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सनातन धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य को करने से पहले ग्रहों की स्थिति का विशेष महत्व होता है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, जून 2025 में केवल पांच ही ऐसे शुभ मुहूर्त हैं जब विवाह किया जा सकता है। इसके बाद लगभग 5 महीने तक मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। यह लंबा अंतर गुरु ग्रह के अस्त होने के कारण है।
गुरु ग्रह का अस्त होना
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, 8 जून 2025 को गुरु ग्रह (बृहस्पति) अस्त हो जाएगा और 9 जुलाई 2025 को उदय होगा। इस अवधि में मांगलिक कार्यों का निषेध होता है।
इसके पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। भगवान विष्णु अब 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर जागते हैं। इसी कारण से इस दौरान विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।
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जून 2025 के शुभ विवाह मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, जून में विवाह के लिए केवल ये 5 मुहूर्त उपलब्ध हैं:
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2 जून, सोमवार सुबह 8:21 से रात 8:34 तक
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4 जून, बुधवार सुबह 8:29 से 5 जून सुबह 5:32 तक
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5 जून, गुरुवार सुबह 5:23 से सुबह 9:14 तक
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7 जून, शनिवार सुबह 9:40 से सुबह 11:18 तक
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8 जून, रविवार दोपहर 12:18 से 12:42 तक
इन मुहूर्तों में विवाह कराना अत्यंत शुभ माना जाता है। इन दिनों विवाह कराने से जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।
गुरु ग्रह अस्त काल में क्या करें
- ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, इस अवधि में कोई भी मांगलिक कार्य, जैसे शादी, गृह प्रवेश, नामकरण आदि टालना चाहिए।
- अगर विवाह की योजना बनी हो तो इन शुभ मुहूर्तों का लाभ उठाएं।
- इस समय दान-पुण्य और धार्मिक अनुष्ठान कर सकते हैं।
- गुरु ग्रह के उदय के बाद फिर से शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।
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देवशयनी एकादशी का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी, जब विष्णु भगवान योग निद्रा में चले जाते हैं। यह दिन धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन से मांगलिक कार्यों पर रोक लगती है और यह स्थिति देवउठनी एकादशी (1 नवंबर) तक बनी रहती है।
विवाह मुहूर्त का महत्व
शादी के मुहूर्त को शुभ मानना इस बात को दर्शाता है कि शुभ समय पर शुरू हुआ कार्य सफल और सुखद होता है। ज्योतिषीय गणना और ग्रहों की स्थिति इस बात को सुनिश्चित करती है कि जोड़े का जीवन सुख-समृद्धि से भरा रहेगा।
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