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भारत में शादी का विषय सांस्कृतिक, सामाजिक और कानूनी तौर पर से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल दो व्यक्तियों के बीच एक सामाजिक बंधन है, बल्कि यह परिवार और समाज के विकास का भी आधार माना जाता है।
शादी की सही उम्र का निर्धारण देश की सामाजिक प्रगति, स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक स्थिरता से जुड़ा हुआ है। आज हम भारत में शादी की सही उम्र के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।
भारत में विवाह की कानूनी आयु क्या है?
भारतीय कानून के अनुसार, विवाह की न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है। यह आयु विवाह की कानूनी स्वीकृति के लिए अनिवार्य है।
भारत सरकार ने बाल विवाह को रोकने और युवा पीढ़ी को शिक्षा तथा बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए यह नियम बनाया है। इसके अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु में विवाह करना गैरकानूनी है और इसके लिए कड़ी कार्रवाई की जाती है।
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शादी की सही उम्र क्यों महत्वपूर्ण है?
शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए
शरीर की विकासशील अवस्था में शादी और उससे जुड़ी जिम्मेदारियां युवाओं पर भारी पड़ सकती हैं। कम उम्र में शादी से मातृ और शिशु स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जैसे गर्भावस्था में जटिलताएं और बाल मृत्युदर में वृद्धि।
साथ ही, मानसिक विकास भी अधूरा रह जाता है जिससे व्यक्ति सामाजिक और पारिवारिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है।
शिक्षा और कैरियर विकास के लिए
शादी की सही उम्र का चुनाव युवाओं को अपनी शिक्षा पूरी करने और करियर बनाने का अवसर देता है। भारत में विशेषकर लड़कियों के लिए शिक्षा का महत्व बढ़ रहा है, और देर से विवाह से उनकी आत्मनिर्भरता और सामाजिक स्थिति में सुधार होता है।
सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए
जब युवा आर्थिक रूप से सक्षम और मानसिक रूप से परिपक्व होते हैं, तब उनका विवाह सफल और स्थिर होता है। कम उम्र में विवाह होने पर आर्थिक दबाव और सामाजिक समस्याएं बढ़ सकती हैं, जिससे परिवारिक विवाद और अस्थिरता का खतरा रहता है।
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शादी करने से पहले इन 8 पॉइंट्स को जरूर ध्यान रखें
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व्यक्तित्व और स्वभाव – आप दोनों के स्वभाव और सोच मेल खाते हैं या नहीं।
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आर्थिक स्थिति – परिवार की आर्थिक स्थिरता और भविष्य की योजनाएं।
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शिक्षा और कैरियर – दोनों की शिक्षा स्तर और कैरियर की दिशा।
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परिवार और संस्कृति – परिवार के मूल्य, परंपराएं और सांस्कृतिक मेल।
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संचार और समझदारी – एक-दूसरे से खुलकर बात करने और समस्याओं को समझने की क्षमता।
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जीवन के लक्ष्य – भविष्य की प्राथमिकताएं और लक्ष्य समान हों।
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स्वास्थ्य – शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान।
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सहयोग और समर्पण – एक-दूसरे के प्रति सहयोग और समर्पण की भावना।
सरकार की पहल और कानून
भारत सरकार ने बाल विवाह निषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act, 2006) के तहत बाल विवाह को प्रतिबंधित किया है।
इसके साथ ही विभिन्न राज्यों में जागरूकता अभियान, शिक्षा को प्रोत्साहन और विवाह की कानूनी उम्र का पालन सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं।
भारत में शादी की औसत उम्र
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, भारत में लड़कियों की औसत विवाह की उम्र लगभग 22.1 वर्ष है, जो पिछले दशकों की तुलना में बढ़ी है। वहीं लड़कों की औसत शादी की उम्र लगभग 26 वर्ष है।
यह संकेत है कि समाज में विवाह की सही उम्र को लेकर जागरूकता बढ़ रही है।
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सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएं
भारत में कई क्षेत्रीय और सामाजिक समूहों में बाल विवाह या जल्दी शादी की प्रथा आज भी प्रचलित है। धार्मिक आस्थाएं, पारंपरिक सोच, आर्थिक दबाव और सामाजिक दबाव के कारण युवा अपनी इच्छा के विपरीत जल्दी शादी करते हैं।
इससे निपटने के लिए सरकार और सामाजिक संस्थाएं निरंतर प्रयासरत हैं।
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