अब बोर्ड परीक्षा में पास होना हुआ आसान, जानें सफलता के ये 5 मंत्र

क्या आप जानते हैं कि विद्यार्थी जीवन के पांच गुण कौन-से हैं, जो न केवल परीक्षा के दबाव को कम करते हैं बल्कि जीवनभर सफलता का आधार बनते हैं? आइए जानें इन गुणों का रहस्य...

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Kaushiki
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कुछ ही दिनों में बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। इस समय बच्चों पर पढ़ाई का दबाव बढ़ जाता है। सही तरीके से पढ़ाई न करने पर वे कई बार तनाव में आ जाते हैं। ऐसे में सेल्फ कंट्रोल, डिसिप्लिन और मेहनत का सही तरीका अपनाना बहुत जरूरी हो जाता है। विद्यार्थी जीवन केवल पढ़ाई का समय नहीं है, बल्कि ये सेल्फ डेवलपमेंट और ड्यूटी निभाने का भी समय है।

हमारे प्राचीन ग्रंथों में विद्यार्थी जीवन के पांच प्रमुख गुण बताए गए हैं, जो परीक्षा के दबाव को संभालने और जीवन में सफल बनने में मदद करते हैं। ये गुण हैं – काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा, अल्पहारी और सदाचारी। ये लक्षण सेल्फ कंट्रोल और पॉजिटिव थॉट्स को बढ़ाते हैं, जो जीवन में हर कठिनाई को पार करने में मदद करते हैं। अगर विद्यार्थी इन गुणों को अपनाए, तो वे न केवल परीक्षा में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकते हैं। आइए इन गुणों को आसान शब्दों में समझते हैं...

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अल्पहारी (संतुलित और स्वस्थ भोजन)

अल्पहारी का अर्थ है सीमित मात्रा में और स्वस्थ भोजन करना। अधिक भोजन करने से शरीर में सुस्ती और आलस्य आता है, जो पढ़ाई में बाधा बन सकता है। संतुलित आहार से शरीर और दिमाग दोनों स्वस्थ रहते हैं।

कैसे अपनाएं:

  • अपने आहार में हरी सब्जियां, फल और पौष्टिक चीजें शामिल करें।
  • तला-भुना और जंक फूड खाने से बचें।
  • अधिक भोजन करने के बजाय समय-समय पर हल्का भोजन करें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे।

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काक चेष्टा (कौवे जैसी सतर्कता और मेहनत)

काक चेष्टा का अर्थ है कौवे जैसी सतर्कता और लगातार मेहनत करना। कौवा अपने भोजन या किसी चीज को पाने के लिए हमेशा सतर्क और मेहनती रहता है। विद्यार्थी को भी अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत करनी चाहिए और हर समय सतर्क रहना चाहिए।

कैसे अपनाएं:

  • अपने हर दिन के कामों की सूची बनाएं और उसे पूरा करने का प्रयास करें।
  • अगर किसी विषय में समस्या हो तो उसे बार-बार पढ़ें और समझने की कोशिश करें।
  • अपने लक्ष्य को हमेशा याद रखें और मेहनत करना जारी रखें।
  • असफलता से घबराएं नहीं, बल्कि उससे सीखें और आगे बढ़ें।

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बको ध्यानं (बगुले जैसी एकाग्रता)

बको ध्यानं का मतलब है बगुले की तरह पूरी एकाग्रता के साथ ध्यान केंद्रित करना। बगुला पानी में शिकार करते समय पूरी तरह ध्यान लगाए रहता है। इसी तरह, विद्यार्थी को भी पढ़ाई के समय ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूर रहकर एकाग्र रहना चाहिए।

कैसे अपनाएं:

  • पढ़ाई के लिए शांत और एकांत जगह चुनें।
  • पढ़ाई के समय मोबाइल फोन और टीवी जैसी चीजों से दूरी बनाएं।
  • ध्यान केंद्रित करने के लिए मेडिटेशन (ध्यान) का अभ्यास करें।
  • कठिन विषयों को समझने के लिए धैर्यपूर्वक गहराई से पढ़ाई करें।

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स्वान निद्रा (कुत्ते जैसी सतर्क नींद)

स्वान निद्रा का अर्थ है कुत्ते जैसी सतर्क नींद। कुत्ता हल्की-सी आवाज पर तुरंत जाग जाता है और सतर्क रहता है। विद्यार्थी को भी आलस्य और लापरवाही से बचते हुए अपने समय का सही उपयोग करना चाहिए।

कैसे अपनाएं:

  • नियमित समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
  • देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने से बचें।
  • पढ़ाई और आराम का संतुलन बनाए रखें।
  • थकान महसूस होने पर हल्का व्यायाम या ध्यान करें।

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सदाचारी (सदाचार और नैतिकता)

सदाचारी का अर्थ है अच्छे विचारों और आचरण को अपनाना। एक विद्यार्थी को अपने माता-पिता, शिक्षक और बड़ों का सम्मान करना चाहिए। साथ ही अपने छोटे भाई-बहनों और मित्रों के साथ भी अच्छे व्यवहार रखना चाहिए। अच्छे आचरण से समाज में व्यक्ति का सम्मान बढ़ता है।

कैसे अपनाएं:

  • अपने माता-पिता, गुरु और बड़े लोगों का सम्मान करें।
  • अपने दोस्तों और साथियों के साथ प्रेम और सहयोग का व्यवहार करें।
  • हमेशा सच बोलें और ईमानदारी से काम करें।
  • बुरी संगत और गलत आदतों से दूर रहें।

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इन लक्षणों का महत्व

जब विद्यार्थी इन पांच लक्षणों को अपने जीवन में उतारते हैं, तो वे केवल पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि अपने पूरे व्यक्तित्व में भी सुधार करते हैं। काक चेष्टा से निरंतर मेहनत करने की आदत बनती है, बको ध्यानं से एकाग्रता बढ़ती है, स्वान निद्रा से सतर्कता आती है, अल्पहारी से शरीर स्वस्थ रहता है और सदाचारी से व्यक्ति का चरित्र निखरता है। इन गुणों को अपनाकर विद्यार्थी अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

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