रामअवतार तिवारी, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में एक साल में बीजेपी तेजी से सक्रिय हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ केंद्रीय नेतृत्व ने यहां विधानसभा स्तर पर कमान संभाल ली है। इसलिए बीजेपी अब कांग्रेस को टक्कर देती नजर आ रही है। लेकिन, 3 मसले ऐसे हैं जिसमें बीजेपी का स्टैंड स्पष्ट नहीं है, जिसके चलते कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। धान का मुद्दा प्रदेश में सबसे अधिक महत्व रखता है, क्योंकि 76 फीसदी ग्रामीण आबादी इससे सीधे जुड़ी है।
बीजेपी के पास कांग्रेस के छत्तीसगढ़ियावाद का तोड़ नहीं
भूपेश बघेल ने 2500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से धान की कीमत देने का वादा किया और उसे पूरे 5 साल तक निभाया है। अब कांग्रेस इसे दोबारा आने पर 3600 रुपए क्विंटल तक बढ़ने का प्रोजेक्शन लोगों के बीच रख रही है तो लोग इस पर भरोसा करेंगे क्योंकि 5 साल तक उन्होंने अपने वादे पर अमल किया है। इसके विपरीत बीजेपी शासन काल में वादा करके भी सरकार ने धान का बोनस नहीं बांटा था। अभी बीजेपी इस मामले में कोई दावा नहीं कर रही है। बीजेपी कोई बड़ा दावा लेकर आती भी है तो किसान उस पर भरोसा करेंगे या नहीं इस पर संशय बना रहेगा। छत्तीसगढ़ियावाद को कांग्रेस सरकार ने जिस तरह आगे बढ़ाया है, बीजेपी के पास इसका कोई तोड़ फिलहाल नहीं है।
बीजेपी अभी बहुत आक्रामक
पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ कोई एंटी इन्कंबेंसी भी नजर नहीं आ रही। बीजेपी अभी बहुत आक्रामक हो गई है। लगातार ईडी की कार्रवाई के जरिए भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है। इसका लाभ उन्हें मिल सकता है। दूसरा बीजेपी के कार्यकर्ता अब रिचार्ज हैं, जो पिछली बार नहीं थे। कार्यकर्ता बूथ लेवल पर जाकर काम कर रहे हैं। पिछली बार बीजेपी सरकार के खिलाफ बड़ी एंटी इन्कंबेंसी थी, जिसने चुनाव के परिणाम को अप्रत्याशित बना दिया था। इस बार बीजेपी के साथ वह समस्या नहीं है। बीजेपी में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष है, इसे संभालना जरूरी है। दोनों पार्टी में अंक निर्धारण की बात करें तो कांग्रेस को मैं 10 में से 8 और बीजेपी को 10 में से 6 अंक देना पसंद करूंगा।