मकर संक्रांति की तारीख हर साल क्यों बदलती है? जानें कारण

मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश पर मनाई जाती है। हर 71-72 साल में इसकी तारीख आगे खिसक जाती है। खगोलीय और ज्योतिषीय गणनाओं के कारण 2101 के बाद ये 15-16 जनवरी को मनाई जाएगी।

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Sourabh Bhatnagar
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MAKAR SANKRANTI 2025

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मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इसे सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक भी माना जाता है। इस साल 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जा रही है, जबकि 2024 में ये 15 जनवरी को मनाई गई थी।

मकर संक्रांति की तारीख में बदलाव का कारण ज्योतिष और खगोल विज्ञान से जुड़ा है। सौर वर्ष में 365 दिन और लगभग 6 घंटे का होता है। अंग्रेजी कैलेंडर में 365 दिन होते हैं, जिससे हर साल 6 घंटे बच जाते हैं। चार साल में ये 6 घंटे मिलकर एक दिन बना देते हैं, जिसे लीप ईयर में जोड़ा जाता है। इसी कारण मकर संक्रांति की तारीख धीरे-धीरे आगे खिसक जाती है।

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संक्रांति की तारीख का खिसकना

हर 71-72 साल में मकर संक्रांति की तारीख एक दिन आगे बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए- 1902 में ये पर्व 14 जनवरी को मनाया गया था, लेकिन 2101 के बाद ये 15 या 16 जनवरी को मनाया जाएगा। सूर्य के राशि परिवर्तन का समय हर साल बदलता है। अगर सूर्य दोपहर तक राशि बदलता है, तो संक्रांति उसी दिन मनाई जाती है। लेकिन अगर ये शाम या रात में होता है, तो पर्व अगले दिन मनाया जाता है।

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उत्तरायण और मकर संक्रांति में अंतर क्यों?

21 दिसंबर को सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ना शुरू करता है, जिसे खगोलीय रूप से उत्तरायण कहा जाता है। लेकिन मकर संक्रांति 14-15 जनवरी को मनाई जाती है। इसका कारण ये है कि, जब मकर संक्रांति मनाने की परंपरा शुरू हुई, तब सूर्य का मकर राशि में प्रवेश और उत्तरायण एक ही दिन होता था। समय के साथ खगोलीय गणना में बदलाव आया और दोनों घटनाओं में अंतर बढ़ गया।

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मकर संक्रांति का धार्मिक और स्वास्थ्य महत्व

मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ का सेवन और दान करना शुभ माना जाता है। तिल-गुड़ के स्वास्थ्य लाभों में शरीर को गर्म रखना और ऊर्जा प्रदान करना शामिल है। ये पर्व आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

FAQ

मकर संक्रांति की तारीख हर साल क्यों बदलती है?
खगोलीय गणनाओं और अंग्रेजी कैलेंडर में अंतर के कारण इसकी तारीख बदलती है।
मकर संक्रांति पर सूर्य का राशि परिवर्तन क्या होता है?
सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे मकर संक्रांति कहते हैं।
उत्तरायण और मकर संक्रांति में क्या अंतर है?
उत्तरायण 21 दिसंबर को होता है, जबकि मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश पर मनाई जाती है।
मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ का क्या महत्व है?
तिल-गुड़ का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है और इसे दान करना शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति 2101 के बाद कब मनाई जाएगी?
2101 के बाद मकर संक्रांति 15 या 16 जनवरी को मनाई जाएगी।

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