हिंदू धर्म में विवाह संस्कार को बेहद शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। विवाह मुहूर्त का चयन केवल आस्थाओं से जुड़ा नहीं है, इसे ज्योतिष शास्त्र में भी बहुत खासा महत्व दिया जाता है।
हर साल कई महत्वपूर्ण विवाह मुहूर्त होते हैं जो समय की विशिष्टता और ग्रहों की स्थिति के अनुसार निर्धारित होते हैं। ऐसे में 2025 में विवाह के लिए अंतिम शुभ मुहूर्त 8 जून को है। इसके बाद एक लंबे समय तक यानी चार माह तक मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा।
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क्यों थम जाएंगे विवाह मुहूर्त क्यों थम जाएंगे
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, 8 जून के बाद गुरु ग्रह अस्त हो जाएंगे। गुरु को वैवाहिक जीवन का कारक ग्रह माना जाता है और उनके अस्त होने पर विवाह जैसे मांगलिक कार्यों पर प्रभाव पड़ता है।
11 जून को गुरु ग्रह पूरब दिशा में अस्त हो जाएंगे और इसके बाद से चातुर्मास की अवधि शुरू हो जाएगी। इसमें सभी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, जनेऊ, गृह प्रवेश, मुंडन आदि पर रोक लगा दी जाती है। यह अवधि करीब चार माह तक चलेगी।
गुरु ग्रह का विवाह पर प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, गुरु ग्रह को दांपत्य सुख का कारक माना जाता है। जब यह ग्रह अस्त होता है, तो इसका प्रभाव दांपत्य जीवन पर पड़ सकता है, जिससे वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। गुरु ग्रह के अस्त होने के कारण यह समय विवाह के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता।
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चातुर्मास में क्या होता है
चातुर्मास की अवधि के समय, धार्मिक और मांगलिक कार्यों में रुकावट आती है। इस दौरान विशेष रूप से शुभ कार्यों में बाधा आती है। यह समय आत्मनिरीक्षण, साधना और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए उपयुक्त होता है। चातुर्मास के दौरान विवाह के शुभ मुहूर्त भी समाप्त हो जाते हैं।
विवाह मुहूर्त की शुरुआत
हिंदू पंचांग के मुताबिक, प्रबोधिनी एकादशी जो इस वर्ष 1 नवंबर को पड़ेगी, मांगलिक कार्यों की शुरुआत का दिन होता है। इसके बाद से विवाह के मुहूर्त फिर से शुरू हो जाएंगे और नवंबर-दिसंबर के दौरान कुल 13 विवाह मुहूर्त रहेंगे।
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नवंबर-दिसंबर में विवाह मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, नवंबर और दिसंबर में कुल 13 विवाह मुहूर्त होंगे, जिनमें से महत्वपूर्ण मुहूर्त इस प्रकार हैं:
नवंबर में: 18, 19, 21 से 25 तक और 29-30 नवंबर
दिसंबर में: 01, 04, 05 और 06 दिसंबर
इन तिथियों में विवाह की शहनाइयों की गूंज सुनाई देगी और दंपतियों का शुभ विवाह संपन्न होगा।
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