TOEFL
NEW DELHI. अब अमेरिकन यूनिवर्सिटीज TOEFL मार्क्स वेरिफाई कर सकेंगी। ETS ने इसकी जानकारी दी है। विदेश में पढ़ाई करने के लिए शैक्षणिक परिक्षण संस्थान ( ETS ) टेस्ट ऑफ इंग्लिश एज ए फॉरेन लैंगवेज ( TOEFL ) का आयोजन कराता है। अब अमेरिकन यूनिवर्सिटीज TOEFL के अंकों ( TOEFL Marks ) को वेरिफाई कर पाएंगे। अमेरिका में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के ETS ने इसके लिए करियर मोजैक से टाईअप किया है। करियर मोजैक अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में दक्षिण एशिया से स्टूडेंट्स तो भेजने वाली संस्था है।
इसी हफ्ते से होगा लागू
आधिकारियों के मुताबिक इसी हफ्ते से अमेरिका की यूनिवर्सिटीज स्टूडेंट्स के TOEFL मार्क्स को देख पाएंगी। इससे स्टूडेंट्स की क्रेडिबिलिटी तो बढ़ेगी ही, साथ ही US यूनिवर्सिटीज का काम भी आसान हो जाएगा। स्टूडेंट्स को एडमिशन देने के लिए अब वे डायरेक्ट उनका TOEFL स्कोर चेक कर सकेंगे।
क्या है TOEFL ?
विदेश में पढ़ने के लिए TOEFL यानी टेस्ट ऑफ इंग्लिश एज ए फॉरेन लैंगवेज पास करना जरूरी है। इसके मार्क्स देखकर ही यूनिवर्सिटीज एडमिशन देती हैं। ये टेस्ट देने के लिए स्टूडेंट्स को कुछ क्राइटेरिया पूरे करने जरूरी होते हैं। आप तभी इस परीक्षा में बैठ सकते हैं। 18 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति इस टेस्ट को दे सकता है। इसके लिए 12वीं पास होना जरूरी है।
TOEFL की तरह कुछ और टेस्ट
TOEFL के अलावा विदेश में पढ़ाई के लिए IELTS, GRE, SAT, GMAT, PTE, MCAT टेस्ट भी होते हैं। ये स्टूडेंट्स के लिए विदेश में पढ़ने के लिए रास्ता बनाते हैं। ये टेस्ट भी कैंडिडेट्स की इंग्लिश और टेक्निकल स्किल्स जांचने के लिए कराए जाते हैं।
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विदेश जाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ी
ETS के मुताबिक UG-PG कोर्स में एडमिशन लेने के लिए TOEFL देने वाले भारतीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी है। 2021 में कुल उम्मीदवारों के 5.83 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 7.77 प्रतिशत हो गया। पिछले सालों के मुकाबले 2021 में TOEFL देने वालों में 53 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों के ज्यादातर बच्चे विदेश में पढ़ने के लिए TOEFL दे रहे हैं।