स्टूडेंट सुसाइड रोकने के लिए National Task Force ने लॉन्च की नई वेबसाइट, जानें क्या है खास

स्टूडेंट सुसाइड रोकने के लिए नई वेबसाइट लॉन्च हुई है। यह पोर्टल छात्रों और अभिभावकों से राय लेगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी टास्क फोर्स की यह पहल आपके लिए बहुत काम की हो सकती है।

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Kaushiki
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Education news: देश में छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं ने सभी को चिंतित कर दिया है। इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक नेशनल टास्क फोर्स (National Task Force) का गठन किया गया था जिसकी अध्यक्षता जस्टिस एस. रविन्द्र भट्ट (रिटायर) कर रहे हैं।

इस टास्क फोर्स ने अब एक बड़ा कदम उठाया है और एक नई वेबसाइट ntf.education.gov.in लॉन्च की है। यह पोर्टल छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और संस्थानों से ऑनलाइन सर्वे के जरिए उनकी राय जानने का काम करेगा।

यह वेबसाइट छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को समझने और उच्च शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या को रोकने के मकसद से बनाई गई है।

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टास्क फोर्स की पहली बैठक

टास्क फोर्स ने अपनी पहली बैठक 29 मार्च को की थी, जिसके बाद से उन्होंने कई एजुकेशनल इंस्टीटूशन्स, एक्सपर्ट्स, छात्रों की राय जानने के साथ-साथ कई रिपोर्ट्स का विश्लेषण भी किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 18 सदस्यों वाली यह टास्क फोर्स अपनी अंतरिम रिपोर्ट (interim report) सितंबर के अंत तक सुप्रीम कोर्ट में सौंपेगी और साल के आखिर तक अंतिम रिपोर्ट भी आ जाएगी।

वेबसाइट लॉन्च के मौके पर जस्टिस रविन्द्र भट्ट के साथ शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी और स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार समेत कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। इस पोर्टल का मकसद यही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा जा सके और उनसे सही फीडबैक लिया जा सके।

नेशनल टास्क फोर्स क्या है

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नेशनल टास्क फोर्स (National Task Force) एक स्पेशल ग्रुप होता है, जिसे सरकार या कोर्ट किसी खास प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए बनाते हैं। इसमें एक्सपर्ट्स और ऑफिसर्स शामिल होते हैं।

इसका मेन काम किसी एक मुद्दे, जैसे छात्रों की आत्महत्या या डॉक्टर्स की सेफ्टी पर स्टडी करना और सजेशन देना होता है। यह सिर्फ सलाह देने का काम करता है, खुद कोई एक्शन नहीं लेता। यह कोई परमानेंट बॉडी नहीं होती, बल्कि काम पूरा होते ही इसे हटा दिया जाता है।

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नेशनल टास्क फोर्स के मुख्य उद्देश्य

टास्क फोर्स तीन बड़े फैक्टर्स पर काम कर रही है, जिनका मकसद इस गंभीर समस्या की जड़ तक पहुंचना है।

  • प्रमुख कारणों की पहचान: सबसे पहले, टास्क फोर्स छात्रों की आत्महत्या के प्रमुख कारणों की पहचान करेगी। इसमें शैक्षणिक दबाव, भेदभाव, फाइनेंसियल  बर्डन और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं।
  • मौजूदा नीतियों का एनालिसिस: दूसरा, मौजूदा स्टूडेंट वेलफेयर और मानसिक स्वास्थ्य नियमों और नीतियों की इफेक्टिवनेस का एनालिसिस करना है। यानी यह पता लगाना कि अभी जो नियम हैं, वे कितने प्रभावशाली हैं।
  • रिफॉर्म्स की रेकमेंडेशन्स: तीसरा फैक्टर संस्थागत ढांचे को मजबूत करने और एक सहायक शैक्षणिक वातावरण बनाने के लिए सुधारों की सिफारिशें करना है।

जस्टिस रविन्द्र भट्ट ने वेबसाइट लॉन्च के दौरान बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर गहरी चिंता जताई थी, जिसके बाद इस टास्क फोर्स का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि टास्क फोर्स की यह बड़ी जिम्मेदारी है कि उन सभी कारणों की जड़ तक पहुंचा जाए, जिनके चलते छात्र इतना बड़ा कदम उठा रहे हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि टास्क फोर्स के सदस्यों ने बड़े शहरों और छोटे शहरों दोनों के संस्थानों का दौरा किया है ताकि हर जगह की जमीनी हकीकत को समझा जा सके। अब इस वेबसाइट पर उपलब्ध ऑनलाइन प्रश्नावली की मदद से छात्रों और अन्य संबंधित पक्षों की राय जानी जाएगी।

हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट और टास्क फोर्स का रोल

उच्च शिक्षा विभाग में सचिव डॉ. विनीत जोशी ने कहा कि छात्रों में बढ़ रहे मानसिक तनाव के कारणों का पता लगाना और मौजूदा रेगुलेशंस का विश्लेषण किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि टास्क फोर्स पिछले कुछ महीनों से इस पर काम कर रही है और अब प्रश्नावली भी बनाई गई है, जिससे काम में तेजी आएगी।

  • नोडल डिपार्टमेंट: शिक्षा मंत्रालय का उच्च शिक्षा विभाग इस टास्क फोर्स का नोडल डिपार्टमेंट है।
  • संस्थानों की संख्या: देश में 60 हजार 3 सौ 80 उच्च शिक्षा संस्थान हैं, जिनमें 1 हजार 2 सौ 13 यूनिवर्सिटी, 46 हजार 6 सौ 24 कॉलेज और 12 हजार 5 सौ 43 स्टैंडअलोन संस्थान हैं।
  • छात्रों की संख्या: इन संस्थानों में 4.46 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हैं।
  • टीचर्स की संख्या: अखिल भारतीय सर्वे के मुताबिक, इन संस्थानों में 16 लाख से ज्यादा टीचर्स हैं।

टास्क फोर्स का मुख्य उद्देश्य यही है कि एक भी छात्र की जान न जाए और देश के शिक्षा संस्थानों व समाज में एक ऐसा माहौल बनाया जाए, जहां पर छात्र खुद को सुरक्षित महसूस करें और उन्हें पूरा सहयोग मिले।

टास्क फोर्स ने विशेषज्ञों के साथ भी बैठक की है और इस गंभीर मुद्दे पर रिपोर्ट्स और मीडिया रिपोर्ट्स का भी गहराई से विश्लेषण किया है।

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सुप्रीम कोर्ट की 15 गाइडलाइन्स

जुलाई में, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 15 गाइडलाइन्स जारी की थीं। हर संस्थान को इन गाइडलाइन्स (सुप्रीम कोर्ट नेशनल टास्क फोर्स) का पालन करने को कहा था। यह गाइडलाइन्स छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए बेहद जरूरी हैं।

यहां उन 15 गाइडलाइन्स की एक लिस्ट दी गई है

  • मेंटल हेल्थ नीति: हर संस्थान को एक मानसिक स्वास्थ्य नीति अपनानी होगी, जो UMMEED ड्राफ्ट, MANODARPAN पहल और राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति से प्रेरित हो। इसकी हर साल रिव्यु की जाए और इसे पब्लिक किया जाए।
  • मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स की नियुक्ति: 100 से ज्यादा छात्रों वाले संस्थानों में कम से कम एक प्रशिक्षित काउंसलर या मनोवैज्ञानिक होना जरूरी है।
  • स्टूडेंट-काउंसलर रेश्यो: छात्रों के छोटे बैचों के लिए मेंटर या काउंसलर नियुक्त किए जाएं, खासकर परीक्षा के समय, ताकि उन्हें कॉन्फिडेंटिअल को-ऑपरेशन मिल सके।
  • पब्लिक शर्मिंदगी से परहेज: शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर बैच विभाजन, सार्वजनिक शर्मिंदा करने या छात्रों को उनकी क्षमता से ज्यादा लक्ष्य देने से बचना चाहिए।
  • आपातकालीन मानसिक स्वास्थ्य सहायता: संस्थानों को स्थानीय अस्पतालों और आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइनों के साथ लिखित प्रोटोकॉल बनाने होंगे। हेल्पलाइन नंबर को स्पष्ट अक्षरों में होस्टल और कक्षाओं में प्रदर्शित किया जाए।
  • स्टाफ ट्रेनिंग: सभी शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को साल में कम से कम दो बार प्रशिक्षित किया जाए, ताकि वे आत्म-हानि के संकेतों को पहचान सकें।
  • संवेदनशीलता: स्टाफ को SC, ST, OBC, EWS, LGBTQ+, दिव्यांग छात्रों के साथ संवेदनशील और भेदभाव रहित व्यवहार के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
  • कड़ा रुख: यौन उत्पीड़न, रैगिंग, या किसी भी तरह के भेदभाव पर सख्त कार्रवाई के लिए मजबूत और गोपनीय मैकेनिज्म हो।
    पैरेंट्स की जागरुकता: माता-पिता के लिए भी जागरूकता सत्र आयोजित किए जाएं, ताकि वे बच्चों पर अत्यधिक दबाव न डालें।
  • एनुअल रिपोर्ट: संस्थानों को हर साल मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कार्यों की कॉन्फिडेंटिअल रिपोर्ट्स रेगुलेटरी बॉडीज जैसे UGC, AICTE, CBSE को भेजनी होगी।
  • अन्य गतिविधियों को बढ़ावा: खेल, कला और व्यक्तित्व विकास को प्राथमिकता दी जाए ताकि सिर्फ अंकों का दबाव कम हो सके।
  • करियर काउंसलिंग: योग्य सलाहकारों द्वारा नियमित और संरचित करियर काउंसलिंग दी जाए।
  • सुरक्षित हॉस्टल: हॉस्टल परिसर को नशा, उत्पीड़न और हिंसा से मुक्त रखा जाए।
  • आत्महत्या रोकने वाले प्रयास: हॉस्टल्स में सीलिंग फैन या अन्य सुरक्षा उपकरण लगाए जाएं और छतों तक पहुंच को सीमित किया जाए।
  • कोचिंग हब्स में स्पेशल मॉनिटरिंग: कोटा, जयपुर जैसे कोचिंग हब्स में विशेष मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय लागू किए जाएं।

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