BHOPAL. मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में 4 साल से शिक्षकों के रिक्त पद भरने की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए उच्च माध्यमिक व माध्यमिक शिक्षक भर्ती के लिए द्वितीय काउंसलिंग की प्रक्रिया चल रही है। शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण उम्मीदवार लगातार पद वृद्धि कर भर्ती करने की मांग कर रहे हैं। इस बीच एक ऐसी जानकारी सामने आई जिसने उम्मीदवारों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी। विभाग ने माध्यमिक शिक्षक भर्ती में विज्ञान और सामाजिक विज्ञान को शामिल ही नहीं किया। जबकि विज्ञान के 50 और सामाजिक विज्ञान के 60 पद खाली थे।
एक्स्ट्रा शिक्षकों के माध्यम से पूर्ति करना चाह रहा था विभाग
विभाग इन पदों पर अतिशेष यानी संबंधित विषयों के पहले से पदस्थ एक्स्ट्रा शिक्षकों के माध्यम से पूर्ति करना चाह रहा था। जिसका उम्मीदवारों ने विरोध किया और धीरे-धीरे अपना आंदोलन तेज करना शुरू कर दिया। आंदोलन को बढ़ता देख लोक शिक्षण संचालनालय यानी डीपीआई ने विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के लिए 10 अक्टूबर, सोमवार शाम को पोर्टल शुरू कर दिया, पर पोर्टल पर रिक्त पदों की संख्या ही उपलब्ध नहीं कराई। इससे उम्मीदवारों को यह मालूम ही नहीं चल रहा कि कितने पदों पर भर्ती होगी। शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण उम्मीदवार रंजीत सिंह ने बताया कि डीपीआई से अब तक स्पष्ट नहीं है कि विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के कितने पदों पर भर्ती होगी, विभाग जल्द स्थिति स्पष्ट नहीं करता है तो वह अपनी बात अधिकारियों के सामने रखेंगे। वहीं उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षक भर्ती के लिए दस्तावेज अपलोड करने की अंतिम तारीख 10 अक्टूबर थी जिसे विभाग ने बढ़ाकर अब 16 अक्टूबर कर दिया है मतलब उम्मीदवार पोर्टल पर अपने दस्तावेज 16 अक्टूबर तक अपलोड कर सकेंगे।
जनजातीय कार्य विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग की संयुक्त होगी काउंसलिंग
विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के कितने पदों पर भर्ती होने वाली है यह अभी स्पष्ट नहीं है। डीपीआई की ओर से जारी निर्देश में अभी सिर्फ इतना बताया गया है कि जनजातीय कार्य विभाग से रिक्त पद उपलब्ध हुए हैं, इसलिए पात्र उम्मीदवारों से दस्तावेज अपलोड करवाए जा रहे हैं। हालांकि जनजातीय कार्य विभाग की ओर से भी रिक्त पदों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पर इससे इतना तो साफ हो गया है कि जनजातीय कार्य विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग द्वितीय काउंसलिंग संयुक्त रूप से कर भर्ती करेगा। बता दें इससे पहले सिर्फ पांच विषय हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू व गणित में भर्ती के लिए दस्तावेज अपलोड करवाए जा रहे थे।
अकेले इन दो विषयों के उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से 3.86 करोड़ की कमाई
प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड जिसका नाम बदलकर अब कर्मचारी चयन मंडल कर दिया गया है। 2018 शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा में रिजर्व कैटेगिरी के केंडिडेट से 250 रुपए और अनरिजर्व कैटेगिरी के कैंडिडेट से 500 रुपए परीक्षा फीस के रूप में ली थी। मतलब एक कैंडिडेट से औसतन 375 रुपए लिए गए थे। इस परीक्षा में विज्ञान में 61,269 और सामाजिक विज्ञान के 41,699 अभ्यर्थियों ने पात्रता हासिल की थी। मतलब अकेले इन दो विषयों के उत्तीर्ण उम्मीदवारों से परीक्षा के नाम पर 3 करोड़ 86 लाख 13 हजार रुपए की कमाई हुई।
जिस शिक्षक भर्ती के ये हाल...उससे कमाए 56.20 करोड़
प्रदेश में जो शिक्षक भर्ती सबसे ज्यादा विवादों में रही। उससे ही पीईबी ने 56 करोड़ 20 लाख 92 हजार रूपए कमाए हैं। उच्चतर माध्यमिक यानी वर्ग 1 की परीक्षा 2 लाख 20 हजार उम्मीदवारों ने दी थी। माध्यमिक शिक्षक यानी वर्ग 2 की परीक्षा 4 लाख 78 हजार 620 उम्मीदवारों ने दी। वहीं वर्ग-3 यानी प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 7 लाख 99 हजार उम्मीदवारों ने दी। प्रथम काउंसलिंग के बाद अक्टूबर से द्वितीय काउंसलिंग की भर्ती पक्रिया शुरू है।
60 हजार पद अब भी खाली
2018 में मप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-1 व वर्ग-2 का आयोजन किया गया। वहीं शिक्षक भर्ती के लिए अगस्त व अक्टूबर 2019 में परीक्षा परिणाम घोषित किया। इसमें 40 हजार शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी, लेकिन कुल 30 हजार पद ही स्वीकृत किए गए। इसमें स्कूल शिक्षा विभाग ने साढ़े 20 हजार पद ही स्वीकृत किए और जनजाति कार्य विभाग ने करीब 9 हजार पदों पर भर्ती शुरू की। यह प्रक्रिया चार साल तक चलने के बाद भी पूरी नहीं हो पाई। अब भी उच्च माध्यमिक व माध्यमिक शिक्षकों के करीब 60 हजार पद खाली रह गए हैं। सूत्रों के अनुसार विभाग वर्ग एक के लिए 750 और वर्ग 2 के लिए 5 हजार पदों की वृद्धि कर भर्ती कर सकता है।