MP की 10 प्राइवेट यूनिवर्सिटी डिफॉल्टर घोषित, छात्रों को हो सकती है बड़ी दिक्कतें, यहां देखें UGC Defaulter List

यूजीसी ने मध्यप्रदेश की इन यूनिवर्सिटीज को डिफॉल्टर घोषित किया है, क्योंकि उन्होंने वेबसाइट पर जरूरी जानकारी और लोकपाल की नियुक्ति जैसे जरूरी गाइडलाइन्स का पालन नहीं किया। इससे छात्रों का भविष्य और डिग्री की साख खतरे में है। 

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Kaushiki
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Big decision of UGC: मध्यप्रदेश के हायर एजुकेशन सिनेरियो से एक बड़ी और चिंताजनक खबर सामने आई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने राज्य के डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। इनमें 10 प्राइवेट यूनिवर्सिटीज शामिल हैं।

ये गंभीर कदम इन एजुकेशनल इंस्टीटूशन्स में यूजीसी के जरूरी गाइडलाइन्स का पालन न करने के कारण उठाया गया है। यह घोषणा न केवल इन डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों की साख पर क्वेश्चन मार्क लगाती है बल्कि उन हजारों छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए भी चिंता का विषय है जो इन संस्थानों में अपना भविष्य देख रहे हैं।

यूजीसी का यह एक्शन इस बात को साफ करता है कि अब सेंट्रल रेगुलेटरी बॉडी यूनिवर्सिटीज की मनमानी को बर्दाश्त नहीं करेगी। छात्रों के हित और अकादमिक ट्रांसपेरेंसी को सुनिश्चित करने के लिए यूजीसी ने यह टफ डिसिशन लिया है।

प्राइवेट यूनिवर्सिटीज पर UGC का एक्शन

यूजीसी के मुताबिक देशभर के 54 प्राइवेट यूनिवर्सिटीज ने अभी तक यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 13 के अंतर्गत अनिवार्य पब्लिक सेल्फ डिस्क्लोजर (Public Self Disclosure) अपनी ऑफिशियल वेबसाइटों पर अपलोड नहीं किया है।

इस सूची में अकेले मध्य प्रदेश के 10 निजी विश्वविद्यालय शामिल हैं। निजी विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित करने के पीछे मेन रीजन वेबसाइट पर जानकारी अपलोड न करना है।

यूजीसी गाइडलाइन्स के मुताबिक, इन संस्थाओं को अपनी वेबसाइटों पर एक सर्च सुविधा के साथ-साथ एक तय फॉर्मेट में सर्टिफाइड डाक्यूमेंट्स के साथ सभी आवश्यक जानकारी देनी थी। यह जानकारी छात्रों और अभिभावकों को विश्वविद्यालय के संचालन, नियमों, फीस स्ट्रक्चर और अन्य इम्पोर्टेन्ट आस्पेक्ट्स के बारे में जानने में मदद करती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, इन 10 निजी विश्वविद्यालयों ने बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद इस अनिवार्य शर्त का पालन नहीं किया इसलिए उन्हें डिफॉल्टर (ugc declared universities defaulter) की सूची में डाल दिया गया है।

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10 डिफॉल्टर प्राइवेट यूनिवर्सिटी

  • अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी, भोपाल

  • आर्यावर्त यूनिवर्सिटी, सीहोर

  • प्रीति ग्लोबल यूनिवर्सिटी, शिवपुरी

  • ज्ञानवीर यूनिवर्सिटी, सागर

  • जेएनसीटी यूनिवर्सिटी, भोपाल

  • शुभम यूनिवर्सिटी, भोपाल

  • महर्षि महेश योगी वैदिक विवि, जबलपुर

  • एलएनसीटी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, इंदौर

  • महाकौशल यूनिवर्सिटी, जबलपुर

  • मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी, सीहोर

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डिफॉल्टर टैग का छात्रों और अभिभावकों पर सीधा असर

समस्या का क्षेत्र (Area of Concern)छात्रों/अभिभावकों पर सीधा प्रभाव (Direct Impact on Students/Parents)
पारदर्शिता की कमी छात्रों/अभिभावकों को यह जानने में असमर्थता होती है कि विश्वविद्यालय UGC के नियमों के तहत चल रहा है या नहीं, जिससे भविष्य में किसी भी कानूनी या प्रशासनिक अड़चन (Legal or administrative hurdles) की आशंका बढ़ जाती है।
शिकायत निवारण लोकपाल (Ombudsman) या शिकायत निवारण तंत्र (Grievance Redressal Mechanism) न होने के कारण, छात्रों की जरूरी समस्याओं (जैसे अंकपत्र, फीस, रैगिंग आदि) का समय पर और निष्पक्ष समाधान नहीं हो पाता है।
डिग्री की विश्वसनीयता UGC द्वारा डिफॉल्टर घोषित होने पर, संबंधित विश्वविद्यालय की डिग्री की क्रेडिबिलिटी (साख) पर संदेह उत्पन्न हो सकता है, जिससे भविष्य में नौकरी (Job Applications) या आगे की पढ़ाई के लिए आवेदन करते समय दिक्कतें आ सकती हैं।
सूचित निर्णयजरूरी दस्तावेज, नियम और फीस संरचना वेबसाइट पर न होने से, नए छात्रों को प्रवेश के लिए सही और सूचित निर्णय लेने में बहुत कठिनाई होती है।

नियमों का तत्काल पालन जरूरी

यूजीसी (यूजीसी का बड़ा फैसला) ने इन सभी डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों को अंतिम नोटिस जारी कर दिया है। रेगुलेटरी बॉडी ने सख्त निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल प्रभाव से नियमों का पालन करें और अपनी वेबसाइटों पर पब्लिक सेल्फ डिस्क्लोजर अपलोड करें और लोकपाल की नियुक्ति सुनिश्चित करें।

यूजीसी (यूजीसी डिफॉल्टर यूनिवर्सिटीज लिस्ट) का यह कड़ा रुख छात्रों के हितों की रक्षा और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जवाबदेही स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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