेश जी हैं, तो शिव मंदिर होगा। मंदिर के आधार भाग को देखने पर स्पष्ट हो जाएगा कि यह प्राचीन मंदिर किस देवता का है। फिलहाल अबतक मिले अवशेष इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि यह शिव मंदिर ही हो सकता है।
ये खबर भी पढ़िए...
एयर एंबुलेेंस: CM मोहन तैयारी करते रहे, उत्तराखंड में सिंधिया का ऐलान
मंदिर से जुड़ी जानकारी
एएसआई के द्वारा इस मंदिर का निर्माण 6 महीने में हो जाएगा। इसे बनाने में करीब 65 लाख रुपेए की लागत आ सकती है। इस मंदिर के बन जाने के बाद महाकाल लोक की खूबसूरती और बढ़ जाएगी। यह मंदिर परिसर से कुछ ही दूरी पर बनाया जा रहा है। एएसआई के मुताबिक, जब इस मंदिर के अवशेषों की जांच की गई तो पता चला कि ये एक हजार साल पुराने हैं। जहां खुदाई हुई वहां शिवलिंग,आमलक,स्तंभ, कुंभ भाग, आदि अवशेष मिले हैं।
।इस हिसाब से उन्हें जोड़कर मंदिर का निर्माण प्राचीन स्वरूप में ही किया जा रहा है। उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि प्राचीन मंदिर निर्माण में करीब 95 प्रतिशत पुराने पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है। जिस स्थान से पत्थर क्षतिग्रस्त हुए हैं केवल वहीं नए पत्थरों का उपयोग किया जाएगा।पुरातत्व विभाग मंदिर निर्माण के बाद मंदिर समिति को सौंप देगा।
ये भी पढ़िए...
नगर निगम बिल घोटालाः डिप्टी डायरेक्टर समरसिंह पर होगी कार्रवाई, 4 साल पहले भी भ्रष्टाचार में हो चुके सस्पेंड