द सूत्र की खबर का बड़ा असर, MPPSC ने हटाई मप्र राज्य सेवा परीक्षा 2022 प्री की विवादित आंसर की; कैंडिडेट्स के करोड़ों रुपए बचेंगे

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Rahul Garhwal
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द सूत्र की खबर का बड़ा असर, MPPSC ने हटाई मप्र राज्य सेवा परीक्षा 2022 प्री की विवादित आंसर की; कैंडिडेट्स के करोड़ों रुपए बचेंगे

संजय गुप्ता, INDORE. मध्यप्रदेश में द सूत्र की खबर का बड़ा असर हुआ है। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने मध्यप्रदेश राज्य सेवा परीक्षा 2022 प्री की विवादित आंसर की हटा दी है। आयोग इसे अपडेट करके दोबारा जारी करेगा। इससे कैंडिडेट्स के करोड़ों रुपए बचेंगे, नहीं तो आपत्ति लगाने पर पैसे खर्च करने पड़ते। आयोग ने विज्ञप्ति जारी करके बताया कि गलतियों की वजह से आंसर की संशोधित करके दोबारा जल्द  ही जारी की जाएगी। आज यूपीएससी 2022 का फाइनल रिजल्ट आया है। वहीं मध्यप्रदेश आयोग 2022 की प्रिलिम्स की प्रोफेशनल आंसर की में इतनी गलतियां कर रहा है। दोनों ही संवैधानिक संस्थाएं हैं, लेकिन आप दोनों का स्तर देख सकते हैं।




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आयोग ने वेबसाइट से हटाई आंसर की





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आंसर की को लेकर आयोग ने जारी की विज्ञप्ति।




कैंडिडेट्स को हर सवाल पर देना पड़ता 100 रुपए का चार्ज



आंसर की में चूक होने पर 7 दिन में उम्मीदवारों को आपत्ति लगानी पड़ती और हर सवाल पर 100 रुपए का चार्ज लगता। यानी गलती आयोग की और उम्मीदवारों को भुगतना पड़ता। सेट-C में तो जानकारों ने बताया कि प्रश्न 31 से लेकर 50 तक की सवालों की आंसर की गलत थी। परीक्षा में 1.88 लाख उम्मीदवार बैठे थे, इसमें से 1 लाख उम्मीदवारों ने एक-एक सवाल भी आपत्ति लगाई तो आयोग को शुद्ध कमाई होगी 1 करोड़ रुपए होनी थी। अब उम्मीदवार पूछ रहे थे कि क्या हमसे कमाई करने के लिए जानबूझकर ये आंसर की जारी की है क्या?



राज्य सेवा परीक्षा 2021 में भी 20 सवाल आयोग ने पैसे लेकर सुधारे थे



ये पहली बार नहीं हुई थी, राज्य सेवा परीक्षा 2021 की प्री में भी 20 से ज्यादा सवाल आंसर की में गलत थे, जिन पर हजारों उम्मीदवारों ने शुल्क भरकर आपत्ति लगाई थी, इसके बाद आयोग ने ये गलती सुधारी और 20 से ज्यादा के आंसर बदले थे यानी पैसे लेकर गलती सुधारी थी। इस बार आयोग को अपनी गलती सुधारने के लिए कम से कम 1 करोड़ तो मिलने तय थे। वहीं उम्मीदवारों का कहना था कि ये राशि माफ होनी चाहिए, क्योंकि गलती उम्मीदवारों की नहीं बल्कि खुद आयोग की है, तो वो क्यों लाखों-करोड़ों की राशि का भुगतान करें।



उदाहरण के तौर पर इस तरह थे सवालों के विवादित जवाब



1. एक सवाल है मप्र का कोयला उत्पादन में क्या स्थान है, इसका जवाब आयोग ने दिया है चौथा स्थान, जबकि कुछ दिन पहले कम्प्यूटर ऑपरेटर की हुई परीक्षा में भी यही सवाल आया था और तब आयोग का जवाब था तीसरा स्थान। वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि आयोग का ये आंसर सही है क्योंकि उन्होंने सकल उत्पादन पूछा है तो इसमें एमपी का नंबर देश में चौथा है और ऐसे कोयले के सामान्य उत्पादन में MP का तीसरा स्थान है। इस सवाल को लेकर असमंजस है।



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मध्यप्रदेश जनसंपर्क का पुराना ट्वीट - शासन कहता है कि मध्यप्रदेश कोयला उत्पादन में तीसरे स्थान पर है और आयोग कहता है कि चौथे स्थान पर है।




2. ई-गनर्वेंस को लेकर सवाल है कि इसके लिए क्या वर्णन सही बैठता है? जानकारों ने जवाब दिया है कि तकनीकी आधारित शासन की व्यवस्था करना, वहीं आयोग की आंसर की में जवाब A है जिसमें है कि नागरिकों को नियुक्त करना, सक्षम बनाना और अधिकार देना।



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3. इसी तरह एक सवाल है कि निम्न डायोड में कौन सा अत्यंत उच्च गति स्विचिंग इलेक्ट्रॉनिक परिपथ में प्रयोग होता है। जानकारों के अनुसार आंसर शॉट्की डायोड है, लेकिन आयोग की आंसर में जवाब टनल डायोड है।



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500 रुपए का फॉर्म, आपत्ति में हजार लग जाते



एक उम्मीदवार का कहना था कि मेरा C सेट है और इसमें सवाल 31 से 50 तक की आंसर की ऊटपटांग जारी हुई है। यदि मैं इन 20 सवालों पर आपत्ति लूंगा तो 2 हजार रुपए भरने होंगे, जबकि इस परीक्षा के लिए मैंने 500 रुपए का फॉर्म भरा था, यानी परीक्षा देने से महंगा आंसर की पर आपत्ति लगाना है।



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पहले ही आयोग हर परीक्षा के लिए ले रहा अलग फीस



एक बार ही परीक्षा शुल्क लेने के मप्र शासन के आदेश को आयोग पहले ही नहीं मान रहा है और हर परीक्षा के लिए चार्ज लिए जाते हैं, प्री के लिए 500 रुपए तो मेन्स के लिए 800 रुपए फिर से लिए जाते हैं और आपत्ति लगाने पर भी राशि अलग से लगती है। उल्लेखनीय है कि आयोग की राज्य सेवा परीक्षा में इस बार भी 2.62 लाख ने आवेदन भरे थे और 1.88 लाख ने परीक्षा दी थी। समस्या ये है कि आपत्ति नहीं लगाने पर उम्मीदवार उलझ जाते क्योंकि उनके लिए 1-1 नंबर का महत्व है।


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