indore.एक कॉलेज में परीक्षा हुई तो कथित तौर पर वीक्षक (निरीक्षण करने वाले) बन गए ढाबे और टोल प्लाजा के कर्मचारी । बात बाहर आई तो यूनिवर्सिटी ने नोटिस देकर सच्चाई पूछी है। दूसरा मामला अक्षर नर्सिंग कॉलेज का है। प्रशासन को छात्र-छात्राओं ने यहां अनियमितताओं की शिकायत की थी। जांच हुई तो पता चला जहां कॉलेज बताया जा रहा है, वहां भैंसे बंधी हैं, लहसुन सूख रहे हैं। कॉलेज संचालन में सरकारी हॉस्पिटल की तीन नर्सों के नाम सामने आए तो उन्हें भी नोटिस जारी किेए गए हैं।
पहला मामला लिबरल कॉलेज राऊ (इंदौर) का है। कुछ दिन पहले यहां स्नातक स्तर की परीक्षाएं हुईं। आरोप है कि जिन लोगों (वीक्षक) की ड्यूटी परीक्षा हॉल में लगाई गई थी वे चाय वाले, ढाबे और टोल प्लाजा के कर्मचारी थे। ये बात बाहर आने के बाद बवाल मच गया। हालांकि कॉलेज प्रभारी का कहना था कि जो लोग वीक्षक बनाए गए वे यहीं की फैकल्टी हैं। यूनिवर्सिटी गोपनीय विभाग की उप कुलसचिव रचना ठाकुर ने 'द सूत्र' से कहा-कॉलेज को नोटिस देकर सात दिन में उन लोगों की सूची, नाम और नंबर मांगे गए हैं जिन्हें परीक्षा में वीक्षक बनाया गया था।
पहले घर, फिर तबेले में कॉलेज
इसी तरह बायपास स्थित ग्राम अरंडिया में चल रहा अक्षर नर्सिंग कॉलेज प्रशासन की जांच में उलझा है। इस कॉलेज की जांच तबेले, लहसुन से आगे बढ़ी तो नए-नए खुलासे होने लगे। नई शिकायत यह आई है कि कॉलेज की पहले साल की पढ़ाई तो सरकारी हॉस्पिटल की एक नर्स के सरकारी आवास पर करवाई गई थी। इसके अलावा स्कालरशिप में गड़बड़ी की शिकायतें भी मिलीं हैं। सभी की जांच अपर कलेक्टर पवन जैन कर रहे हैं। इसकी संचालिका के तौर प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी एमवाय हॉस्पिटल की नर्स किरण सांगले का नाम सामने आ रहा है । वे अभी तक प्रशासन के पास अपना पक्ष रखने नहीं पहुंची हैं।
सवाल यह भी
-अगर सचमुच कॉलेज की संचालिका किरण सांगले हैं तो सरकारी नौकरी में रहते हुए वे कॉलेज कैसे खोल सकती हैं। भोपाल के किन्हीं डॉ. वीरेंद्र तिवारी का नाम भी सामने आया है।
-अब तक कितने बच्चों को यहां से डिग्री दी गई है।
-मापदंड पूरे नहीं करने के बावजूद फार्मेसी काउंसिल ने किस आधार पर इसे मान्यता दी।
-कॉलेज चलाने के लिए सौ बिस्तरों वाला हॉस्पिटल अटैच होना चाहिए। यहां ऐसा कुछ नहीं मिला ।
जांच में उलझे दो कॉलेज, एक में ढाबे वाले बने वीक्षक, दूसरा तबेले में चलता मिला
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