शादी से पहले दुल्हन को मेहंदी क्यों लगाई जाती है, जानें क्यों जरूरी है यह रस्म

शादी में मेहंदी का महत्व सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक होता है। यह एक प्राचीन परंपरा है, जो दुल्हन के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने के लिए मानी जाती है।

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Kaushiki
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भारतीय शादियों में मेहंदी का अहम स्थान है। यह न केवल सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है, बल्कि यह दुल्हन और दूल्हे के बीच प्यार और सम्मान का भी संकेत है। सदियों से चली आ रही यह परंपरा शादी के खास दिन की सुंदरता और खुशी को बढ़ाने का काम करती है।

शादी से पहले मेहंदी क्यों लगाई जाती है

मेहंदी लगाने की परंपरा का इतिहास बेहद प्राचीन है। यह प्राचीन समय से भारत में एक पवित्र रीति-रिवाज के रूप में निभाई जा रही है। शादियों में दुल्हन के हाथों और पैरों में मेहंदी लगाई जाती है, जो उसकी सुंदरता और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है। मेहंदी का रंग जितना गहरा होता है, उतना ही यह नवविवाहित जोड़े के लिए भाग्यशाली होता है।

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मेहंदी का धार्मिक महत्व

भारतीय संस्कृति में मेहंदी का विशेष स्थान है और इसे 16 श्रृंगार का हिस्सा माना जाता है। इसे सौभाग्य और खुशी का प्रतीक भी माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो मेहंदी का उपयोग लगभग पांच हजार साल से हो रहा है। इसे हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्मों में भी एक पारंपरिक महत्व दिया गया है।

मेहंदी लगाने की परंपरा का इतिहास

ऐसा माना जाता है कि मेहंदी का प्रयोग सबसे पहले मुगलों द्वारा भारत में लाया गया था, जब उन्होंने 12वीं शताब्दी में इसका इस्तेमाल शुरू किया था।

इसके अलावा, क्लियोपेट्रा जैसी राजकुमारी भी अपने शरीर को सजाने के लिए मेहंदी का उपयोग करती थीं, जिससे यह प्राचीन कला एक बॉडी आर्ट के रूप में विकसित हुई।

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शादी में मेहंदी लगाने का प्रभाव

शादी में मेहंदी लगाना एक अच्छा शगुन माना जाता है। इसके अलावा, यह दुल्हन और दूल्हे के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करता है। माना जाता है कि अगर मेहंदी का रंग गहरा होता है, तो यह दंपत्ति के जीवन में प्यार और सौहार्द का प्रतीक बनता है। यह परिवार के रिश्तों में भी मधुरता का प्रतीक है।

क्यों मेहंदी को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है

मेहंदी के रंग का गहरा होना दुल्हन की खुशी, समृद्धि और शुभता का संकेत माना जाता है। इसे एक शगुन के रूप में शादी के समय लगाया जाता है, जिससे नवविवाहित जीवन में खुशियों का आगमन होता है। यही कारण है कि इसे भारतीय शादियों में एक अनिवार्य रस्म के रूप में मनाया जाता है।

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