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Big decision of CBSE: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एजुकेशन की दुनिया में एक बड़ा कदम उठाया है। अब 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स को बोर्ड के ऑफिशियल पॉडकास्ट और सोशल मीडिया प्रोग्राम्स में सीधे हिस्सा लेने का मौका मिलेगा।
इस पहल का मकसद पढ़ाई और काउंसलिंग से जुड़े डिजिटल कंटेंट को और भी ज्यादा स्टूडेंट-फोकस्ड और इफेक्टिव बनाना है। यह फैसला दिखाता है कि CBSE सिर्फ एक एग्जाम बॉडी नहीं, बल्कि एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनना चाहता है जहां स्टूडेंट्स की आवाज सीधे एजुकेशन की बातचीत का हिस्सा बन सके।
स्टूडेंट्स का पार्टिसिपेशन क्यों है जरूरी
कुछ समय से CBSE पढ़ाई के सब्जेक्ट्स, एग्जाम स्ट्रेस, करियर गाइडेंस और काउंसलिंग जैसे इंपॉर्टेंट टॉपिक्स पर अपने इन-हाउस पॉडकास्ट और डिजिटल कंटेंट तैयार कर रहा है। ये कंटेंट YouTube जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पहले से मौजूद हैं, लेकिन इनमें स्टूडेंट्स की सीधी आवाज की कमी महसूस हो रही थी।
बोर्ड का मानना है कि जब स्टूडेंट्स खुद अपने एक्सपीरियंस, विचार और नजरिया शेयर करेंगे तो यह कंटेंट दूसरे स्टूडेंट्स के लिए ज्यादा काम का और इंस्पायरिंग होगा। स्टूडेंट्स छोटे वीडियो, ऑडियो क्लिप, इंटरव्यू और अपने एक्सपीरियंस शेयर करके इस पहल में योगदान दे सकते हैं।
यह कदम डिजिटल युग में एजुकेशन की बातचीत को एक नया लेवल देगा, जहां जानकारी सिर्फ ऊपर से नीचे नहीं बल्कि बराबर रूप से शेयर होगी। यह न सिर्फ स्टूडेंट्स को पावरफुल बनाएगा, बल्कि उनकी डिजिटल लिटरेसी को भी बढ़ाएगा।
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किन स्टूडेंट्स को मिलेगा मौका
इस पहल के लिए स्टूडेंट्स का सेलेक्शन सोच-समझकर किया जाएगा ताकि वे बोर्ड के प्लेटफॉर्म पर इफेक्टिवली अपने विचार रख सकें। CBSE के सर्कुलर के मुताबिक, स्कूलों को ऐसे स्टूडेंट्स को नॉमिनेट करने को कहा गया है जो:
- कॉन्फिडेंट हों: जो बिना झिझक के अपने विचारों को बोल सकें।
- आर्टिकुलेट हों: जिनकी लैंग्वेज और एक्सप्रेशन क्लियर और इफेक्टिव हो।
- डिजिटल माध्यम पर कंफर्टेबल हों: जो कैमरा या माइक के सामने आराम से रहें।
- यह ध्यान रखना जरूरी है कि स्टूडेंट्स का पार्टिसिपेशन पूरी तरह से वॉलंटरी होगा।
- इसके लिए स्टूडेंट और उनके पैरेंट्स से लिखित सहमति लेना जरूरी होगा, ताकि उनकी प्राइवेसी और सेफ्टी बनी रहे।
नॉमिनेशन प्रोसेस
CBSE ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे चुने हुए स्टूडेंट्स के नाम और शॉर्ट डिटेल्स एक खास गूगल फॉर्म लिंक https://forms.gle/oJbJaYPaYBb7ifjN9 का इस्तेमाल करके छात्रों का नाम और एक छोटी प्रोफाइल भेजनी होगी।
यह काम नोटिस जारी होने के दस दिनों के अंदर करना होगा। यह एक अल्टरनेटिव मौका है, जो छात्रों को अपनी बात रखने का मंच देगा।
इसके बाद, बोर्ड इन स्टूडेंट्स को अपनी अलग-अलग डिजिटल एक्टिविटीज, जैसे पॉडकास्ट (podcast) रिकॉर्डिंग, सोशल मीडिया कैंपेन और वेबिनार में शामिल करेगा।
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इस पहल से स्टूडेंट्स को होने वाले फायदे
एजुकेशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि CBSE का यह कदम स्टूडेंट्स के पर्सनल और एजुकेशनल डेवलपमेंट के लिए बहुत फायदेमंद होगा। यह पहल स्टूडेंट्स को कई तरह से हेल्प करेगी:
सेल्फ-एक्सप्रेशन का मौका (Opportunity for Self-Expression): स्टूडेंट्स को अपनी बात कहने और अपनी पहचान बनाने का एक प्लेटफॉर्म मिलेगा।
कॉन्फिडेंस में बढ़ोतरी (Increased Confidence): पब्लिक प्लेटफॉर्म पर बोलने से उनका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा।
कम्युनिकेशन स्किल्स का डेवलपमेंट (Development of Communication Skills): पॉडकास्ट और वीडियो में हिस्सा लेने से उनकी बातचीत की स्किल्स बेहतर होंगी।
क्रिएटिविटी को बढ़ावा (Boosting Creativity): स्टूडेंट्स को अपनी क्रिएटिविटी दिखाने का मौका मिलेगा, जिससे वे पढ़ाई से जुड़े टॉपिक्स को नए और अट्रैक्टिव तरीकों से पेश कर सकेंगे।
पियर-टू-पियर लर्निंग (Peer-to-Peer Learning): जब एक स्टूडेंट अपनी सक्सेस या चैलेंजेस को शेयर करेगा, तो दूसरे स्टूडेंट्स उससे सीधे जुड़ पाएंगे और सीख सकेंगे। यह ट्रेडिशनल लर्निंग से कहीं ज्यादा इफेक्टिव हो सकता है।
एजुकेशन वर्ल्ड में एक बड़ा बदलाव
सीबीएसई की यह पहल एजुकेशन वर्ल्ड में एक बड़े बदलाव का सिग्नल है। यह दिखाता है कि एजुकेशन बोर्ड अब सिर्फ सिलेबस बनाने और एग्जाम कराने तक ही लिमिटेड नहीं रहना चाहता। वे स्टूडेंट्स को एजुकेशन डायलॉग का एक एक्टिव हिस्सा बनाना चाहते हैं।
ट्रेडिशनल एजुकेशन सिस्टम (सीबीएसई का बड़ा फैसला) में, स्टूडेंट्स आमतौर पर इन्फॉर्मेशन पाने वाले होते हैं। लेकिन इस पहल से वे अब इन्फॉर्मेशन बनाने वाले और शेयर करने वाले भी बन सकेंगे।
यह कदम CBSE के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और स्टूडेंट्स के बीच के रिश्ते को और मजबूत करेगा, जिससे एक ज्यादा ट्रांसपेरेंट और पार्टिसिपेटरी एजुकेशनल का माहौल बनेगा।
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कितने स्कूल (सीबीएसई नई योजना) इस पहल को अपनाते हैं और कैसे स्टूडेंट्स की आवाजें CBSE के डिजिटल कंटेंट को एक नई दिशा देती हैं।
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