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Study Abroad: विदेश में पढ़ाई करना आजकल बहुत से छात्रों के लिए एक सपना बन चुका है। लेकिन यह सपना पूरा करने के लिए कुछ खास कदम उठाने पड़ते हैं, जैसे कि सही कोर्स चुनना, सही विश्वविद्यालय का चयन करना और अन्य जरूरी प्रोसेसेज को समझना। ऐसे में यदि आप 12वीं कक्षा के बाद विदेश में पढ़ाई करने का सोच रहे हैं, तो यह गाइड आपको इस पूरे प्रक्रिया में मदद करेगा।
यहां पर हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे कि विदेश में पढ़ाई के लिए क्या-क्या करना होता है, कौन सी परीक्षाएं देनी होती हैं और सबसे इम्पोर्टेन्ट, आपको किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।
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सही कोर्स और यूनिवर्सिटी सिलेक्शन
विदेश में पढ़ाई करने से पहले सबसे पहला कदम है, यह तय करना कि आप किस कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं। यह आपके करियर की दिशा तय करेगा, इसलिए यह फैसला बहुत सोच-समझकर लेना चाहिए। आपके पास अनेक विकल्प होते हैं, जैसे:
- बैचलर डिग्री (Undergraduate Degree): अगर आपने 12वीं की है, तो आप बैचलर डिग्री जैसे बीए, बीकॉम, बीएससी, इंजीनियरिंग, मेडिकल, आर्किटेक्चर, डिजाइन, आदि को चुन सकते हैं।
- डिप्लोमा कोर्स: कुछ छात्र 12वीं के बाद डिप्लोमा कोर्स भी करते हैं, जो कुछ देशों में दो साल का होता है और जल्दी करियर में दाखिल होने का मौका देता है।
- आपको यह देखना होगा कि आप किस फील्ड में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं, उसके मुताबिक सही कोर्स और यूनिवर्सिटी का चयन करें।
विदेशी यूनिवर्सिटीज की लिस्ट बनाना
आपको यह भी देखना होगा कि कौन से यूनिवर्सिटी आपके कोर्स के लिए सही हैं। कई प्रमुख देशों के यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अलग से कोटा होता है। ऐसे कुछ प्रमुख देशों में स्टडी करने के लिए इन विश्वविद्यालयों पर ध्यान दें:
- अमेरिका: हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, एमआईटी, येल
- यूके: ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE)
- ऑस्ट्रेलिया: यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न, ANU, UNSW
- कनाडा: टोरंटो यूनिवर्सिटी, मैकगिल, ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी
- जर्मनी: म्यूनिख विश्वविद्यालय, बर्लिन विश्वविद्यालय
- इन विश्वविद्यालयों के वेबसाइट्स पर जाकर आपको कोर्स, फीस और अन्य शर्तें डिटेल से मिल सकती हैं।
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जरूरी एग्जाम्स और स्कोर
विदेश में पढ़ाई करने के लिए कुछ विशेष परीक्षा और स्कोर की जरूरत होती है। आइए जानें कि आपको किस परीक्षा में बैठने की जरूरत होगी:
- IELTS / TOEFL (English Proficiency Exams) - यह दोनों परीक्षाएं इंग्लिश में आपकी एफिशिएंसी को मापती हैं। अधिकांश विदेशी विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी में पढ़ाई होती है, इसलिए आपको अपनी अंग्रेजी भाषा के कौशल को साबित करने के लिए इन परीक्षाओं में से किसी एक में अच्छे नंबर लाने होंगे।
IELTS: यह परीक्षा 0 से 9 के स्कोर में होती है।
TOEFL: यह परीक्षा 0 से 120 के स्कोर में होती है। - SAT (Scholastic Assessment Test) - यह परीक्षा खासकर अमेरिकी विश्वविद्यालयों के लिए होती है, यदि आप अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए अप्लाई कर रहे हैं। SAT में गणित, पढ़ाई और राइटिंग के पार्ट्स होती हैं।
- ACT (American College Testing) - यह भी SAT जैसा एक टेस्ट है, जो कुछ अमेरिकी कॉलेजों में लिया जाता है। SAT और ACT दोनों का चयन विश्वविद्यालय अपनी नीति के आधार पर करते हैं।
- GRE / GMAT (Graduate Exams) - अगर आप मास्टर डिग्री (Postgraduate) के लिए विदेश जा रहे हैं तो आपको GRE (गणित और अंग्रेजी के लिए) और GMAT (व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए) जैसी परीक्षाओं का सामना करना पड़ सकता है।
- Subject-Specific Tests -कुछ विशेष कोर्सों के लिए विश्वविद्यालय विशिष्ट परीक्षाएं भी लेते हैं, जैसे मेडिकल के लिए MCAT और इंजीनियरिंग के लिए Subject GRE।
यूनिवर्सिटी एप्लीकेशन प्रोसेस
एक बार जब आप अपनी परीक्षा की तैयारी पूरी कर लें, तो आपको संबंधित विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होता है। अधिकांश विश्वविद्यालयों की ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में आमतौर पर ये कदम होते हैं:
ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरना
- जरूरी डॉक्यूमेंट (मार्कशीट, सर्टिफिकेट्स, पासपोर्ट, फोटो आदि) जमा करना
- साक्षात्कार (Interviews): कुछ विश्वविद्यालय साक्षात्कार भी लेते हैं, जहां आपका अनुभव, शिक्षा, और कौशल परखते हैं।
- सिफारिश पत्र (Letters of Recommendation): अपने स्कूल या कॉलेज से कुछ सिफारिश पत्र लाने पड़ सकते हैं।
- पारिवारिक आय प्रमाणपत्र (family income certificate): अगर आपको स्कालरशिप की जरूरत है, तो इनकम सर्टिफिकेट की जरूरत हो सकती है।
फाइनेंस और स्कालरशिप
विदेश में पढ़ाई के लिए भारी खर्च हो सकता है, लेकिन इसके लिए आप कई स्कॉलरशिप्स का लाभ उठा सकते हैं। कई सरकारें और निजी संस्थाएं विदेशी छात्रों के लिए स्कॉलरशिप्स देती हैं।
- भारत सरकार की स्कॉलरशिप्स: जैसे कि इंदिरा गांधी पुरस्कार, भारत सरकार की विदेश छात्रवृत्ति योजना।
- यूनिवर्सिटी स्पेसिफिक स्कॉलरशिप: अधिकांश विश्वविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विभिन्न प्रकार की स्कॉलरशिप्स दी जाती हैं।
- डिप्लोमा और कोर्स आधारित स्कॉलरशिप्स: कुछ कोर्सों के लिए भी विशेष स्कॉलरशिप्स होती हैं।
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वीजा और जरूरी डॉक्यूमेंट
विदेश में पढ़ाई के लिए आपको छात्र वीजा की जरूरत होगी। इसके लिए आपको ये डॉक्यूमेंट तैयार करने होंगे:
- ऑफर लेटर (University Admission Letter)
- आर्थिक स्थिरता प्रमाण (Financial Stability Proof)
- स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance)
- पारिवारिक आय प्रमाण (Income Certificate)
कुछ जरूरी बातें
विदेश में पढ़ाई के दौरान आपको कुछ और जरूरी चीजों का भी ध्यान रखना होगा:
संस्कृति और भाषा का ज्ञान (Knowledge of culture and language)
विदेश में पढ़ाई करने से पहले उस देश की संस्कृति, भाषा, और सामाजिक व्यवस्था के बारे में जानकारी लेना बहुत जरूरी है। इससे आपको नई जगह पर सामंजस्य (harmony) बैठाने में मदद मिलेगी और आपको किसी भी सांस्कृतिक या भाषाई अवरोध से बचने में सहूलत होगी।
स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance)
अधिकांश देशों में विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए स्वास्थ्य बीमा अनिवार्य होता है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी इमरजेंसी सिचुएशन में आपकी चिकित्सा देखभाल की व्यवस्था की जाएगी। आपको यात्रा से पहले इसे प्रबंधित करना होगा।
आवास की व्यवस्था (Accommodation Arrangement)
विदेश में पढ़ाई के लिए आवास की व्यवस्था पहले से करना जरूरी है। कई विश्वविद्यालयों में हॉस्टल की सुविधा होती है, लेकिन यदि यह उपलब्ध नहीं है तो आपको बाहर के किराए के घरों के बारे में सोचना होगा।
वित्तीय योजना (Financial Planning)
विदेश में पढ़ाई के लिए महंगे खर्चों की योजना बनाना आवश्यक है। आपको अपनी फीस, आवास, खाने-पीने और यात्रा खर्चों का सही हिसाब रखना होगा। इसके लिए आप छात्रवृत्तियां, लोन या परिवार से वित्तीय मदद ले सकते हैं।
विजा और वर्क परमिट (Visa and Work Permit)
विदेश में पढ़ाई के लिए छात्र वीजा लेना जरूरी होता है। कुछ देशों में पढ़ाई के साथ-साथ सीमित समय के लिए काम करने की अनुमति भी मिलती है। इसके लिए आपको अपने वीजा नियमों का पालन करना होगा और सही डाक्यूमेंट्स की तैयारी करनी होगी।
ऑरिजिनल डाक्यूमेंट्स और ट्रांसलेशन (Original document and translation)
विश्वविद्यालय में आवेदन करते समय, आपके द्वारा दिए गए डाक्यूमेंट्स जैसे कि आपके प्रमाणपत्र, मार्कशीट, रिकमेन्डेशन लेटर etc..का सही ट्रांसलेशन करवाना और उनके ऑरिजिनल डाक्यूमेंट्स तैयार रखना जरूरी है।
मनी मैनेजमेंट (Money Management)
विदेश में रहते हुए अपनी वित्तीय स्थिति का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। एक बजट बनाएं और उसे फॉलो करें। यदि आप काम करने का सोच रहे हैं, तो वर्क-स्टडी प्रोग्राम्स पर भी विचार कर सकते हैं।
नेटवर्किंग और कनेक्शन बनाना (Networking and making connections)
विदेश में पढ़ाई के दौरान अपने क्लास्स्मेटिस और प्रोफेसरों के साथ अच्छे संबंध बनाना न केवल व्यक्तिगत रूप से, बल्कि आपके प्रोफेशनल लाइफ में भी सहायक होगा। यह भविष्य में करियर के अवसरों को भी बढ़ा सकता है।
कानूनी नियमों का पालन (Following Legal Rules)
हर देश में अलग-अलग नियम होते हैं। आपको उन नियमों का पालन करना चाहिए, जैसे वीज़ा नियम, स्थानीय कानून, और विश्वविद्यालय के नियम। नियमों का उल्लंघन करने से आपका वीज़ा रद्द हो सकता है और भविष्य में अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
समय का प्रबंधन (Time Management)
विदेश में पढ़ाई करते समय, समय का सही उपयोग करना बहुत जरूरी है। अकादमिक दबाव, एक्स्ट्रा वर्क और सोशल एक्टिविटीज के बीच बैलेंस बनाना आवश्यक है। एक अच्छा टाइम-टेबल बनाकर उसे फॉलो करने से आपके अकादमिक और पर्सनल जीवन में बैलेंस बना रहेगा।
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