एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम में किया बदलाव, महात्मा गांधी और आरएसएस से जुड़े तथ्य हटाए, मुगलों से जुड़े हिस्सों को भी हटाया

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एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम में किया बदलाव, महात्मा गांधी  और आरएसएस से जुड़े तथ्य हटाए, मुगलों से जुड़े हिस्सों को भी हटाया

NEW DELHI. नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) ने सिलेबस में कुछ बदलाव किए हैं। यह बदलाव 12वीं कक्षा के लिए इतिहास, नागरिक शास्त्र और हिंदी में किए गए हैं। जानकारी के अनुसार महात्मा गांधी और आरएसएस से जुड़े कुछ तथ्य हटा दिए गए हैं। 



नाथूराम गोडसे से जुड़ी जानकारी हटाई



एनसीईआरटी के नई किताबों से इतिहास का वो हिस्सा भी हटा दिया गया है, जिसमें बताया गया था कि नाथूराम गोडसे, जिन्होंने महात्मा गांधी की हत्या की थी, उन्हें 'पुणे का एक ब्राह्मण' कहा गया था और उनकी पहचान एक कट्टरपंथी हिंदू अखबार के संपादक के रूप में की गई थी, जो सोचते थे कि गांधी मुसलमानों को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। 



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महात्मा गांधी और RSS से जुड़े ये तथ्य हटाए




  • महात्मा गांधी को वो लोग पसंद नहीं करते थे, जिनका मानना था कि भारत को बदला लेना चाहिए या फिर भारत को हिंदुओं का देश होना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान मुसलमानों का देश है। 


  • महात्मा गांधी के हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रयास ने हिंदूवादी कट्टरपंथी गुट को इतना ज्यादा उकसा दिया कि उन्होंने गांधीजी की हत्या के कई प्रयास किए। 

  • गांधीजी की हत्या का देश की साम्प्रदायिक स्थिति पर काफी गहरा असर पड़ा, उनकी मौत के बाद भारत सरकार ने साम्प्रदायिक नफरत फैलाने वाले संगठनों पर नकेल कसनी शुरू कर दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया। 



  • बाजार में किताबें आने पर हुआ खुलासा 



    एनसीईआरटी ने इस बदलाव के बारे में स्कूलों को बताने के साथ ही अपने आधिकारिक वेबसाइट पर भी इसकी जानकारी दी गई थी। हालांकि पिछले साल समय के अभाव में नई किताबों की छपाई नहीं हो सकी थी। अब बाजार में ये किताबें साल 2023-24 के लिए छकर आ चुकी हैं और जब इस को पढ़ा गया तो पता चला की उसमें महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे से जुड़े वाक्यों और संदर्भों को हटा दिया गया है। 



    ये तथ्य भी हटाए 




    • किताब का एक पैराग्राफ हटा दिया गया, जिस पर गुजरात दंगों के बारे में लिखा गया था। इस पैराग्राफ में बताया गया था कि किस तरह रिहायशी इलाके धर्म, जाति और नस्ल के आधार पर बंटे होते हैं और किस तरह 2002 में हुए गुजरात दंगों के बाद धर्म जाति में लोग और भी ज्यादा बंटते चले गए। किताब में इस पैराग्राफ के साथ कक्षा 6 से लेकर 12 तक के सोशल स्टडीज के सिलेबस से गुजरात दंगों से जुड़ी हर जानकारी को हटा दिया गया है।


  • 'महात्मा गांधी का त्याग' यह कक्षा 12वीं का पहला अध्याय है, जिसके पहले भाग में बताया गया था कि हिंदू-मुसलमान एकता की पुरजोर समर्थन करने वाले और गांधी का विरोध करने वालों ने कई बार उनकी हत्या की कोशिश की।

  • किताब के उस तथ्य पर भी कैंची चला दी गई, जिसमें बताया गया था कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद भारत सरकार ने सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाले संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की। इस कार्रवाई के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों को कुछ वक्त के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। 

  • इस किताब में महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ा वो हिस्सा भी हटा दिया गया, जिसमें उन्हें मारने वाले यानी नाथू राम गोडसे को ब्राह्मण और कट्टरपंथी हिंदू अखबार का संपादक बताया गया था। इसे बदलकर बस इतना लिखा गया कि 30 जनवरी को प्रार्थना सभा में एक युवा ने गांधी पर गोली चलाई। हत्या करने बाद उस हत्यारे ने सरेंडर भी कर दिया, व्यक्ति की पहचान नाथूराम गोडसे के तौर पर की गई। 



  • मुगलों और जाति व्यवस्था से जुड़े हिस्सों को भी हटाया गया



    महात्मा गांधी से जुड़े तथ्यों के अलावा नई किताबों से मुगलों और जाति व्यवस्था से जुड़े हिस्सों को भी हटाया गया है। कक्षा 7 वीं के इतिहास की किताब से दिल्ली सल्तनत के शासकों (मामलुक, तुगलक, खिलजी, लोधी और मुगलों) से जुड़े हुए कई हिस्सों को गायब कर दिया गया है। उस टेबल को भी हटा दिया, जिसमें हुमायूं, शाहजहां, बाबर, अकबर, जहांगीर और औरंगजेब की उपब्धियों की जानकारी दी गई थी। 


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