840 करोड़ का बजट फिर भी क्यों फेल हो गई पीएम इंटर्नशिप स्कीम? जानें युवाओं ने क्यों बनाई दूरी

लाखों रजिस्ट्रेशन और करोड़ों के बजट के बावजूद, प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना अपने पहले साल में 1.25 लाख के लक्ष्य के मुकाबले केवल 2066 इंटर्न्स तक ही सीमित रह गई। जानें क्या है इसकी वजह।

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Kaushiki
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सरकार ने बहुत बड़े विजन के साथ प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना की शुरुआत की। इस स्कीम का मेन ऑब्जेक्टिव युवाओं को बड़ी कंपनियों में काम का अनुभव देना था। सरकार चाहती थी कि युवा बुकिश नॉलेज के साथ प्रैक्टिकल स्किल भी सीख सकें।

पहले साल के लिए सरकार ने 1.25 लाख इंटर्नशिप पूरा करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन ताजा सरकारी आंकड़ों ने सबको हैरान कर दिया है क्योंकि नतीजे बहुत कम रहे।

इस सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पूरे भारत में सिर्फ 2066 उम्मीदवार ही अपनी इंटर्नशिप को पूरी तरह खत्म कर पाए। लगभग 840 करोड़ रुपए के बड़े बजट के बावजूद ये योजना परवान नहीं चढ़ सकी। ऐसे में  क्या वजह रही कि लाखों रजिस्ट्रेशन के बाद भी युवा पीछे हट गए? आइए जानें...

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इंटर्नशिप छोड़ने के 3 सबसे बड़े कारण

इन 3 बड़ी वजहों ने बिगाड़ा खेल-

  • लोकेशन की समस्या और बड़े शहरों का खर्च

    इस योजना के तहत ज्यादातर इंटर्नशिप के मौके दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में थे। छोटे शहरों और गांवों के युवाओं के लिए इन महंगे शहरों में रहना बहुत मुश्किल था। वहां जाने का किराया और रहने का खर्च स्टाइपेंड की तुलना में काफी ज्यादा बैठ रहा था। इसी वजह से हजारों छात्रों ने ऑफर मिलने के बाद भी कंपनियों में जॉइनिंग नहीं ली।

  • कम स्टाइपेंड और आर्थिक तंगी

    छात्रों का कहना है कि सरकार की तरफ से मिलने वाला स्टाइपेंड बहुत ही मामूली है। दूसरे शहर में रहकर खाने-पीने और कमरे का किराया देना इस स्टाइपेंड में मुमकिन नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, आर्थिक तंगी के कारण करीब 4565 युवाओं ने इंटर्नशिप शुरू करने के बाद बीच में ही छोड़ दी। अगर स्टाइपेंड रहने के खर्च के बराबर होता, तो शायद युवा इसे बीच में नहीं छोड़ते।

  • स्किल डेवलपमेंट की कमी

    कई कंपनियों ने युवाओं को सिर्फ डेटा एंट्री या छोटे-मोटे कागजी काम ही सौंप दिए थे। छात्रों को उम्मीद थी कि उन्हें कुछ नया सीखने को मिलेगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। गाइडेंस की कमी और क्लियर ट्रेनिंग मॉड्यूल न होने से युवाओं का भरोसा योजना से उठ गया। पार्टनर कंपनियों ने भी युवाओं को सही तरीके से मॉनिटर करने में बहुत ज्यादा रुचि नहीं दिखाई।

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क्या कहते हैं आंकड़े

अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो युवाओं में इस इंटर्नशिप प्रोग्राम को लेकर उत्साह था। पहले राउंड में 3.7 लाख और दूसरे में 3.67 लाख रजिस्ट्रेशन हुए थे।

कंपनियों ने भी पहले राउंड में लगभग 1.27 लाख इंटर्नशिप के अवसर पोस्ट किए थे। लेकिन आवेदन करने वाले लगभग 82 हजार उम्मीदवारों में से सिर्फ 28 हजार 1 सौ 41 को ऑफर मिले।

4565 युवाओं ने ऑफर मिलने के बाद छोड़ दिया। दूसरे फेज में भी लगभग 2053 उम्मीदवारों ने नवंबर तक इंटर्नशिप बीच में छोड़ दी। ये गैप बताता है कि योजना की डिजाइनिंग और लागू करने में बड़ी कमी रही।

सरकार ने इस पीएम इंटर्नशिप स्कीम के लिए बजट भी 840 करोड़ से घटाकर 380 करोड़ किया। यह बजट कटौती भी स्कीम के धीमे पड़ने का एक बड़ा संकेत मानी जा रही है।

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना क्या है

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना सरकार की एक बड़ी स्कीम है। इसका मकसद युवाओं को देश की टॉप 500 कंपनियों में काम करने का अनुभव दिलाना है। इस योजना के जरिए युवा किताबी ज्ञान के अलावा कंपनियों में जाकर प्रैक्टिकल स्किल्स सीख सकते हैं।

इसमें शामिल होने वाले युवाओं को हर महीने 5 हजार रुपए का स्टाइपेंड मिलता है। इसके अलावा, सालाना 6 हजार रुपए की एकमुश्त सहायता भी दी जाती है। यह इंटर्नशिप 12 महीने की होती है, ताकि युवा भविष्य की नौकरियों के लिए खुद को पूरी तरह तैयार कर सकें।

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