यूपीएससी प्री का पेपर रहा कठिन, इंदौर में 38 फीसदी कैंडिडेट्स ने नहीं दी परीक्षा; कटऑफ 85 के करीब रहने की उम्मीद

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Rahul Garhwal
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यूपीएससी प्री का पेपर रहा कठिन, इंदौर में 38 फीसदी कैंडिडेट्स ने नहीं दी परीक्षा; कटऑफ 85 के करीब रहने की उम्मीद

संजय गुप्ता, INDORE. यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) नई दिल्ली द्वारा सिविल सेवा प्री परीक्षा 2023 का आयोजन रविवार को किया गया। इस परीक्षा में इंदौर में 16 हजार 922 उम्मीदवार रजिस्टर्ड थे, लेकिन इसमें से 6 हजार 431 उम्मीदवार (38 फीसदी) परीक्षा देने ही नहीं पहुंचे और उपस्थिति 10 हजार 491 उम्मीदवारों की यानी 62 फीसदी ही रही। वहीं प्रश्न पत्र को बीते सालों की तुलना में कठिन बताया जा रहा है और जानकारों के अनुसार इस बार कटऑफ 85 के करीब रहने की उम्मीद है।



क्यों बताया जा रहा है पेपर कठिन



उम्मीदवारों और जानकारों का कहना है कि इस बार प्रश्न पत्र-1 में जिसके आधार पर मेरिट तय होगी, इसमें प्रश्न स्तर मध्यम था, लेकिन इन प्रश्नों के जो जवाब विकल्प दिए गए थे, वे काफी घुमावदार थे और इन्हें चुनना आसान नहीं था। क्योंकि उम्मीदवारों के पास आंसर एलीमिनेट करने (यानी ये चुनना कि इन 4 में ये नहीं हो सकता है) का रास्ता बंद हो गया था, उन्हें चारों ही विकल्पों पर गौर करना था और यदि इन सभी की जानकारी नहीं है तो वो सही आंसर नहीं चुन सकता था। इस तरह के प्रश्न 100 में से करीब 45 थे, इसके अलावा कथन और कारण वाले सवाल पूछे गए, जिसमें भी सभी फैक्ट पता होने पर ही उम्मीदवार जवाब दे सकते थे, ये सवाल भी काफी संख्या में थे। कुल मिलाकर करीब 15 सवाल ही सीधे तौर पर ही पूछे गए थे। 80-85 सवाल ऐसे थे जिनके जवाब देने के लिए उम्मीदवार के पास उस प्रश्न से जुड़े सभी तथ्यों की जानकारी होना जरूरी था। वहीं एक समस्या ये भी कि इसमें नेगेटिव मार्किंग भी रहती है, इसके चलते उम्मीदवार बिना पुख्ता हुए हर सवाल पर ऐसे ही जवाब तय नहीं कर सकते थे।



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दूसरे प्रश्न पत्र में केवल कटऑफ अंक ही जरूरी



दूसरा प्रश्न पत्र 200 अंक का होता है और इसमें 80 प्रश्न होते हैं, इसमें उम्मीदवारों को केवल 33 फीसदी अंक लाना जरूरी होता है, यानी 66 अंक। ये अंक लाने वाले को प्री में पास माना जाता है और प्रश्न पत्र-1 जिसमें 100 प्रश्न कुल 200 अंकों के होते हैं, इसमें आए अंकों के आधार पर प्री में पास होने वालों की मेरिट तय होती है। दोनों ही प्रश्न पत्रों में नेगेटिव मार्किंग (एक तिहाई अंक) होती है। दूसरे प्रश्न पत्र को सामान्य बताया जा रहा है, जिस तरह बीते सालों में आते थे, इस बार दूसरा प्रश्न पत्र जिसे एप्टीट्यूट टेस्ट या C-सेट बोलते हैं, इस बार भी वह इसी तरह रहा है।


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