MPPSC परीक्षा 2020 भी विवादों में, 13 सवाल के जवाब पर हाईकोर्ट देगा फैसला

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Aashish Vishwakarma
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MPPSC परीक्षा 2020 भी विवादों में, 13 सवाल के जवाब पर हाईकोर्ट देगा फैसला

जबलपुर. मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा की जा रही अनिमितताओं का दौर थम नहीं रहा है। मुकदमों की वजह से MPPSC 2019 एग्जाम की प्रक्रिया 2022 में भी अपूर्ण है। अब MPPSC 2020 परीक्षा भी विवादों के घेरे में आ गई है। विवादों की वजह है प्रश्नों के उत्तर। MPPSC 2020 की प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन के पहले पेपर में ऐसे लभगभ 13 प्रश्न है, जिनके पाठ्य पुस्तकों में प्रकाशित उत्तरों से अलग उत्तरों को आयोग ने सही उत्तर मान्य किए गया है। आयोग ने 4 प्रश्नों के दो-दो उत्तरों को मान्य किया है। इसी तरह का एक सवाल है- आदि ब्रम्हम समाज की स्थापना किसने की? इसका उत्तर आयोग ने देवेन्द्रनाथ टैगोर माना है। जबकि सिलेबस की किताबों में केशव चंद्र सेन लिखा हुआ है।





मेंस एग्जाम में शामिल नहीं हो पाएगे स्टूडेंट: ऐसे स्टूडेंट की तादाद हजारों में है, जिन्होंने केशव चंद सेन को टिक मार्क किया है। इसका मतलब है कि इस सवाल के जवाब में स्टूडेंट्स को 2 नंबर नहीं मिले। इसकी वजह से हजारों की संख्या में स्टूडेंट दो-दो अंकों से फेल होकर मेंस एग्जाम नहीं दे पाए। इन लोगों में शामिल एक स्टूडेंट ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने 17 फरवरी 2022 को अंतरिम आदेश पारित किया। इसमें केशव चंद्र सेन को सही उत्तर माना गया। इसके बाद याचिकाकर्ता को मेंस एग्जाम देने की अनुमति दी गई।





हाईकोर्ट में ये दलील दी गई: ये मामला सामने आने के बाद सैकड़ों स्टूडेंट ने भी इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। 3 मार्च को इस मामले की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने आयोग को एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने इसकी सुनवाई की। अदालत में याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर ने NCERT, हिंदी ग्रंथ अकादमी समेत दर्जनों पाठ्य पुस्तकों का कोर्ट में हवाला दिया। अदालत को बताया गया कि साल 1866 में केशव चंद्र सेन ने आदि ब्रम्हम समाज की स्थापना की थी। साथ ही तर्क दिया गया कि आयोग ऑप्शन A के साथ ही ऑप्शन B यानी केशव चंद्र सेन को भी उत्तर मान्य करे। अदालत में अपील की गई कि इन स्टूडेंट को 24 अप्रैल से 29 अप्रैल के बीच होने वाले मेंस एग्जाम में शामिल किया जाए। हाईकोर्ट ने इस मामले को अंतरिम आदेश के लिए रिजर्व कर लिया है। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि अगर उनके पक्ष में फैसला नहीं आया तो डिवीजन वैंच में रिट अपील दाखिल की जाएगी।



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