आज के बदलते समय के साथ रिश्तों के मायने भी बदल रहे हैं। भारत में जहां शादी को हमेशा एक पवित्र और मजबूत बंधन माना जाता था, वहीं अब ओपन मैरिज का चलन तेजी से बढ़ रहा है।
पारंपरिक शादी के नियमों से अलग यह कॉन्सेप्ट लोगों को अधिक आजादी और समझदारी का मौका देता है। चलिए जानें कि ओपन मैरिज क्या है और भारत में इसका चलन कैसा है।
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ओपन मैरिज क्या है
भारतीय समाज में विवाह को केवल दो लोगों का नहीं बल्कि दो परिवार और समाज का मेल माना जाता है। पर ओपन मैरिज (Open Marriage) में पति-पत्नी आपसी सहमति से एक-दूसरे को दूसरे रोमांटिक पार्टनर्स के साथ रिश्ते रखने की अनुमति देते हैं।
यहां भरोसे और समझदारी के साथ सीमाएं, इच्छाएं और उम्मीदें साफ-साफ तय की जाती हैं। यह शादी का एक नया और खुला रूप है, जहां दोनों पार्टनर स्वतंत्रता के साथ अपनी जिंदगी जीते हैं।
किसके लिए है बेहतर
ओपन मैरिज उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है जो अपनी शादी में इमोशनल और फिजिकल फॉर्म से पूरी तरह जुड़ाव महसूस नहीं करते।
ऐसे कपल्स जो शादी के बंधन में रहते हुए भी खुश नहीं हैं, आपसी सहमति से दूसरे रिश्तों को स्वीकार करके जीवन को आसान और खुशहाल बना सकते हैं। इस तरह की शादी के लिए गहरी बातचीत और समझ जरूरी होती है।
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भारत में ओपन मैरिज का बढ़ता चलन
भारत में सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स जैसे टिंडर के कारण लोगों के सोचने का तरीका बदल रहा है। शहरों में लोग अपनी व्यक्तिगत आजादी के मुताबिक जीवन जीना पसंद कर रहे हैं।
कई बार शादी में इमोशनल या फिजिकल असंतुष्टि के कारण लोग नए रिश्ते बनाने की कोशिश करते हैं। इसलिए पारंपरिक शादी की जगह ओपन मैरिज धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है।
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ओपन मैरिज के फायदे
- पति-पत्नी एक-दूसरे को स्वतंत्रता देते हैं।
- व्यक्ति अपनी इच्छाओं को बिना दबाव के पूरा कर सकता है।
- यह एक ईमानदार रिश्ता होता है क्योंकि कपल्स आपसी सहमति से रिश्ते बनाते हैं, न कि छुपकर धोखा देते हैं।
- इससे झूठ-फरेब और अफेयर्स की संभावना कम होती है।
- ज़िंदगी में खुशी और संतुष्टि बढ़ती है।
ओपन मैरिज के नुकसान
- कभी-कभी एक पार्टनर को जलन या असुरक्षा महसूस हो सकती है।
- भारत में जॉइंट फैमिली की परंपरा के कारण समाज इसे आसानी से स्वीकार नहीं करता।
- बाहरी रिश्तों में गहरा लगाव होने पर पारंपरिक विवाह कमजोर हो सकता है।
- देश में अभी तक ओपन मैरिज को लेकर कोई कानून नहीं है।
- इसे पूरी तरह अपनाने में अभी भी कई सामाजिक चुनौतियां हैं।
भारत में परंपराओं की गहरी जड़ें हैं, इसलिए ओपन मैरिज का सफल होना पति-पत्नी के बीच समझ, सहमति और मानसिकता पर निर्भर करता है। व्यापक स्तर पर इसको मान्यता मिलना अभी कठिन है। हालांकि कुछ लोग इसे अपना रहे हैं, पर इसे पूरी तरह स्वीकारने में वक्त लगेगा।
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