जबलपुर. MPPSC परीक्षा 2020 के विवादित प्रश्न को लेकर दायर अपील हाईकोर्ट (jabalpur high court) ने खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस की बेंच का कहना है कि हाईकोर्ट एक्सपर्ट ओपिनियन को मानने के लिए बाध्य है। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि कई स्टूडेंट्स विवादित प्रश्न की वजह से काटे गए 2 नंबर की वजह से MPPSC मेन्स नहीं दे पाएंगे। MPPSC परीक्षा के आदि ब्रह्म समाज की स्थापना के विवादित प्रश्न पर हाईकोर्ट ने NCERT, मध्यप्रदेश हिंदी अकादमी, भोज मुक्त विश्वविद्यालय सहित 7 अन्य पाठ्य पुस्तकों को दरकिनार करते हुए सिर्फ एक्सपर्ट कमेटी के ओपिनियन को सही माना है।
क्या है विवादित सवाल: MPPSC परीक्षा 2020 में एक सवाल पूछा गया था कि आदि ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की है, जिसका सही उत्तर आयोग ने 'देवेंद्रनाथ टैगोर' माना है। लेकिन पाठ्य पुस्तकों में इस प्रश्न का उत्तर 'केशव चंद्र सेन' लिखा है। कई स्टूडेंट्स ने पाठ्य पुस्तकों के आधार पर 'केशव चंद्र सेन' को टिक किया। लेकिन स्टूडेंट्स का उत्तर आयोग ने गलत करार दिया। इस प्रश्न की वजह से काटे गए 2 नंबरों से कई स्टूडेंट्स MPPSC मेन्स की परीक्षा नहीं दे पाएंगे।
क्या है एक्सपर्ट कमेटी का ओपिनियन: याचिका में हाईकोर्ट को बताया गया कि साल 1866 में केशव चंद्र सेन ने आदि ब्रह्म समाज की स्थापना की थी। साथ ही तर्क दिया गया कि आयोग ऑप्शन 'A' के साथ ही ऑप्शन 'B' केशव चंद्र सेन को भी उत्तर माने। लेकिन आयोग ने एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल करके गजेटियर को आधार मानकर विवादित प्रश्न के ऑप्शन 'A' को सही बताया है।
क्या है स्टूडेंट्स की मांग: हाईकोर्ट में दायर याचिका में स्टूडेंट्स ने मांग की थी कि ब्रह्म समाज की स्थापना के प्रश्न में दो उत्तरों को सही माना जाए। MPPSC 2020 की प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन के पहले पेपर में ऐसे लभगभ 13 प्रश्न हैं, जिनके पाठ्य पुस्तकों में प्रकाशित उत्तरों को आयोग ने सही उत्तर माना है। आयोग ने 4 प्रश्नों के दो-दो उत्तरों को सही माना है।
अब क्या करेंगे स्टूडेंट्स: डिवीजन बेंच के आदेश के बाद अब याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। MPPSC मेन्स देने के लिए स्टूडेंट्स सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। अपील का आधार होगा कि अगर एक्सपर्ट कमेटी का ओपिनियन पाठ्य सामग्री से असंगत होता है, तो क्या कोर्ट उस ओपिनियन पर बाध्य होगा या कोर्ट तथ्यों के आधार पर एक्पर्ट ओपिनियन से अगर आदेश देने के लिए स्वतंत्र रहेगा।