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Education news:स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने एक इम्पोर्टेन्ट डिसिशन लेते हुए नौवीं कक्षा में प्रवेश के लिए ऐज लिमिट में ढील दी है। लोक शिक्षण आयुक्त के प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने सत्र 2025-26 के लिए यह नियम लागू किया है।
पहले, बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने 9वीं में प्रवेश के लिए छात्रों की न्यूनतम आयु 13 वर्ष तय की थी। लेकिन अब इस नियम को बदल दिया गया है, जिससे 13 साल से कम उम्र के बच्चे भी नाइन्थ ग्रेड में दाखिला ले पाएंगे।
क्यों लिया गया यह फैसला
यह फैसला (उच्च शिक्षा विभाग का फैसला) इसलिए लिया गया क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy - NEP) के तहत पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 6 वर्ष रखी गई है। हालांकि कई बार बच्चे इससे कम उम्र में भी पहली कक्षा में प्रवेश पा जाते हैं।
जब ऐसे छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए 9वीं कक्षा तक पहुंचते हैं, तो उनकी उम्र 13 साल से कम होती है जिसकी वजह से उन्हें प्रवेश लेने में दिक्कत आती थी।
इस समस्या को हल करने के लिए विभाग ने यह कदम उठाया है, ताकि किसी भी छात्र को उसकी योग्यता के बावजूद सिर्फ उम्र के कारण शिक्षा से वंचित न रहना पड़े।
छात्रों के लिए इसका क्या मतलब है
इस नए नियम के मुताबिक, अब यदि कोई विद्यार्थी करंट एकेडमिक सेशन (Education Department) के लिए 11 या 12 साल का भी है तो भी वह नौवीं में प्रवेश ले सकेगा।
यह उन ब्रिलियंट छात्रों के लिए एक बड़ी राहत है जिन्होंने अपनी पढ़ाई जल्दी पूरी कर ली है। उन्हें अब अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
यह फैसला बच्चों के भविष्य के लिए बहुत पॉजिटिव है और इससे उनकी शिक्षा में आने वाली बाधाएं दूर होंगी। इस बदलाव से न केवल छात्रों को फायदा होगा, बल्कि यह भारतीय शिक्षा प्रणाली (Indian Education System) को और अधिक लचीला भी बनाता है।
अब स्कूल और गार्डियन दोनों ही बच्चे की एजुकेशनल क्वालिफिकेशन और प्रोग्रेस पर अधिक ध्यान दे पाएंगे, न कि सिर्फ उसकी उम्र पर। यह फैसला शिक्षा में इक्वलिटी और अपॉर्चुनिटीज को बढ़ावा देता है, जिससे सभी बच्चों को एक समान मंच मिल सके।
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नए नियम की मुख्य बातें
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एजुकेशन सिस्टम पर इसका इफेक्ट
यह फैसला एजुकेशनल रिफॉर्म्स की दिशा में एक इम्पोर्टेन्ट स्टेप्स है। यह दर्शाता है कि सरकार और शिक्षा विभाग छात्रों की जरूरतों को समझ रहे हैं और नीतियों को अधिक व्यावहारिक बना रहे हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह के सुधारों से बच्चों की शिक्षा में कॉन्टिनुइटी बनी रहती है और उन्हें आगे बढ़ने के मौके मिलते हैं। आयु संबंधी नियमों के कारण पहले कई छात्र नौवीं कक्षा में प्रवेश से डराइव्ड रह जाते थे, जिससे उन्हें एक साल का नुकसान उठाना पड़ता था।
इस (स्कूल शिक्षा विभाग) नए नियम से यह समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। इससे छात्रों के सेल्फ-कॉन्फिडेंस में भी ग्रोथ होगी और वे अपनी पढ़ाई पर बेहतर कंसन्ट्रेट कर पाएंगे।
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