BHOPAL. भोपाल जिला शिक्षा अधिकारी अंजनी त्रिपाठी की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिसके कारण माध्यमिक शिक्षा मंडल यानी एमपी बोर्ड को डीपीआई यानी लोक शिक्षण संचालनालय तक को कार्रवाई के लिए पत्र लिखना पड़ा। मामला बोर्ड कक्षाओं की सप्लीमेंट्री पेपर से जुड़ा हुआ है। डीईओ अंजनी त्रिपाठी की लापरवाही के कारण 200 स्टूडेंट गलत सेंटर पर पहुंच गए, जिसके कारण 2 घंटे की देरी से उनकी परीक्षा शुरू हो पाई। जिस दिन यह वाक्या हुआ, डीईओ एक अन्य सरकारी स्कूल में सांसद की आवभगत में लगे हुए थे। एमपी बोर्ड के सचिव श्रीकांत बनोठ ने डीईओ अंजनी त्रिपाठी की लापरवाही को लेकर डीपीआई के कमीश्नर को 20 जुलाई को पत्र लिखा है और तीन दिनों के अंदर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर बोर्ड को अवगत कराने के लिए कहा है।
यह हुई लापरवाही
एमपी बोर्ड ने 10वीं और 12वीं कक्षा की सप्लीमेंट्री परीक्षा 17 जुलाई को आयोजित की थी। एमपी बोर्ड जब भी कोई एग्जाम लेता है, सेंटर बनाने से पहले डीईओ के माध्यम से सहमति मांगी जाती है। 1100 स्टूडेंट के सप्लीमेंट्री एग्जाम कराने के लिए बोर्ड ने सरोजनी नायडू स्कूल के लिए सहमति मांगी। निर्माण कार्य चलने और एमपी पीएससी के लिए परीक्षा केंद्र होने की स्थिति को देखते हुए सिर्फ 600 स्टूडेंट के लिए ही सहमति दी गई, लेकिन तब तक स्टूडेंट के प्रवेश पत्रों में सेंटर एलॉट हो चुका था। ऐसे में शेष स्टूडेंट के लिए कोटरा सुल्तानाबाद के स्कूल को परीक्षा केंद्र बनाया गया और नए प्रवेश पत्र अपलोड किए गए। इसकी फाइनल जानकारी बोर्ड ने 14 जुलाई को डीईओ को दी और यह आदेशित किया कि परीक्षा केंद्र परिवर्तन की जानकारी स्टूडेंट को दें, लेकिन डीईओ ने ऐसा नहीं किया, जिससे स्टूडेंट गलत सेंटर पर पहुंच गए।
अन्य सेंटर पर पेपर चालू होने के बाद 200 स्टूडेंट ने दी परीक्षा
डीईओ अंजनी त्रिपाठी की लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि 17 जुलाई की सुबह 8.30 बजे जिन स्टूडेंट का सेंटर परिवर्तित किया गया था, जानकारी नहीं होने पर वह भी पुराने प्रवेश पत्र के आधार पर सरोजनी नायडू स्कूल पहुंच गए। जैसे ही बोर्ड को इसकी जानकारी मिली, उन्होंने सरोजनी नायडू में ही परीक्षा कराने की व्यवस्था बनाई। इस पूरी कार्रवाई में करीब दो घंटे निकल गए। कुल मिलाकर अन्य सेंटर पर पेपर चालू होने के बाद 200 स्टूडेंट ने परीक्षा दी।
सांसद की जी हजूरी में लगे हुए थे डीईओ
सरोजनी नायडू स्कूल के सामने जब 200 स्टूडेंट और उनके पेरेंट्स परेशान हो रहे थे, उस समय डीईओ अंजनी त्रिपाठी शासकीय कमला नेहरु कन्या शाला में सांसद प्रज्ञा ठाकुर की जी हजूरी में लगे हुए थे। यहां 17 जुलाई को स्कूल चलें हम अभियान का कार्यक्रम आयोजित था। निश्चित तौर पर एक अधिकारी के तौर पर यह कार्यक्रम भी बेहद महत्तवपूर्ण था, लेकिन सवाल यही है कि बोर्ड कक्षाओं की परीक्षा की गोपनीयता दांव पर लगाकर यह सब करना कितना जायज था।