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सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन, भारत की स्कूली शिक्षा में एक नई क्रांति लाने की तैयारी में है। हाल ही में बोर्ड की गवर्निंग बॉडी ने दो इम्पोर्टेन्ट प्रोपोजल्स को मंजूरी दी है- AI सेंटर (Artificial Intelligence Centre) का अपबिल्डिंग और 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की कॉपियों का ऑन-स्क्रीन मूल्यांकन इवैल्यूएशन।
ये दोनों कदम नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 के तहत लिए गए हैं, जिनका मकसद शिक्षा को ज्यादा मॉडर्न, ट्रांसपेरेंट और इफेक्टिव बनाना है। इन फैसलों से यह साफ है कि CBSE अब रटने वाली पढ़ाई से हटकर समझने और प्रैक्टिकल लर्निंग पर जोर दे रहा है।
दिल्ली में बनेगा CBSE का AI सेंटर
खबरों के मुताबिक, CBSE दिल्ली के द्वारका में एक ऐसा डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर बनाने जा रहा है जो पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बेस्ड होगा।
इस सेंटर का मेन ऑब्जेक्टिव छात्रों को एक ऐसा माहौल देना है जहां वे सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि नई टेक्नोलॉजी और इंटरेक्टिव तरीकों से सीखें।
यह सेंटर छात्रों की क्यूरोसिटी और इनोवेशन को बढ़ावा देगा। यहां AI और डिजिटल टूल्स की मदद से पढ़ाई को मजेदार बनाया जाएगा, जिससे छात्रों को मुश्किल टॉपिक्स को समझने में आसानी होगी। वे अपने विषयों को गहराई से समझ पाएंगे, जिससे उनकी लर्निंग सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहेगी।
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AI सेंटर का इम्पोर्टेंस
इस सेंटर को बनाने के लिए CBSE सबसे पहले उन एजेंसियों से 'एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट' (EOI) मांगेगा जो इस तरह के प्रोजेक्ट में रुचि रखती हैं। फिर उनके प्लान्स और एस्टिमेटेड कॉस्ट के आधार पर फॉर्मल टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस प्रोजेक्ट से भारत में शिक्षा का भविष्य (Future of Education in India) पूरी तरह से बदल सकता है। |
ऑन-स्क्रीन आंसर कॉपी चेक करने की तैयारी
AI सेंटर के अलावा, CBSE ने एक और बड़ा और ऐतिहासिक फैसला (Big decision of CBSE) लिया है। इसमें 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं (10th-12th cbse board) की आंसर शीट्स का डिजिटल इवैल्यूएशन।
यह एक ऐसा कदम है जिससे पूरे परीक्षा सिस्टम में क्रांति आ सकती है। इस सिस्टम के तहत, टेस्टर्स को कॉपियां स्कैन करके कंप्यूटर स्क्रीन पर दी जाएंगी। यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि इससे कई फायदे होंगे:
- गलतियां कम होंगी: डिजिटल इवैल्यूएशन में मैन्युअल गलतियों की संभावना कम होती है।
- समय बचेगा: कॉपियों को एक जगह से दूसरी जगह भेजने का समय बचेगा।
- एक्यूरेसी बढ़ेगी: असेसमेंट की एक्यूरेसी बढ़ेगी और यह अधिक पारदर्शी होगा।
- ट्रांसपेरेंसी: यह सिस्टम अधिक ट्रांसपेरेंसी होगी, जिससे किसी भी तरह की धांधली की गुंजाइश नहीं रहेगी।
आपको बता दें कि, CBSE ने 2014 में 10वीं और 2015 में 12वीं कक्षा में कुछ रीजनल ऑफिस में यह पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) चलाया था।
अब इसका मकसद (सीबीएसई का बड़ा फैसला) इस प्रणाली को बड़े पैमाने पर लागू करना है, जिसमें सभी विषयों की कॉपियों को ऑन-स्क्रीन चेक किया जाएगा। इस एस्टीमेट प्रोजेक्ट की लागत 28 करोड़ रुपए गेस की जा रही है।
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ऑन-स्क्रीन इवैल्यूएशन की प्रोसेस
- परीक्षा के बाद, सभी आंसर शीट्स को स्कैन किया जाएगा।
- स्कैन की गई कॉपियां सेफ सर्वर पर अपलोड की जाएंगी।
- एग्जामिनर अपने घरों या निर्धारित केंद्रों से कंप्यूटर पर कॉपियां चेक करेंगे।
- यह सिस्टम हर सवाल के लिए दिए गए मार्क्स को तुरंत रिकॉर्ड करेगा, जिससे कुल मार्क्स जोड़ने में कोई गलती नहीं होगी।
शिक्षा में बदलाव के अन्य कदम
इन दो बड़े फैसलों के साथ ही, CBSE राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy) को पूरी तरह से लागू करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इसी के तहत, CBSE अगले साल 2026 से 9वीं कक्षा के लिए ओपन बुक असेसमेंट भी शुरू कर रहा है।
इस सिस्टम में छात्रों को परीक्षा के दौरान अपनी किताब या स्टडी मटेरियल खोलने की इजाजत होगी। इसका मकसद छात्रों को रटने की जगह, समझने और लॉजिक करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
इन सभी बदलावों के बीच, CBSE ने 2020 (सीबीएसई की परीक्षा) के बाद पहली बार बोर्ड क्लासों की फीस में 6.66% की बढ़ोतरी भी की है। भारत में पांच थ्योरी सब्जेक्ट्स के लिए अब यह फीस 1600 रुपए है।
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