BHOPAL. हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल का तीसरा माह ज्येष्ठ का महीना कहा जाता है। इस महीने हनुमान जी, वरुण, सूर्य देव की पूजा बहुत खास मानी जाती है। इस माह में इनकी पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है। साथ ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस माह में ही हनुमान जी अपने प्रभु श्री राम से मिले थे। इस माह में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखकर मां लक्ष्मी की कृपा पाई जा सकती है। साथ ही, जीवन को संवारा जा सकता है। जानते हैं ज्येष्ठ का क्या है इसका महत्व-
ज्येष्ठ का स्वामी है मंगल
ज्येष्ठ माह का स्वामी मंगल को माना जाता है। ज्येष्ठ में गर्मी का प्रकोप रहता है, सूर्य का प्रकाश तेज होने से नदी, तालाब सूख जाते हैं, इसलिए इस माह में जल का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ मास में हनुमान जी, वरुण और सूर्य देव की पूजा बहुत खास मानी जाती है। वरुण जल के तो सूर्य देव अग्नि के देवता है।
ग्रह दोषों से मिलेगी मुक्ति
ग्रह दोषों से मुक्ति पाने के लिए इस माह में जल का दान और जल से संबंधित व्रत जैसे निर्जला एकादशी, गंगा दशहरा व्रत करना बहुत लाभकारी माना गया है। इससे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
कब से ज्येष्ठ माह हो रहा शुरू
ज्येष्ठ माह 6 मई 2023 शनिवार से शुरू हो रहा है। इसकी समाप्ति 4 जून 2023 रविवार को होगी। इसके बाद आषाढ़ का महीना शुरू हो जाएगा। ज्येष्ठ में सूर्य सबसे ताकतवर रहता है, यही वजह है कि इस माह में गर्मी तीव्र होती है। ज्येष्ठ महीने में जल का संरक्षण और पेड़-पौधों और जीवों को जल देने और उनकी रक्षा करने से कष्टों का नाश होता है। पितर प्रसन्न होते हैं और देवी लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं।
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ऐसे पड़ा माह का नाम 'ज्येष्ठ'
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस माह की पूर्णिमा पर ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग बनने से इस माह को ज्येष्ठ और जेठ कहा जाता है। प्राचीन काल गणना के अनुसार इस महीने में दिन बड़े होते हैं और सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इसका नाम ज्येष्ठ हुआ। इस माह में नौतपा भी लगता है।
ज्येष्ठ माह महत्व
पुराणों के अनुसार ज्येष्ठ के मंगलवार के दिन ही हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्रीराम से हुई थी, जिसके चलते इस महीने में मंगलवार को व्रत और बजरंगबली की पूजा का खास महत्व है। ऐसा करने पर स्वंय बजरंगी भक्त के सारे संकटों का नाश कर देते हैं। इसे बड़ा मंगल और बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है।
ज्येष्ठ माह में क्या करें
ज्येष्ठ में गर्मी भीषण होती है। ऐसे में इस महीने में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे व्रत रखे जाते हैं। ये व्रत प्रकृति में जल को बचाने का संदेश देते हैं। मान्यता है कि इस माह में जो जल से भरे कलश का दान, पेड़ों को जल को सींचते हैं, पशु-पक्षियों के पानी पीने व्यवस्था करते हैं उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता, साथ ही उसके समस्या पापों का नाश हो जाता है और वह स्वर्ग लोक में स्थान पाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें