गणित की पढ़ाई को लेकर कई छात्रों में हमेशा से डर और कन्फ्यूजन रहा है। खासकर वे छात्र जिन्होंने 10वीं में बेसिक मैथ्स चुना था, वे अक्सर सोचते थे कि आगे 11वीं में स्टैंडर्ड मैथ्स पढ़ना उनके लिए मुश्किल होगा। ऐसे में अब सीबीएसई ने इस सोच को बदल दिया है।
2025-26 सत्र से, बेसिक मैथ्स पढ़ने वाले छात्र भी 11वीं में स्टैंडर्ड मैथ्स चुन सकते हैं। यह बदलाव खासकर उन छात्रों के लिए राहत भरा है जो इंजीनियरिंग, मेडिकल या गणित आधारित करियर बनाना चाहते हैं। आइए जानते हैं इस नए नियम के बारे में विस्तार से और समझते हैं कि इससे छात्रों को कैसे फायदा होगा।
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नया नियम क्या कहता है
पहले CBSE ने बेसिक मैथ्स छात्रों को केवल अप्लाइड मैथ्स ही चुनने दिया था। अब बोर्ड ने नियम में बदलाव करते हुए 10वीं बेसिक मैथ्स वाले छात्रों को 11वीं में स्टैंडर्ड मैथ्स चुनने की छूट दे दी है।
हालांकि, स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्र की गणित पढ़ने की क्षमता और रुचि हो। इसके लिए प्रिंसिपल को छात्र की योग्यता का आकलन करना अनिवार्य होगा। ये रही ऑफिसियल नोटिफिकेशन 👇...
बदलाव की वजह
यह बदलाव कोविड-19 महामारी के बाद मिली टेम्पररी छूट को स्थायी बनाने के लिए किया गया है। महामारी के दौरान छात्रों को पढ़ाई में बाधाएं आई थीं, जिसके कारण यह छूट दी गई थी।
अब इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप छात्रों को विषय चयन की अधिक स्वतंत्रता देने के लिए स्थायी किया गया है।
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छात्रों और अभिभावकों के लिए फायदे
- करियर के बेहतर अवसर: स्टैंडर्ड मैथ्स पढ़ने से इंजीनियरिंग, मेडिकल, डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों में एडमिशन के अवसर बढ़ेंगे।
- अधिक विकल्प: छात्र अपनी इंटरेस्ट और एबिलिटी के मुताबिक विषय चुन सकते हैं।
- सेल्फ-कॉन्फिडेंस में वृद्धि: गणित में कमजोर छात्रों को भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
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स्कूलों की जिम्मेदारी
स्कूलों को छात्रों और अभिभावकों को इस नए नियम के बारे में सही जानकारी देनी जरूरी होगी। साथ ही छात्रों की क्षमता जांचने के लिए टेस्ट या काउंसलिंग का आयोजन करना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि छात्र 11वीं का स्टैंडर्ड मैथ्स का पाठ्यक्रम समझ सके।
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